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Delhi Nurses on strike: प्रदर्शन कर रही नर्सों ने अस्पताल परिसर में ही की करवा चौथ की पूजा

Delhi Nurses strike उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों में कार्यरत नर्सों को वेतन नहीं मिलने पर 2 दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे अस्पतालों से ओपीडी के साथ अब आपातकालीन सेवा भी ठप हो गई है।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 04 Nov 2020 03:45 PM (IST)
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दिल्ली में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं 600 नर्सें।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हिंदूराव अस्पताल समेत निगम के अन्य अस्पतालों में हड़ताल पर प्रदर्शन कर रही नर्सें धरना स्थल पर करवा चौथ मना रही हैं। इसके लिए नर्सों ने विशेष तौर वेतन नहीं मिलने और वेतन जारी करने की मांग वाली मेंहदी भी लगाई है। अस्पताल परिसर में ही नर्सों ने करवा चौथ की पूजा की और कथा सुनी। 

इससे पहले नर्सिंग यूनियन की अध्यक्ष इंदुमति ने बताया था कि जो नर्से करवा चौथ मनाती है वह धरना स्थल पर उपवास पर रहेगी। वहीं, करवाचौथ की कथा भी सुनेगी।

उल्लेखनीय है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों में कार्यरत नर्सों को वेतन नहीं मिलने पर 2 दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे अस्पतालों से ओपीडी के साथ अब आपातकालीन सेवा भी ठप हो गई है। मंगलवार को हड़ताल के दिन नर्सों ने आपातकालीन सेवा में काम करने वाले डॉक्टरों का काम बंद करा दिया। नर्से अपने नो पे-नो वर्क (जब तक वेतन नहीं तब तक काम नहीं) के मुद्दे पर अड़िग हैं। वहीं, 900 बिस्तरों वाले हिंदूराव अस्पताल में अभी सिर्फ पांच मरीज ही दाखिल हैं। नर्सों का कहना है कि जब तक वेतन नहीं मिलेगा वह अस्पताल को नहीं चलने देंगे।

नगर निगम नर्सिंग यूनियन की अध्यक्ष इंदुमति ने का कहना है कि प्रशासन हमारी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा है इसकी वजह से नर्सों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कभी हमारा वेतन तीन माह देरी से आता है तो कभी चार माह देरी से आता है। इसकी वजह से जो परेशानी हम लोगों को घर चलाने में होती है वो हम ही समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि वेतन खाते में जब तक नहीं आएगा हमारी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी।

हड़ताल को लेकर सोमवार को महापौर जय प्रकाश ने निगम की नर्सों की बैठक बुलाई थी। यह बैठक बेनतीजा रही थी। हड़ताल के चलते हिंदूराव के साथ कस्तूरबा, गिरधारी लाल और राजनबाबू टीबी अस्पताल में आने वाले मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गर्भवती महिलाएं जहां ओपीडी में नहीं दिखा पा रही हैं तो वहीं गंभीर हालत में अस्पताल आने वाले मरीजों को दूसरे अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।

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