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जामिया के असिस्टेंट प्रोफेसर ने किया नैनो सीमेंट का आविष्कार, जानिए इसके फायदे

रहमान ने बताया कि नैनो सीमेंट के आविष्कार में उन्हें दो साल का समय लगा। उन्होंने वर्ष 2012 में प्रयोग करना शुरू किया था और 2014 में उन्हें सफलता मिली। तब इसे सरकार के पास पेटेंट के लिए भेजा गया।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Mon, 28 Sep 2020 02:24 PM (IST)
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नैनो सीमेंट की फाइल फोटोः क्रेडिट प्रो. रहमान

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने नैनो सीमेंट का आविष्कार किया है। उनके आविष्कार को भारत सरकार द्वारा पेटेंट भी मिल चुका है। आविष्कार करने वाले इबादुर रहमान जामिया के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012-13 में जब वे दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीटीयू) में एमटेक के छात्र थे तब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में बीटेक के दौरान अपने शिक्षक रहे मुहम्मद आरिफ और अमीर आजम के साथ चर्चा के दौरान सिविल इंजीनियरिंग में नैनो टेक्नोलॉजी के प्रयोग का विचार मन में आया।

इसके बाद एएमयू की प्रयोगशाला में ही दोनों शिक्षकों के साथ मिलकर प्रयोग शुरू कर दिया। इसके बाद आइआइटी कानपुर और जामिया की प्रयोगशाला में भी नैनो सीमेंट पर काम किया। उन्होंने बताया कि इस आविष्कार को 'हाई स्ट्रेंथ सीमेंटिटियम नैनोकंपोजिट कंपोजीशन एंड मैथड मेकिंग द सेम' नाम दिया गया है।

रहमान ने बताया कि इस आविष्कार का मकसद नैनो तकनीक से सीमेंट का उत्पादन करके बड़ी-बड़ी इमारतों और पुल आदि को बनाने के लिए निर्माण सामग्री के वजन को कम करना है। रहमान ने बताया कि फिलहाल वह नैनो कंक्रीट पर काम कर रहे हैं। जल्दी ही इसमें सफलता मिलने के बाद सरकार के पास पेटेंट के लिए भेजेंगे।

नैनो सीमेंट आविष्कार में लगा दो साल का समय

रहमान ने बताया कि नैनो सीमेंट के आविष्कार में उन्हें दो साल का समय लगा। उन्होंने वर्ष 2012 में प्रयोग करना शुरू किया था और 2014 में उन्हें सफलता मिली। तब इसे सरकार के पास पेटेंट के लिए भेजा गया। सरकार से हाल ही में 14 सितंबर 20 को उन्हें पेटेंट मिला है। इसमें बतौर पेटेंटी एएमयू के दोनों प्रोफेसर मुहम्मद आरिफ और अमीर आजम भी शामिल हैं। आरिफ एएमयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर हैं, जबकि आजम एप्लाइड फिजिक्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी विभाग में प्रोफेसर हैं।

क्या है नैनो सीमेंट

प्रोफेसर रहमान ने बताया कि उच्च ताकत वाली नैनो सीमेंट बनाने के लिए अति सूक्ष्म कणों वाली कई संरचनाओं का इस्तेमाल किया गया। सामान्य आकार की सीमेंट में मैट्रिक्स, सिलिका फ्यूम, नैनो सिलिका फ्यूम, फ्लाई ऐश और नैनो फ्लाई ऐश के योगात्मक घटकों के प्रभाव का भी अध्ययन किया गया। उन्होंने बताया कि प्रयोग के दौरान सामान्य सीमेंट के कणों के आकार को माइक्रो मीटर (सूक्ष्म) से नैनो मीटर (अति सूक्ष्म) में बदल दिया गया।

इसके बाद कई अन्य पदार्थों का इस्तेमाल करके नैनो सीमेंट तैयार की। जो सामान्य सीमेंट से कई गुना ज्यादा मजबूत है। नैनो तकनीक से बनाए जाने के कारण इसे नैनो सीमेंट नाम दिया गया है।

कहां-कहां है अधिक उपयोगी

रहमान ने बताया कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र, एयरपोर्ट, पुल और अधिक ऊंचाई वाली इमारतों को बनाने में नैनो सीमेंट अधिक उपयोगी साबित हो सकती है। इसके प्रयोग से निर्माण क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आएगा। साथ ही नैनो सीमेंट स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के निर्माण में भी काफी मददगार साबित होगी। विदेशों में पहले से ही इस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है।

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