Coronavirus News Update: एम्स में कोरोना के इलाज के लिए चल रहा स्टेटिन व एस्प्रिन का ट्रायल
Coronavirus News Update अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) के डॉक्टर बताते हैं शुरुआती ट्रायल में स्टेटिन से मरीजों को फायदा होता दिख रहा है। ट्रायल पूरा होने के बाद ही पता चलेगा कि यह दवाएं कितनी असरदार हैं।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। Coronavirus News Update: कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए अब तक कोई कारगर दवा नहीं है, इसलिए डॉक्टर कई तरह की दवाओं का ट्रायल कर रहे हैं। इसी क्रम में एम्स में स्टेटिन व एस्प्रिन का भी क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। करीब 800 मरीजों पर यह ट्रायल होगा। डॉक्टर यह पता लगा रहे हैं कि दोनों दवा देने से कोरोना के मरीजों को कितना फायदा हो रहा है।
एम्स के डॉक्टर बताते हैं, शुरुआती ट्रायल में स्टेटिन से मरीजों को फायदा होता दिख रहा है। ट्रायल पूरा होने के बाद ही पता चलेगा कि यह दवाएं कितनी असरदार हैं। उन्होंने बताया कि कुछ देशों में कोरोना के इलाज में स्टेटिन का ट्रायल किया गया पर अब तक चिकित्सा जगत किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाया है। हाल ही में अमेरिका में हुए ट्रायल में यह बात सामने आई कि स्टेटिन के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों में मृत्यु दर कम हो सकती है। चीन में जिन मरीजों को स्टेटिन दी गई, उनमें मृत्यु दर कम थी। वह भी तब, जबकि 66 से अधिक उम्र वाले बुजुर्ग कोरोना मरीजों को यह दवा दी गई थी, जिन्हें अन्य गंभीर बीमारियां भी थीं।
एम्स में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एस रामाकृष्णन ने कहा कि कोरोना फेफड़े के बाद दिल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। दिल की बीमारियों से पीड़ित कोरोना मरीजों को स्टेटिन व एस्प्रिन दवा जारी रखी जाती है। जिन्हें दिल की बीमारी नहीं है, उन कोरोना मरीजों पर भी इन दवाओं का रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल चल रहा है। स्टेटिन से मरीजों को फायदा है। उम्मीद है कि एस्प्रिन से भी फायदा हो सकता है।
कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अंबुज रॉय ने कहा कि ट्रायल में अब तक 300 मरीजों को चयन कर यह दवाएं दी गई हैं। सामान्य तौर पर स्टेटिन का इस्तेमाल कॉलेस्ट्रॉल नियंत्रित करने के लिए होता है। लेकिन इस दवा के कुछ और भी फायदे हैं।
दरअसल, कोरोना के गंभीर मरीजों के शरीर में रक्त थक्का होने, इन्फ्लामेशन (सूजन) की समस्या देखी जा रही है। डॉक्टर बताते हैं कि स्टेटिन दवा ब्लड थक्का होने से रोकती है और इन्फ्लामेशन से भी बचाती है। इस वजह से डॉक्टरों को उम्मीद है कि यह दवा कोरोना के इलाज में भी मददगार हो सकती है। यह प्रयोग सफल हुआ तो इन्फ्लामेशन रोकने के लिए इस्तेमाल होने वाली महंगी दवाओं से भी मरीजों को राहत मिल सकती है।
किडनी मरीजों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत
कोरोना वायरस संक्रमित मरीज की किडनी (गुर्दे) को प्रभावित कर रहा है, इसलिए अगर कोई किडनी रोग से पीड़ित है, तो उसे ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। यह कहना है अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. संदीप महाजन का। उन्होंने बताया कि ठीक होने के बाद भी सतर्क रहने की जरूरत है। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर भी उन्हें ध्यान देना चाहिए। वहीं बुखार, खांसी, गले में खराश, बहती हुई नाक, स्वाद या गंध की कमी आदि में से कोई परेशानी होने पर तुरंत जांच कराएं। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए विटामिन सी से युक्त पदार्थों का सेवन करें। हमारा आहार ताजे फलों और सब्जियों से भरपूर होना चाहिए। हमें नियमित व्यायाम करना चाहिए और धूमपान, शराब और मोटापे से भी बचना चाहिए।
वहीं, जब तक वायरस से बचाव के लिए टीका विकसित नहीं हो जाता है तब तक इससे लड़ना पड़ेगा। संक्रमण से उबरने के बाद भी बहुत सारे रोगियों में थकान, सांस फूलना, जोड़ों में दर्द आदि के लक्षण बने रहते हैं। इनमें मास्क और शारीरिक दूरी का पालन करना बेहद जरूरी है।
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