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77 की उम्र में नहीं डिगे कदम, सड़क दुर्घटना में घायलों को पहुंचा रहे अस्पताल

भजनपुरा में किराये के मकान में रहने वाले ऑटो चालक 77 वर्षीय हरजिंदर सिंह। वे करीब 59 साल से सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को अपने ऑटो में बैठाकर निशुल्क अस्पताल तक पहुंचाने का काम करते है ताकि घायल की जान बच सके।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Sat, 26 Sep 2020 11:04 PM (IST)
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अपने ऑटो के साथ खड़े हरजिंदर सिंह। फोटो- जागरण।
नई दिल्ली, पुष्पेंद्र कुमार। समाज ने हमें इतना कुछ दिया तो हमारे भी तो समाज के प्रति कुछ दायित्व है। हमें भी अपने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आना चाहिए। परेशानी के दौरान में हर किसी की मदद करनी चाहिए। इसी सोच पर अमल कर रहे हैं भजनपुरा में किराये के मकान में रहने वाले ऑटो चालक 77 वर्षीय हरजिंदर सिंह। वे करीब 59 साल से सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को अपने ऑटो में बैठाकर नि:शुल्क अस्पताल तक पहुंचाने का काम करते है ताकि घायल की जान बच सके।

हरजिंदर सिंह परिंदा ने बताया कि पिता से जो सेवाभाव की प्रेरणा कम उम्र में मिली, उसी ने मुझे सेवा करना सिखाया। पिता हमेशा अक्सर एक ही दोहा गुनगुनाया करते थे। सफर में कहीं भी दुर्घटना के दौरान को घायल हो जाता है तो उसे प्राथमिक उपचार दिलाने के लिए तुरंत पास के अस्पताल में ले जाने का काम करते है। ताकि घायल का ठीक समय पर इलाज हो सके और उसकी जिंदगी बच सके। पहले घायलों को जब भी अस्पताल लेकर जाना होता है तो पुलिस वाले काफी परेशान किया करते थे तब तक घायल मरीज को होश नहीं आया करता था तब तक बैठाकर रखा करते थे। लेकिन अब दौर बदल गया है, सुप्रीम कोर्ट तक कह चुका है कि सड़क दुर्घटना के शिकार घायलों की मदद करने वालों को परेशान नहीं किया जाएगा और दिल्ली सरकार ने भी सभी अस्पतालों को आदेश दे रखे है कि दुर्घटना में होने वाले घायलों का प्राथमिकता से उपचार किया जाएगा।

वह बताते हैं जब सरकार ने यह योजना बनाई तो मेरे हौसले और बुलंद हो गए। दुर्घटना के शिकार लोगों की जान बचाने के मकसद से अपने ऑटो को ऑटो एंबुलेंस में तब्दील कर दिया है। वह अपने ऑटो एंबुलेंस के जरिये न केवल घायलों को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराते हैं, बल्कि गंभीर हालत में सड़क दुर्घटना पीड़ितों को अस्पताल भी पहुंचाते है। इतना ही नहीं दुर्घटना के शिकार शख्स को अस्पताल ले जाकर ये सुनिश्चित भी करते हैं कि उसको पूरा इलाज मिले और उसकी जान बचाई जा सके। अपनी सेवा को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए अपने ऑटो एंबुलेंस पर जगह-जगह नोटिस चस्पा कर व मोबाइल नंबर भी लिख दिया है ताकि लोग नोटिस पढ़कर मुझे फोन कर घटनास्थल पर बुला सके। वह बताते हैं कि ऑटो में जब सवारी बैठी रहती है और अचानक सड़क दुर्घाटना दिखाई दे जाती है तो सवारियों को दूसरे ऑटो बैठकार, घायल को इलाज के लिए अस्पताल ले जाते है। रोजाना तो घायल लोग नहीं मिलते हैं, लेकिन जब भी मिलते हैं तो अपनी सेवा देने से पीछे नहीं हटते, चाहे व रात का समय ही क्यों न हो।

शुगर के मरीज को नि:शुल्क बांटते हैं दवाई

हरजिंदर सिंह बताते है कि परिवार में पत्नी अक्सर बीमार रहती थी और उनको शुगर की बीमारी थी। उनके इलाज के लिए दर-दर भटक-कर उनका इलाज करवया। जानकारी कम थी लेकिन ठीक समय पर उनका इलाज नहीं हो पाया। समय पर इलाज न होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन, उन्होंने संकल्प लिया कि जिस तरह पत्नी को शुगर की बीमारी से मुक्त नहीं करवा पाया, उसी तरह अन्य लोगों को इस बीमारी से झुजने नहीं दिया जाएगा। शुगर बीमारी को खत्म करने के लिए पंजाब से औषधि की दवा खरीदकर लोगों का निशुल्क इलाज करवाते है। वह बताते है कि वह रोजाना अतिरिक्त समय देकर काम किया, जिससे लोगों की मदद की जा सके और दवाइयों के लिए पैसे जुटाए जा सकें। वह बताते हैैं कि अपने दिनचर्या में मैंने पाया कि बहुत से ऐसे शुगर के पीड़ित होते हैं, जिन्हें तत्काल मदद की दरकार होती है, लेकिन उन्हें यह मदद मिल नहीं पाती। उस दौरान मैंने ठान लिया था कि ऐसे लोगों की मदद के लिए कुछ करूंगा। अपने इसी मकदस को पूरा करने के लिए पूरा दिन ऑटो चलाता हूं और अपनी दिन भर में कमाएं हुए रुपयों में से पचास प्रतिशत दवाई के लिए इकट्ठा कर लेता हूं। वह रोजाना जरूरतमंदों के लिए शुगर पीड़ित को दवाइयां भी उपलब्ध कराते हैं, जो भी उनसे मांगता है तो वह उनको मुफ्त में दे देते है। रोजाना करीब 10 से 12 लोगों को शुगर की दवाई देते है।

इस कार्य में बेटे ने भी दिया साथ

वह बताते है कि जिस कर्म में लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता हूं ठीक उसी तरह मेरा बेटा राजा सिंह भी लोगों की मदद के लिए तैयार रहता है। मैं दिन में ऑटो चलाता हूं और मेरा बेटा रात के समय ऑटो चलाता है। रात में भी उसको कहीं सड़क दुर्घटना में घायल मिल जाता है तो वह अपनी सवारी को उसी अन्य ऑटो में बैठकर, घायल को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल तक पहुंचाता है और घायल के परिजनों को सूचित भी करता है। वह हमेशा मुझे आराम करने के लिए बोलता है लेकिन मेरा मन नहीं मानता। लोगों को मदद दिलाने के लिए जुट जाता हूं। बेटा राजा बताते हैं कि पिता अपने समय में मार्शल आर्ट के चैंपियन रह चुके है और नगर कीर्तन में करतव भी करते है। हर रविवार को पटेल नगर मेट्रो स्टेशन से बंगला साहिब गुरुद्वारे तक लोगों निशुल्क लेकर जाते है। साथ ही गुरुद्वारे में सेवा भी देते हैं।

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