Life and Style: फैशन इंडस्ट्री पर छाया वीगन वियर का जादू
फैशन डिजाइनर ऋतिका अग्रवाल का कहना है कि वीगन का मतलब ऐसा फैब्रिक जिसे बनाने में पशुओं के प्रति अत्याचार या क्रूरता न हुई हो। लोगों में इसके प्रति आई जागरूकता और संवेदनशीलता ने वीगन फैब्रिक को मेनस्ट्रीम फैशन में मजबूती से खड़ा कर दिया है।
नई दिल्ली/गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। इनदिनों फैशन इंडस्ट्री पर एक नए तरह से फेब्रिक का जादू छा रहा है। लोग खानपान के साथ-साथ फैशन में भी वीगन वियर की मांग कर रहे हैं। इसमें कई बड़े डिजाइनर पूरी तरह से अभियान भी चला रहे हैं। इसका प्रभाव और लोकल फैशन इंडस्ट्री पर भी दिखने लगा है। लोग अब डिजाइनर से वीगन फेब्रिक में ही डिजाइनिंग करवा रहे हैं। अब स्टोर्स पर भी इसी तरह के परिधानों की सीरीज मिल रही है।
क्या है वीगन फैशन
फैशन डिजाइनर ऋतिका अग्रवाल का कहना है कि वीगन का मतलब ऐसा फैब्रिक जिसे बनाने में पशुओं के प्रति अत्याचार या क्रूरता न हुई हो। लोगों में इसके प्रति आई जागरूकता और संवेदनशीलता ने वीगन फैब्रिक को मेनस्ट्रीम फैशन में मजबूती से खड़ा कर दिया है। ऐसे में बड़े ब्रांड्स और डिजाइनर भी मजबूर हो गए हैं कि वे वीगनवियर ही बनाएं।
परिधान ही नहीं फुटवियर्स और एक्सरीज भी हुई वीगन
परिधानों में लोग वीगन के विकल्प के तौर पर कॉटन, लीनन, खादी, जूट और सिल्क को पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा बदलते मौसम में सिथेटिक फैब्रिक भी लोगों की पसंद बन रहा है लेकिन लेदर आदि पर लोग भरोसा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में जूतों में भी वीगम मैटीरियल की मांग हो रही है और बैग्स और बेल्ट आदि भी वीगन की राह पकड़ते नजर आ रहे हैं।
वीगन फैशन के लिए विकल्प
फैशन डिजाइनर नीता सिंह के मुताबिक वीगन फैशन के विकल्पों के तौर पर फैशन इंडस्ट्री में पौधों की छाल, उनके अवशेष और उनके अनउपयोगी हिस्से को उपयोग में लाया जा रहा है। सेब के छिलके, पाइनएप्पल की पत्तियां, आम, मक्की के छिलके, नारियल के छिलके, अंगूर और केले के छिलकों को संश्लेषित करके फैब्रिक का निर्माण किया जा रहा है।
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