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बाहरी दिल्ली के ग्रामीण इलाके में बदतर होती जा रही सामुदायिक भवनों की हालत

मुंडका के विधायक धर्मपाल लाकड़ा के अनुसार कुछ गांव के लोगों ने उन्हें परेशानी के बारे में बताया नहीं हैं। इसके अलावा सरकार के पास अभी फंड की कमी है। फंड आते ही सामुदायिक भवन से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Fri, 06 Nov 2020 09:40 AM (IST)
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कई सामुदायिक भवनों में बिजली की व्यवस्था नहीं है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सरकार की अंदेखी की वजह से बाहरी दिल्ली के सामुदायिक भवनों की स्थिति दिन ब दिन बद से बदतर होती जा रही है। कोई सामुदायिक भवन सात साल से, कोई आठ साल से तो कोई दस साल से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। भवनों की हालत इतनी दयनीय होने के बावजुद अभी तक किसी ने भी इनकी स्थिति सुधारने की कोशिश नहीं की। गांव के लोगों का कहना है कि नेता आते हैं और लच्छेदार बाते बोलकर चले जाते हैं। समस्या का समाधान कोई नहीं करता या करवाता।

कई सामुदायिक भवनों में बिजली की व्यवस्था नहीं है। खिड़की, दरवाजे क्षतिग्रस्त हो गए हैं और दीवारें गिर गईं हैं। इन भवनों में शादी जैसे कार्यक्रम तो दूर इनकी सफाई और रखरखाव भी नियमित रूप से नहीं हो पा रही है। जर्जर हो रहे औचंदी, कुतुबगढ़, जटखोड़ व बाजितपुर गांव के सामुदायिक भवनों में न ही कोई चौकीदार है और न माली।

कुतुबगढ़ गांव

कुतुबगढ़ गांव निवासी समंद्र सिंह ने बताया कि करीब आठ वर्षों से सामुदायिक भवन बदहाल हालत में है। यहां सफाई भी नहीं की जाती, बिजली भी नहीं है। बिल का भुगतान न करने के कारण कनेक्शन काट दिया गया है। लोगों को इस कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

औचंदी गांव

वहीं, औचंदी गांव निवासी प्रदीप व विक्की ने बताया कि 25 साल पहले सामुदायिक केंद्र का निर्माण करवाया गया था। अब इसकी हालत दयनीय हो चुकी है। हर तरफ गंदगी फैली हुई है। खिड़की, दरवाजे टूटे हुए हैं। स्कूल न खुलने की वजह से आसपास के बच्चे यहां आकर क्रिकेट खेलते हैं। इस कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। महेंद्र कॉलोनी के प्रधान राजबीर सिंह ने बताया कि सामुदायिक भवन कई साल से बंद है। इस कारण लोगों को परेशानी हो रही है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

जटखोड़ गांव

जटखोड़ गांव के रामफल डबास के अनुसार, गांव में सामाजिक, धार्मिक कार्यों की संपन्नता के लिए बनाए गए सामुदायिक भवन में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। चौकीदार का तो पता ही नहीं रहता। हर तरफ गंदगी है, कई फीट लंबी घास उग गई है। कई वर्षों से लावारिस अवस्था में पड़े रहने से शरारती तत्वों ने यहां लगे दरवाजे खिड़की तोड़ दिए हैं।

बाजितपुर गांव

बाजितपुर गांव निवासी विक्रम ठाकरान के अनुसार, सामुदायिक भवन खस्ताहाल है। दीवारें गिर गई हैं। इन दिनों सामुदायिक भवन नशेडिय़ों व असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है। रात के अंधेरे और दिन के उजाले में यहां शराबियों की महफिल जमती है, लेकिन सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

गढ़ी रंढ़ाला

गढ़ी रंढ़ाला के लोगों का कहना है कि गांव के सामुदायिक भवन की छत कभी भी गिर सकती है। घत के लैंटर के सरिये दिख रहे हैं। यहां पर बच्चे खेलने जाते हैं। अगर समय पर इसका पुनर्निर्माण नहीं करवाया तो कभी भी दुर्घटना घट सकती है।

क्या कहते हैं विधायक

मुंडका के विधायक धर्मपाल लाकड़ा के अनुसार, कुछ गांव के लोगों ने उन्हें परेशानी के बारे में बताया नहीं हैं। इसके अलावा सरकार के पास अभी फंड की कमी है। फंड आते ही सामुदायिक भवन से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

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