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धरती गर्म हो रही फिर भी लगातार घट रहा आपके शरीर का सामान्य तापमान, जानें- क्या है इसकी वजह

हाल के कुछ वर्षों में हुए अध्ययनों में पता चला है कि मनुष्य के शरीर का औसत तापमान साल दर साल कम हो रहा है। 98.2 डिग्री फॉरेनहाइट अब सभी के लिए सामान्य तापमान नहीं है। जानें- क्यों बदल रहा है औसत तापमान और इसका असर?

By Amit SinghEdited By: Updated: Sun, 01 Nov 2020 06:55 AM (IST)
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भारत में भी शरीर के औसत तापमान में परिवर्तन दिख रहा है। प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। धरती गर्म हो रही, लेकिन इंसान के शरीर का सामान्य तापमान लगातार घट रहा है। अमेरिका और लंदन में हुए एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि अब इंसानी शरीर का सामान्य तापमान अब 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट (98.6°F) नहीं रहा। यहां तक कि ग्रामीण इलाकों में भी ये तेजी से बदल रहा है। बोलीविया के एक गांव में 16 वर्ष तक कुछ लोगों पर किये गए अध्ययन में ये जानकारी प्राप्त हुई है। साइंस एडवांस में प्रकाशित एक अध्ययन में ये जानकारी दी गई है। लेकिन क्या ऐसा भारत समेत निम्न आय वाले देशों में भी हो रहा है? जानते हैं, क्यों घट रहा है इंसान के शरीर का औसत तापमान और क्या है इसका मतलब?

1868 में तय हुआ था सामान्य तापमान

जर्मन डॉक्टर कार्ल रेनहोल्ड अगस्त वंडरलिच (Carl Reinhold August Wunderlich) ने वर्ष 1851 में क्लिनिकल थर्मामीटर के उपयोग के लिए मानक तय किया था। उन्होंने लाखों बार 25 हजार मरीजों के शरीर का तापमान रिकॉर्ड किया। इसके बाद 1868 में उन्होंने एक किताब में उनका अध्ययन प्रकाशित हुआ। इस अध्ययन में डॉ कार्ल ने मनुष्य के शरीर का सामान्य औसत तापमान 98.6°F बताया था। हालांकि हाल के कुछ वर्षों में हुए अध्ययनों में पता चला है कि मनुष्य के शरीर का औसत सामान्य तापमान (Average Human Body Temperature) अलग-अलग होता है। ये औसत तापमान 97.7°F, 97.9°F और 98.2°F है। पिछले वर्ष प्रकाशित ऐसे ही एक अध्ययन में बताया गया था कि अमेरिकी नागरिकों के शरीर का तापमान पिछली दो शताब्दियों से लगातार घट रहा है।

नए अध्ययन में कारणों का हुआ खुलासा

इंसानी शरीर के गिरते तापमान पर पूर्व में हुए अध्ययनों में वजह नहीं बताई गई थी। साथ ही ये भी नही पता था कि कम आय वाले देशों में शरीर के औसत तापमान में किस तरह का बदलाव आ रहा। नए अध्ययन में इन सभी सवालों का जवाब दिया गया है। नए अध्ययन में बोलिविया के अमेजन (Bolivian Amazon) क्षेत्र के गरीब व पिछड़े इलाकों में सिमाने (Tsimane) जनजाति के 5500 लोगों का 18000 बार तापमान रिकॉर्ड किया गया। उष्णकटिबंधीय वातावरण में रहने की वजह से ये लोग ठंड और निमोनिया के तो आदि हैं, लेकिन गर्मी और टीबी जैसे संक्रमण के नहीं। ज्यादा संक्रमण के बीच रहने से बीमारियों का खतरा भी ज्यादा रहता है, जिससे शरीर का तापमान बढ़ता है। इस वजह से अध्ययनकर्ताओं को उम्मीद थी कि सिमाने लोगों के शरीर का तापमान, यूएस, यूके या जर्मनी के लोगों के मुकाबले ज्यादा होगा।

इसके विपरीत अध्ययन में चौंकाने वाली जानकारी मिली। अध्ययन में पता चला कि सिमाने जनजाति के लोगों के शरीर का तापमान प्रतिवर्ष 0.09°F कम हो रहा है। इसके शरीर का औसत तापमान 97.7°F पाया गया। रिसर्च में पता चला है कि सिमाने लोगों के शरीर के तापमान में दो दशक में जितनी गिरावट हुई है, लगभग उतनी ही गिरावट अमेरिकी नागरिकों के शरीर के तापमान में पिछली दो शताब्दियों में हुई है।

औसत तापमान में गिरावट की वजह

शरीर के औसत तापमान में गिरावट की वजह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने उन सभी वजहों पर ध्यान दिया, जो सामान्य तौर पर इसकी वजह होती हैं।

अच्छी स्वास्थ्य सुविधा : एक अवधारणा है कि उच्च आय वाले लोगों के लिए स्वच्छता का स्तर और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हुई हैं, इससे संक्रमण कम हो रहा। नतीजतन शरीर का तापमान भी घट रहा है। सिमाने लोगों की बात करें तो उच्च आय वर्ग वालों के मुकाबले इनके पास सुविधाओं का काफी अभाव है। बावजूद पिछले दो दशकों में इनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। यही वजह है कि पिछले दो दशक में इनके शरीर का तापमान घटा है। हालांकि सामान्य तापमान कम होने की ये इकलौती वजह नहीं है।

संक्रमण में कमी : पहले के मुकाबले अब लोग आइबुप्रोफेन (ibuprofen) जैसी संक्रमण रोधी दवाओं का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। इस वजह से भी शरीर का तापमान घट रहा है।

शारीरिक श्रम में कमी : एक अवधारणा ये भी है कि पहले के मुकाबले अब लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो रहा। इसलिए उनके शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए बहुत कम मेहनत करनी पड़ती है। साथ ही पहले के मुकाबले कठोर शारीरिक श्रम में भी कमी आयी है। एसी और हीटर का नियमित प्रयोग भी इसकी वजह हो सकती है। हालांकि, सिमाने लोग इन तकनीकी सुविधाओं से कोसो दूर हैं, लेकिन उनके पास भी पहले के मुकाबले कपड़ों और कंबल आदि की उपलब्धता बढ़ी है।

भारत में भी देखा जा रहा अंतर

नोएडा के सेक्टर 12 में क्लिनिक चलाने वाले डॉ एनके शर्मा के अनुसार उनके पास भी जो मरीज आते हैं, उनके शरीर के सामान्य तापमान में थोड़ा बहुत अंतर रहता है। मौसम और रहन-सहन के हिसाब से भी शरीर का औसत तापमान अलग-अलग रहता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले लोगों के सामान्य तापमान में भी अंतर हो सकता है। इसकी वजह वहां कि जलवायु, साफ-सफाई और लाइफ स्टाइल जैसे फैक्टर हो सकते हैं।

अध्ययन में साफ तौर पर कहा गया है कि शरीर का तापमान घटने की कोई एक वजह नहीं है। इसके कई कारक हैं और ये सभी जीवन स्तर में सुधार की तरफ इशारा करते हैं।

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