पानी में बढ़ा अमोनिया का स्तर, जानें सेहत के लिए कितना खतरनाक
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के मुताबिक पीने के पानी में अमोनिया की मात्रा 0.5 पीपीएम से ज्यादा नहीं होनी जबकि फिलहाल इसका स्तर पानी में काफी ज्यादा है। ऐसे में लोगों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। पानी में अमोनिया का स्तर बढ़ने से फिर से लोगों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। इस वजह से प्रदेश में पानी की किल्लत की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। इस बीच दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से अपील की गई है कि पानी को पीने और खाने में इस्तेमाल ना करें क्योंकि इसमें अमोनिया की मात्रा ज्यादा है जो शरीर के लिए हानिकारक है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के मुताबिक पीने के पानी में अमोनिया की मात्रा 0.5 पीपीएम से ज्यादा नहीं होनी जबकि फिलहाल इसका स्तर पानी में काफी ज्यादा है। ऐसे में लोगों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
वैज्ञानिक औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक शेखर मांडे का कहना है कि पानी में अमोनिया के स्तर के बढ़ने का मुख्य कारण औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट हो सकते हैं। सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र अमोनिया को पानी से निकालने में बहुत अधिक प्रभावी साबित नहीं हुए हैं।
क्या है अमोनिया और इसके दुष्प्रभाव
अमोनिया एक कलरलेस गैस है जिसका इस्तेमाल उर्वरक, प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर, रंजक और अन्य उत्पादों के उत्पादन में एक औद्योगिक रसायन के रूप में किया जाता है। जैविक अपशिष्ट पदार्थ के टूटने से अमोनिया पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है। यह औद्योगिक अपशिष्टों के जरिए या मल द्वारा संदूषण के माध्यम से जमीन या जल स्रोतों के के द्वारा लोगों तक पहुंच सकता है।
यदि पानी में अमोनिया की मात्रा 1 पीपीएम से ऊपर है तो यह मछलियों के लिए खतरनाक होती है वहीं यदि मनुष्य 1 पीपीएम या इससे ज्यादा के अमोनिया स्तर वाले पानी का लंबे समय तक उपयोग करते हैं तो उनके शरीर में इससे कई समस्याएं हो सकती हैं। इसका सबसे ज्यादा लीवर पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा पीलिया, हेपेटाइटिस समेत कई बीमारियां भी हो सकती हैं। इससे कोमा में जाने का खतरा भी काफी ज्यादा होता है। पानी में अमोनिया का स्तर 0.5 पीपीएम से ज्यादा होने पर डीहाइड्रेशन और लीवर इंफेक्शन जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। इन सब से बचने के लिए पानी को उबालकर पीना चाहिए।
यमुना में क्यों बढ़ रहा अमोनिया का स्तर
यमुना नदी में अमोनिया का स्तर बढ़ने के लिए हरियाणा के पानीपत और सोनीपत जिलों में डाई यूनिट, डिस्टिलरी और अन्य फैक्ट्रियों को संभावित स्रोत माना जाता है। इसके अलावा नदी के इस खंड में कुछ ऐसी कॉलोनियों से सीवेज का पानी भी जाता है, जहां सीवेज की व्यवस्था नहीं है।
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