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दिल्ली-एनसीआर को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए सफर इंडिया ने बनाया प्लान, आप भी जानिये

सफर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रदूषण से जुड़ी कई तरह की जानकारी को सफर द्वारा रोजाना जारी बुलेटिन में शामिल किया जाएगा। इससे जहां पराली जलाने की घटनाएं रोकने में आसानी होगी वहीं प्रदूषण पर भी लगाम लगेगी।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 26 Sep 2020 04:07 PM (IST)
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सर्दी के दौरान दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के बने हालात का नजाारा।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। इस बार सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए सफर इंडिया भी पराली के धुएं पर करीब से निगाह रखेगा। केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था सफर अक्टूबर माह से नियमित तौर पर एक बुलेटिन भी जारी करेगा। इसमें पराली जलने की घटनाओं, उपग्रह से प्राप्त चित्र और दिल्ली की हवा में इसके चलते होने वाले प्रदूषण की पूरी जानकारी मौजूद रहेगी। पराली के धुएं की वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इससे निपटने का एक्शन प्लान बनाने में भी मदद मिल पाएगी।

फिलहाल स्वच्छ हवा में सांस ले रहे लोग

गौरतलब है कि दिल्ली एनसीआर निवासी इस बार पिछले सालों की तुलना में अधिक साफ-सुथरी हवा में सांस ले रहे हैं। कोविड-19 संक्रमण के चलते किए गए लॉकडाउन और मौसम की लगातार गतिविधियों के चलते पिछले छह माह से लगातार हवा साफ बनी हुई है, लेकिन कोरोना संक्रमण के इस बार पराली का धुआं कहीं अधिक मुसीबत पैदा करने वाला साबित हो सकता है। इसी के चलते इस बार पराली को लेकर ज्यादा एहतियात बरती जा रही है। पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के खेतों में जलाई जा रही पराली को लेकर इस बार सफर इंडिया ने भी पूर्वानुमान का चाक-चौबंद मॉडल तैयार किया है।

मिलेगी पल-पल की जानकारी

जानकारी के मुताबिक इस मॉडल के जरिए उपग्रह से प्राप्त चित्रों के आधार पर खेतों में लगाई जाने वाली आग की घटनाओं की संख्या का अंदाजा लगाया जाएगा। इससे निकलने वाले धुएं, उस दिन हवा के रुख और हवा की गति के आधार पर इस बात का पूर्वानुमान भी लगाया जाएगा कि ये धुआं कितने दिन में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पहुंचेगा। किसी खास दिन पराली के धुएं की हिस्सेदारी प्रदूषण में कितनी होगी, इसका विश्लेषण अलग से किया जाएगा।

सफर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस सारी जानकारी को सफर द्वारा रोजाना जारी बुलेटिन में शामिल किया जाएगा। इससे जहां पराली जलाने की घटनाएं रोकने में आसानी होगी। वहीं, पराली का धुआं किस हद तक दिल्ली-एनसीआर की हवा को प्रभावित करने वाला है, इसका अंदाजा लगाकर उसके अनुसार आवश्यक कदम भी उठाए जा सकेंगे। इस अधिकारी के मुताबिक आमतौर पर अक्तूबर एवं नवंबर महीने के बीच ही सबसे ज्यादा फसल जलाई जाती है। अगर पहले से पराली को लेकर पूरी जानकारी उपलब्ध होने लगेगी तो उसकी ज्यादा प्रभावी ढंग से रोकथाम भी की जा सकेगी। 

बता दें कि पिछले डेढ़ दशक के दौरान दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के दौरान अक्टूबर से जनवरी तक जबरदस्त वायु प्रदूषण हो जाता है। 

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