कोरोना काल में जेएनयू-डीयू में पढ़ने वाले बस्तियों में बांट रहे ज्ञान
देशभर में अभाविप द्वारा 797 ‘बस्ती पाठशालाएं’ चलाई जा रही हैं जिनमें 10 हजार से अधिक बच्चों को औपचारिक शिक्षा से जोड़े रखा गया है। दिल्ली में भी इस तरह की 15 से अधिक पाठशालाएं लगाई जा रही हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना के चलते करीब छह माह से उच्च शिक्षण संस्थान व विश्वविद्यालय बंद चल रहे हैं। ऐसे में इनमें पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद ये दूसरे बच्चों का भविष्य संवारने में लगे हुए हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad ) से जुड़े ये छात्र गरीब व जरूरतमंद बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे हुए हैं। देशभर में अभाविप द्वारा 797 ‘बस्ती पाठशालाएं’ चलाई जा रही हैं, जिनमें 10 हजार से अधिक बच्चों को औपचारिक शिक्षा से जोड़े रखा गया है। दिल्ली में भी इस तरह की 15 से अधिक पाठशालाएं लगाई जा रही हैं। इनमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) व दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) समेत अन्य विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के छात्र-छात्राएं बतौर अध्यापक बन निश्शुल्क पढ़ा रहे हैं। यहीं नहीं, जरूरतमंद बच्चों को कॉपी-किताब के साथ पेंसिल व अन्य सामान दिए जा रहे हैं। कोरोना से बचाव के लिए मास्क व सैनिटाइजर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ये पाठशालाएं एक माह से लग रही हैं। जब तक स्कूल सामान्य तरीके से नहीं खुलने लगते हैं तब यह ये लगती रहेंगी।
अभाविप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आनुषांगिक संगठन है। इसे विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन माना जाता है, जो छात्रों से जुड़ी समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाते हुए छात्र शक्ति को समाज व राष्ट्रसेवा से जोड़ने का काम करता है।
अभाविप की राष्ट्रीय महासचिव निधि त्रिपाठी ने बताया कि इसे प्रयोग के तौर पर पिछले माह बिहार में आजमाया गया, जिसके अच्छे परिणाम सामने आए। इसलिए इसे एक पहल के तौर पर पूरे देश में लागू करने का फैसला किया गया। फिलवक्त 2000 से अधिक छात्र-छात्रएं सेवा बस्तियों व ग्रामीण इलाकों में जरूरतमंद बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ये कक्षाएं दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ समेत कमोबेश सभी राज्यों के 200 से अधिक जिलों में चल रही हैं।
पढ़ाने वाले खुद भी कर रहे हैं पढ़ाई
निधि त्रिपाठी ने कहा कि बच्चों को पढ़ाने वाले खुद भी पढ़ रहे हैं। इनमें स्नातक, स्नातकोत्तर व रिसर्च से जुड़े कई छात्र हैं। कहीं-कहीं अभाविप के वरिष्ठ पदाधिकारी भी कक्षाएं ले रहे हैं। इसके लिए बकायदा रोस्टर बनाए गए हैं। उपलब्धता व सुविधा के अनुसार कार्यकर्ता अलग-अलग दिन पढ़ाने जा रहे हैं। निधि त्रिपाठी खुद जेएनयू के नजदीक सेवा बस्ती मधुकर में बच्चों को पढ़ाने जाती हैं।
वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रवक्ता राहुल चौधरी ने बताया कि सेवा बस्तियों में अधिकतर गरीब व मजदूर परिवार रहते हैं, जिनके पास बच्चों को आनलाइन कक्षाओं से जोड़ने के संसाधन नहीं है। ऐसे में उनके लिए ये पाठशालाएं काफी उपयोगी साबित हो रही हैं। कोरोना को देखते हुए ये पाठशालाएं छोटे-छोटे समूह में आयोजित हो रही हैं।
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