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Delhi Air Pollution : जहरीली हवा के बीच व्यायाम पहुंचा सकता है नुकसान

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर में हृदय और फेफड़ों को आराम देने की सलाह दी जा रही है। विशेषज्ञों के समूह माइ राइट टू ब्रीद ने हर उम्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य प्रोटोकॉल तैयार किया है।

By Neel RajputEdited By: Updated: Sun, 08 Nov 2020 11:35 AM (IST)
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प्रदूषण के गंभीर स्तर में हृदय और फेफड़ों को आराम देने की सलाह
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली एनसीआर की मौजूदा दमघोंटू हवा में व्यायाम शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। गंभीर स्तर की इस हवा में हृदय और फेफड़ों को आराम देने की सलाह दी गई है। अगर पार्क वगैरह में वर्जिश अथवा सैर की जाती है तो उससे सांस लेने या हृदय गति बढ़ने की आशंका है। 

देश- विदेश के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण विशेषज्ञों तथा कुछ जागरूक नागरिकों के समूह 'माइ राइट टू ब्रीद' (एमआरटीबी) ने प्रदूषण की विभिन्न श्रेणियों के मद्देनजर घर से बाहर की गतिविधियों के लिए एक स्वास्थ्य प्रोटोकॉल तैयार किया है। पहले यह प्रोटोकॉल सामान्य रूप से बनाया गया, फिर इसे उम्र को ध्यान में रखते हुए श्रेणीबद्ध किया गया है। अब इस प्रोटोकॉल को 10 वर्ष से ऊपर की आयु वाले स्वस्थ बच्चों, 10 वर्ष से कम आयु वाले स्वस्थ बच्चों, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं वाले पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 60 वर्ष से ऊपर की आयु वाले बुजुर्गों के लिए तैयार किया गया है।

प्रोटोकॉल के मुताबिक तीसरी श्रेणी में आने वाले बच्चाें और बुजुर्गों को सलाह दी गई है कि हवा की अच्छी और संतोषजनक श्रेणी को छोड़कर शेष सभी श्रेणियों में वह आराम करें। घर से बाहर की गतिविधियां न करें। दूसरी श्रेणी के बच्चों के लिए हवा के खराब होते ही शारीरिक गतिविधियां बंद कर देने की सलाह दी गई है जबकि पहली श्रेणी के बच्चों के लिए सलाह है कि वे हवा के बहुत खराब होते ही घर या स्कूल से बाहर की गतिविधियां रोक दें।

प्रोटोकॉल के मुताबिक जब हवा की गुणवत्ता मध्यम श्रेणी की हो जाती है तो अधिक मेहनत वाली कोई शारीरिक गतिविधि नहीं करनी चाहिए। लंबी दूरी की दौड़, साइकिलिंग और मैराथन से भी बचना चाहिए। इसी तरह जब हवा खराब या बहुत खराब हो जाए तो श्वास दर और हृदय दर को बिल्कुल नहीं बढ़ने देना चाहिए। गंभीर श्रेणी की हवा में हर वर्ग के लोगों को केवल घर के भीतर आराम ही करने की हिदायत दी गई है। यह भी कहा गया है कि जरा सी भी असहजता महसूस होते ही डॉक्टर के पास जाने से परहेज नहीं करना चाहिए।

वायु प्रदूषण इंडेक्स का स्तर और श्रेणी

  • 0 से 50 : अच्छा
  • 50 से 100 : संतोषप्रद
  • 100 से 200 : सामान्य
  • 200 से 300 : खराब
  • 300 से 400 : बहुत खराब
  • 400 से ऊपर : गंभीर
यह स्वास्थ्य प्रोटोकॉल अमेरिका की सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा. गीता सिन्हा तथा पर्यावरण नीति अर्थशास्त्री एवं इंडिकस फाउंडेशन के निदेशक लविश भंडारी द्वारा तैयार किया गया है। इसके माध्यम से बच्चों और बुजुर्गों को बाहरी प्रदूषण के जोखिम से बचाने में मदद मिलेगी।

ऑल इंडिया इंडियन मेडिसिन ग्रेजुएट एसोसिएशन के सदस्य डा. आजाद कुमार ने बताया कि प्रदूषण एक जटिल समस्या है और इससे फेफड़े ही नहीं बल्कि तंत्रिका तंत्र और मानसिक संकाय भी प्रभावित होते हैं। मास्क पहनने से केवल पीएम 2.5 और पीएम 10 के कणों को ही शरीर के भीतर जाने से रोका जा सकता है, वह भी एक सीमा तक ही। जहरीली गैसों के प्रभाव को रोकने में मास्क सक्षम नहीं हैं। इसलिए एक सीमा से अधिक प्रदूषण हो जाने पर घर में कैद हो जाना ही समाधान है।

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