Delhi: आत्मनिर्भर बन महिलाएं परिवार की आर्थिक स्थिति को कर रहीं मजबूत
कुछ महिलाओं ने सूट बेंचने का काम शुरू किया तो कुछ ने बेड की चाद्दर तो किसी ने मिर्च-मसाले कुछ ने दीवाली पर सजावटी सामान व दीपक कुछ ने चाय पत्ती तो कुछ ने ब्यूटी प्रोडक्ट बेचने का काम शुरू किया है।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 08 Nov 2020 03:25 PM (IST)
नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। अगर इंसान में कुछ करने की चाहत हो तो बड़ी से बड़ी चुनौती भी बुलंद हौसलों के आगे नतमस्तक हो जाती है। सागरपुर में कोरोना महामारी के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहे 20 परिवारों की महिलाओं ने आत्मनिर्भर बन इस बात को साबित किया है। उन्हें आसमान में पंख लगाकर उड़ने का यह हौसला इंद्रप्रस्था सेवा समिति से मिला है। समिति द्वारा चार माह पहले अनलॉक प्रक्रिया के दौरान इन महिलाओं जिसमें रानी राजपूत, सावित्री, भारती, हरिंद्र कौर, प्रीति, सृष्टि, रेखा, दीपाली, परमिला, पुष्पा, अनीता, शीतल, रोशन खातून, नीरा, पूनम, मनीषा मेहता, अहिल्या, सोनम कुमारी, विमला रानी, यशोदा रानी, बिंदु आदि शामिल है को दस हजार रुपये का लोन उपलब्ध कराया और साथ ही मदद भी की ताकि ये अपने हुनर के अनुसार लघु कारोबार की शुरुआत कर आत्मनिर्भर बन सके।
कुछ महिलाओं ने सूट बेंचने का काम शुरू किया तो कुछ ने बेड की चाद्दर तो किसी ने मिर्च-मसाले, कुछ ने दीवाली पर सजावटी सामान व दीपक, कुछ ने चाय पत्ती, तो कुछ ने ब्यूटी प्रोडक्ट बेचने का काम शुरू किया है। वहीं एक ने फल बेचने के रेहड़ी लगाई तो एक ने कपड़ों को प्रेस करने के काम की शुरुआत की। अपने काम को गति देने के लिए इन महिलाओं ने बाजार के मुकाबले मुनाफे का अंतर कम किया, ताकि ग्राहक इनके सामान को खरीदने के लिए प्रेरित हो। आज ये सभी महिलाएं रोजाना 400 से 500 रुपये कमा रही है। जिससे ये अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सक्षम है। इन महिलाओं का यदि ये हौंसला बरकरार रहा तो ये भविष्य में अपने कारोबार का विस्तार कर और महिलाओं को इससे जोड़ सकती है।
शुक्रवार को सागरपुर में हंस पार्क स्थित आर्य समाज मंदिर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भाजपा नजफगढ़ जिला अध्यक्ष विजय सोलंकी व निगम पार्षद पूनम जिंदल ने इन महिलाओं के जज्बे को सलाम करते हुए इन्हें सम्मानित किया। साथ ही महिलाओं ने अपने संघर्ष की गाथा को साझा किया, ताकि और महिलाएं उनसे प्रेरित हो और आगे बढ़े। पूनम जिंदल ने बताया कि शक्ति का नाम ही नारी है। इन महिलाओं के कोई दुकान नहीं है बल्कि ये घर पर रहकर परिवार के साथ अपने कारोबार को भी जिम्मेदारीपूर्वक चला रही है।
इन कारोबारी महिलाओं से जुड़ी महिलाएं इनसे सामान खरीदती है और आगे भी इसका प्रचार कर दूसरों को भी इनसे सामान खरीदने के लिए प्रेरित कर रही है। खास बात यह है कि इन तमाम महिलाओं को कारोबार के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन अब ये अनुभवी हो गई है। उनमें आत्मविश्वास बढ़ा है। भले ही मुनाफा अधिक न हो, लेकिन इतनी तसल्ली रहती है कि धीरे-धीरे अब महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर आत्मनिर्भर हो रही हैं। समिति का कहना है सिलाई में निपुण महिलाओं के लिए आने वाले दिनों में सिलाई यूनिट स्थापित करने की योजना है, जहां बाजार से कुछ कम दाम में महिलाएं सूट व ब्लाउज सिलवा सकेंगी।Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो
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