निगमों की हालिया स्थिति का 2022 के आम चुनावों पर पड़ सकता है गहरा असर
दिल्ली के नगर निगमों में वर्ष-2022 में आम चुनाव होने हैं। हालांकि पार्षद इसे बहुत लंबा समय बता रहे हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी की ओर से की गई उस घोषणा ने उनकी धड़कनें बढ़ा दी हैं जिसमें प्रदेश भाजपा ने उनके काम की समीक्षा करने का फैसला लिया है।
By Neel RajputEdited By: Updated: Mon, 09 Nov 2020 10:52 AM (IST)
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरोना काल में निगम के सफाई कर्मचारियों से लेकर शिक्षकों, मालियों, बेलदारों व अधिकारियों ने बेहतरीन कार्य किया है। गली-गली से संक्रमित कूड़ा उठाना हो या फिर सैनिटाइजेशन का कार्य। निगम के कर्मी हर मोर्चे पर खड़े नजर आए और अब भी वे कार्यो में लगे हुए हैं। निगम अधिकारियों को इनकी जितनी प्रशंसा करनी चाहिए उतनी कम है, लेकिन इस प्रशंसा के चक्कर में बीते दिनों निगम ने कोरोना योद्धाओं के लिए सम्मान के लिए पुस्तिका का दो-दो बार विमोचन कर दिया। एक बार स्थायी समिति की बैठक में राजदत्त गहलोत ने इसका विमोचन कर दिया तो बीते सप्ताह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कोरोना से जान गंवाने वाले डॉक्टर के परिवार को निगम में नौकरी देने के लिए पत्र दिया तो महापौर अनामिका से लेकर नेता सदन नरेंद्र चावला ने उसी बुकलेट का गुप्ता के हाथों विमोचन भी करा दिया।
सर्वे से भविष्य पर संकटदिल्ली के तीनों नगर निगमों में वर्ष-2022 में आम चुनाव होने हैं। हालांकि पार्षद इसे बहुत लंबा समय बता रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की ओर से की गई उस घोषणा ने उनकी धड़कनें बढ़ा दी हैं जिसमें प्रदेश भाजपा ने उनके काम की समीक्षा करने का फैसला लिया है। पार्षदों को लगता है कि चुनाव के समय जो होगा सो देखा जाएगा, लेकिन आने वाले महापौर और उप महापौर चुनाव को लेकर स्थिति गंभीर है, क्योंकि निगम के पांच वर्ष के कार्यकाल का यह आखिरी वर्ष होगा जब अप्रैल में तीनों नगर निगमों में भाजपा पार्षदों को यह पद मिलेगा। पार्षद इस बात से भी चिंतित हैं कि उन्हें काम करने के लिए पर्याप्त फंड नहीं मिला, जिसका नुकसान उन्हें सर्वे में भी उठाना पड़ सकता है। हालांकि भाजपा के आंतरिक सर्वे को देखते हुए पार्षदों ने सफाई व्यवस्था पर जोर देने का कार्य शुरू कर दिया है।
कबाड़ी ही ठीक रहेगानिगम के बिगड़ते आर्थिक हालात में अब स्थिति यह आ गई है कि निगम के अधिकारियों को हर काम करने से पहले यह सोचना पड़ता है कि इस कार्य में फंड खर्च होगा या नहीं। अगर खर्च होगा तो कितना। क्या इस फंड को खर्च होने से बचाया जा सकता है। ऐसा ही कुछ उत्तरी निगम की स्थायी समिति की बैठक में हुआ। समिति के अध्यक्ष छैल बिहारी गोस्वामी ने दीपावली से पूर्व चलाए जा रहे खटारा वाहनों को हटाने को लेकर सभी क्षेत्रीय उपायुक्तों से रिपोर्ट देने को कहा। इसमें नरेला जोन की क्षेत्रीय उपायुक्त संगीता बंसल ने कहा कि उनके क्षेत्र में एक ही गाड़ी है। ऐसे में उसे क्रेन से उठाने पर ज्यादा खर्चा आ रहा, इसलिए अब वे कबाड़ी से संपर्क करके गाड़ी वहीं से नीलाम करने की कोशिश में लगी हैं, जिससे निगम की धन की बचत होगी और क्षेत्र की सफाई भी हो सकेगी।
पूर्णकालिक आयुक्त चाहिएएक तो निगम पहले समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन दो निगमों में एक आयुक्त होने से अधिकारियों की समस्या बढ़ती जा रही है। संभवत: उत्तरी निगम का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे निगमायुक्त ज्ञानेश भारती को भी दिक्कतें हो रही होंगी। उत्तरी और दक्षिणी निगम दोनों निगमों की समस्याएं अलग-अलग हैं। इन समस्याओं के निदान के लिए अंदर खाने अलग-अलग आयुक्त की मांग अब जोर पकड़ रही है। दरअसल, दोनों निगमों की स्थायी समिति की बैठकों से लेकर सदन की बैठक में उपस्थित होना और फिर उन मुद्दों को सुनने के साथ उनका समाधान करने के लिए लगातार निगरानी करना एक आयुक्त के लिए मुश्किल भरा कार्य है। वह भी ऐसे हालातों में जब वेतन व नियमतीकरण को लेकर आए दिन हड़ताल होती रहती हो। इसलिए राज निवास से लेकर केंद्रीय गृहमंत्रलय को चाहिए कि वह निगमों की इस समस्या पर ध्यान दे और उत्तरी निगम को पूर्णकालिक आयुक्त दे।Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो
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