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पढ़िये- दिल्ली के रहने वाले अरशद का कमाल, 16 वर्ष की उम्र में मनवाया प्रतिभा का लोहा

महाराष्ट्र में आयोजित नेशनल गेम्स ट्रैक साइक्लिंग चैंपियनशिप 2019 व 2020 में दो स्वर्ण व एक कांस्य पदक प्राप्त किया था। हाल ही में बड़े भाई आफताब फरीदी ने सबसे तेज रफ्तार से दुनिया का चक्कर लगाने का नया वाजरा वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 05 Nov 2020 07:33 AM (IST)
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दिल्ली के साइक्लिस्ट अरशद की फाइल फोटो।
नई दिल्ली [पुष्पेंद्र कुमार]। बुलंद हौसला हो तो बड़ी से बड़ी जीत हासिल की जा सकती है। यह सिद्ध कर दिखाया है पूर्वी दिल्ली जिले के कांति नगर इलाके में रहने वाले 16 वर्षीय अरशद फरीदी ने। जीवन की पहली साइक्लिंग प्रतियोगिता में मिली हार के बाद अरशद हौसला टूट सा गया, लेकिन कहते हैं न कि कठिन परिश्रम करने वाले कभी हारते नहीं हैं। 2 साल के कठिन परिश्रम का नतीजा यह हुआ है कि असम के गुवाहाटी में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 की साइक्लिंग प्रतियोगिता में दिल्ली के लिए स्वर्ण पदक हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इसके साथ ही अरशद पर्यावरण बचाने के लिए जागो अभियान के तहत लोगों को जागरूक भी करते हैं।

अरशद बताते हैं कि महाराष्ट्र में आयोजित नेशनल गेम्स ट्रैक साइक्लिंग चैंपियनशिप 2019 व 2020 में दो स्वर्ण व एक कांस्य पदक प्राप्त किया था। हाल ही में बड़े भाई आफताब फरीदी ने सबसे तेज रफ्तार से दुनिया का चक्कर लगाने का नया वाजरा वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण व सैनिकों के सम्मान में अपने देश के 27 राज्यों का भ्रमण सिर्फ नौ महीने में पूरा किया। इस तरह सबसे लंबी दूरी तय करने का पुराना रिकॉर्ड तोड़कर उन्होंने अपने नाम एक नया रिकॉर्ड बनाया है।

उन्होंने बताया कि बड़े भाई आफताब से प्रेरणा लेकर खेलो इंडिया यूथ गेम्स साइक्लिंग प्रतियोगिता में पदक हासिल किया है। साथ ही पर्यावरण बचाव को लेकर जागो अभियान के तहत खुद सड़कों पर साइकिल दौड़ा कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक कर रहे हैं, ताकि लोग सार्वजनिक वाहनों की जगह साइकिल से सफर कर खुद को कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से बचा सकें। अरशद का मानना है कि अगर लोग इस अभियान का पालन करेंगे, तो पर्यावरण को बरकरार रखने के साथ लोग अपने स्वास्थ को भी बेहतर रख सकते हैं।

बड़े के मार्गदर्शन से मिली कामयाबी

अरशद बताते हैं कि परिवार में बड़े भैया आफताब फरीदी ने जीवन में आगे बढ़ने के लिए काफी सहयोग किया है। रोजाना सुबह जल्दी उठाकर दौड़ के लिए ले जाया करते थे। बड़े पार्क के अभाव में क्षेत्र की सड़कों पर ही दौड़ लगाने के बाद साइकिलिंग का प्रशिक्षण दिया करते थे। वर्ष 2019 में खेल जगत में खेलो इंडिया यूथ गेम्स की योजना तैयार हुई। इस योजना के तहत भैया ने जैसे-तैसे कर मेरा वहां दाखिला करवा दिया। भैया की मेहनत से ही वहां बेहतर स्टेडियम व अन्य खेल सामग्री की सुविधा मिल रही है। आज उन्हीं के प्रयासों की बदौलत खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 की साइकिलिंग प्रतियोगिता में दिल्ली के लिए स्वर्ण पदक हासिल कर पाया हूं।

जीवन में कभी नहीं तोड़ा अनुशासन

अरशद के कोच प्रमोद शर्मा बताते हैं कि 4 साल से वह अरशद को प्रशिक्षित कर रहे हैं। अब तक अपने जीवन में कभी भी अनुशासन नहीं तोड़ा। उसका अनुशासित व्यवहार व मधुर भाषा व्यक्तित्व देखकर ही पता चलता है कि उसमें बड़ा खिलाड़ी बनने की क्षमता है। वह महज 16 वर्ष का है और अपने मुकाम तक पहुंचने के लिए जी जान से मेहनत करता है।

पर्यावरण संरक्षण पिता से मिली प्रेरणा

अरशद बताते हैं कि वह परिवार के साथ कांति नगर स्थित किराये के मकान में रहते हैं। उन्होंने प्रकृति से इस कदर लगाव का श्रेय पिता हसीद फरीदी को दिया, जो कि एक दुकान पर दर्जी का काम करते हैं। उन्होंने पिता को बचपन से घर से दुकान तक साइकिल पर सफर करते व छत पर लगे पेड़-पौधों की देखभाल करते देखा है। पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा उन्हीं से मिली है।

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