भ्रांति फैलाकर किसानों को भड़का रहे हैं राजनीतिक दल : पूर्व नौकरशाह
सोमवार को 33 पूर्व वरिष्ठ नौकरशाहों ने हस्ताक्षरयुक्त खुला पत्र जारी कर हाल में मंजूर हुए कृषि संबंधी तीनों कानून की सराहना की है। बिंदूवार कानूनों की खासियत बताते हुए फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने की काेशिश की है।
नई दिल्ली, नेमिष हेमंत। कृषि कानूनों पर मचे घमासान में पूर्व नौकरशाह भी उतर आए हैं। उन्होंने इस कानून का विरोध कर रहे राजनीतिक दलों पर तल्ख टिप्पणी की है। उनके मुताबिक यह किसानों को भड़काने का वैसा ही प्रयास है, जैसा अल्पसंख्यकों और युवाओं के मामले में पहले हुआ था। यही नहीं, पूर्व नौकरशाहों ने इसके पीछे विदेशी साजिश का भी अंदेशा जताते हुए देशवासियों को सचेत किया है। सोमवार को 33 पूर्व वरिष्ठ नौकरशाहों ने हस्ताक्षरयुक्त खुला पत्र जारी कर हाल में मंजूर हुए कृषि संबंधी तीनों कानून की सराहना की है। बिंदूवार कानूनों की खासियत बताते हुए फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने की काेशिश की है।
पत्र में कहा गया है कि इससे किसानों के लिए देश में स्वतंत्र वातावरण का निर्माण होगा। साथ ही व्यवसायिक भय से मुक्त उद्यमशीलता का विकास होगा। इससे किसानों के लिए संपूर्ण देश एक बाजार की तरह हो जाएगा। वह अपने उत्पाद सीधे उद्योग को बेच सकेंगे। किसानों को इस कानून से दलालों के चंगुल से आजादी मिलेगी। वहीं, न्यूतम समर्थन मूल्य पहले की तरह किसानों के पक्ष में ही रहेगा।
ऐसे में यह कहना कि इससे किसानों को हानि पहुंचेगी, पूरी तरह भ्रामक है। कृषि मंत्री के स्पष्टीकरण व प्रधानमंत्री के आश्वासन के बाद भी कुछ घटक बहु राष्ट्रीय उद्देश्यों के तहत भ्रम फैलाने में जुटे हैं। जबकि जहां कहीं भी किसानों का शोषण हो रहा है, उसका मूल कारण कमजोर विपणन व्यवस्था है, जिससे किसानों का लाभ बिचौलिए छिन लेते हैं। इसमें यह ध्यान देने वाली बात है कि जो राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं, उनके घोषणापत्र में "किसानों को दलाली से मुक्ति व कहीं भी माल बेचने की स्वतंत्रता से किसानों का सशक्तिकरण' का जिक्र था।
इस पत्र में केंद्र सरकार के पूर्व वित्त सचिव एस नारायण, पूर्व बैंकिंंग सचिव डी.के मित्तल, पूर्व रक्षा सचिव जी. मोहन कुमार, पूर्व पेट्रोलियम सचिव सौरभ चंद्रा, पूर्व उड्डयन सचिव के.एन श्रीवास्तव, हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव धरम वीर, मध्य प्रदेश के पूर्व सचिव अरुण कुमार भट्ट समेत कुल 33 पूर्व वरिष्ठ आइएएस हैं। सभी ने संयुक्त रूप से देश के अन्नदाताओं की उन्नति व समृद्धि के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों का समर्थन किया है।
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