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प्रदूषण को लेकर औद्योगिक इकाइयों में चल रहा डंडा, ट्रांसपोर्टरों ने की ग्रीन टैक्स वापस लेने की मांग

कोरोना काल में दिल्ली में व्यवसायिक वाहनों का प्रवेश 50 फीसदी घट गया है जबकि कुंडली मानेसर पलवल Expressway तथा Eastern peripheral way बनने के बाद से दिल्ली में पहले से ही व्यवसायिक वाहनों का प्रवेश काफी कम हो गया है।

By Neel RajputEdited By: Updated: Wed, 04 Nov 2020 10:17 AM (IST)
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पड़ोसी राज्यों और दिल्ली में पराली जलाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ चलाया जा रहा जागरूकता अभियान
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली में वायु प्रदूषण का मामला बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा तमाम कदम उठाए जा रहे हैं रेड लाइट ऑन मीटर ऑफ जैसे आम लोगों को जोड़ने वाले अभियान हैं तो पड़ोसी राज्यों और दिल्ली में पराली जलाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। इसी तरह जनरेटर के इस्तेमाल और तंदूर के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी गई है।  निर्माण के द्वारा प्रदूषण के मामले में कार्रवाई हो रही है। इस बीच दिल्ली सरकार द्वारा औद्योगिक इलाके से वायु प्रदूषण कम करने के लिए वहां सेवा क्षेत्र की गतिविधियों को भी इजाजत दे दी गई है।

कोरोना काल में दिल्ली में व्यवसायिक वाहनों का प्रवेश 50 फीसद घट गया है, जबकि कुंडली, मानेसर, पलवल Expressway और Eastern peripheral way बनने के बाद से दिल्ली में पहले से ही व्यवसायिक वाहनों का प्रवेश काफी कम हो गया है।

दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर कहते हैं कि अब दिल्ली सरकार भी मान रही है कि औद्योगिक व निर्माण प्रदूषण के मुकाबले सड़क से वायु प्रदूषण कम होता है। ऐसे में सरकार को व्यवसायिक वाहनों से वसूले जाने वाले ग्रीन टैक्स से राहत देनी चाहिए।

बता दें कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिसंबर 2015 में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में प्रवेश करते हुए व्यवसायिक वाहनों से ग्रीने टैक्स वसूलने का आदेश दिया था। छोटे व्यावसायिक वाहनों से 1400 रुपये और बड़े वाहनों से 2600 रुपये यह ग्रीन टैक्स वसूले जा रहे हैं। अगर वाहन खाली भी दिल्ली में प्रवेश करता है तो उससे भी 700 और 1400 रुपये वसूले जा रहे हैं। वसूले गए टैक्स का इस्तेमाल प्रदूषण रोकने की गतिविधियों में करना है। हालांकि इस जमा पैसे का उपयोग न होने के भी मामले सामने आते रहे हैं।

राजेंद्र कपूर ने कहा कि अब के हालात में यह टैक्स ट्रांसपोर्टरों का उत्पीड़न करने जैसा है जबकि ट्रांसपोर्ट देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। यह सरकार को समझना चाहिए और इस टैक्स को वापस लेना चाहिए। ऐसा करने पर न सिर्फ माल की ढुलाई का किराया कम होगा बल्कि आम लोगों को इस कोरोना काल में महंगाई से राहत मिलेगी। यह ट्रांसपोर्ट उद्योग को भी गति देने वाला साबित होगा इसलिए सरकार से आग्रह है कि वह ग्रीन टैक्स की वसूली बंद करें।

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