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Delhi Police: लापता बच्चों को ढूंढ़ परिवार की खुशियां लौटा रही है दिल्ली पुलिस

बच्चों के लापता होने की शिकायत करने के बाद उनके परिजन किसी अज्ञात स्थान पर रहने लगे थे। जिन्हे तलाशने के लिए पुलिस ने सराय काले खां में अभियान चलाकर बच्चों को और अपने परिजनों की तलाश की।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 04 Nov 2020 07:56 AM (IST)
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प्रोफेशनल तरीके से काम करती है एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम।
नई दिल्ली [गौरव बाजपेई]। लापता बच्चों की तलाश के लिए दिल्ली पुलिस के मुखिया ने पुलिसकर्मियों के प्रोत्साहन के लिए ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन की घोषणा की तो पुलिसकर्मी भी परिवारों की खुशियां लौटाने में जी जान से जुट गए। कहीं सिर्फ परिवार को भगत के परिवार कहे जाने से पता तलाशा गया और कहीं पुआली पत्थर और आशावन गांव की पहचान बन गया। दक्षिण और दक्षिण पूर्वी जिले में शेल्टर होम में रह रहे बच्चों की काउंसिलिंग कर उनके स्वजनों तक पहुंचाने का काम कर रही है। अपने कलेजे के टुकड़ो को वापस पाकर परिजन भी पुलिस के कदमों की सराहना कर रहे हैं। ऑपरेशन मिलाप दिल्ली पुलिस के स्लोगन दिल की पुलिस दिल्ली पुलिस को पूरी तरह सही साबित कर रहा है।

कैसे काम करती है एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम

दक्षिण पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त राजेन्द्र प्रसाद मीणा ने बताया कि दिल्ली और बाहर के अलग-अलग स्थानों से लापता होने वाले किशोरों और बच्चों को बरामद करने वाली टीम उन्हे दिल्ली के शेल्टर होम में दाखिल कर देती है। इस दौरान एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम बच्चों से उनके मूल निवास और घर के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास करती है। जिसे सर्विलांस, स्थानीय पुलिस और गूगल मैप के सहारे ट्रेस किया जाता है। इसके बाद परिजनों को वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिए बच्चे से बात कराई जाती है। पुष्टि होने के बाद महिला एवं बाल आयोग की मौजूदगी में बच्चे को परिजनों के सुपुर्द किया जाता है।

'पुआली पत्थर और आशावन' शब्दों से ढूंढ़ा गांव का पता

रूटीन चेकिंग के दौरान एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम ने कस्तूरबा बालिका आश्रय गृह में पिछले ढाई साल से रह रही किशोरी की काउंसिलिंग शुरू की। किशोरी को उसकी रिश्ते की मौसी घरों में काम कराने के नाम पर लेकर आई थी जहां एक वकील ने उसे गैर कानूनी ढंग से काम कराए जाने को लेकर शेल्टर हाउस प्रबंधन के सुपुर्द कर दिया था। किशोरी ने पुलिस को केवल दो शब्द बताए पुआली पत्थर और आशावन। एएचटीयू टीम ने डिब्रूगढ़ पुलिस से संपर्क किया जहां जानकारी मिली कि आशावन नाम का एक गांव नमरुप थानाक्षेत्र में पड़ता है। स्थानीय पुलिस की सहायता से किशोरी के परिजनों से संपर्क किया। परिजनों की शिनाख्त के बाद किशोरी को उन्हे सौंपने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है।

डोर टू डोर जांच के बाद बच्चों को खोजा

आठ जून 2020 को सनलाइट कॉलोनी से लापता हुए 14 और 8 वर्षीय दो भाइयों को पुलिस ने डोर-टू- डोर अभियान चलाकर ढूंढ़ा। बच्चों के लापता होने की शिकायत करने के बाद उनके परिजन किसी अज्ञात स्थान पर रहने लगे थे। जिन्हे तलाशने के लिए पुलिस ने सराय काले खां में अभियान चलाकर बच्चों को और अपने परिजनों की तलाश की।

लापता की तलाश करने पर मिलेगा आउट ऑफ टर्न प्रमोशन

पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने अपने आदेश में एक साल में 14 साल से कम उम्र के 35 व 8 साल से कम उम्र के 15 यानी 50 गुमशुदा बच्चों को ढूंढने पर पदोन्नति दिए जाने की घोषणा की है। इसमें सिपाही को आउट ऑफ टर्न पदोन्नति देकर हवलदार और हवलदार को एएसआइ बना दिया जाएगा।

दक्षिणी जिले में खोजे गए लापता बच्चे- 34

राजेन्द्र प्रसाद मीणा (पुलिस उपायुक्त, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली) पुलिस कर्मियों को आउट ऑफ टर्न आदेश के प्रोत्साहन के बाद से पुलिसकर्मी नए उत्साह के साथ बच्चों को स्वजनों से मिलाने का काम कर रहे हैं। आगे भी आपरेशन मिलाप के तहत लापता हुए बच्चों तथा किशोरों को उनके परिवार से मिलाने का काम किया जाता रहेगा।

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