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Delhi Air Pollution: दीपावली तक वायु प्रदूषण में सुधार की गुंजाइश नहीं, रेड जोन में दिल्ली-एनसीआर के इलाके

Delhi Air Pollution सफर के मुताबिक दीपावली के बाद भी राहत के लिए तेज हवा का चलना और ठीकठाक बारिश का होना जरूरी है लेकिन लग नहीं रहा है कि हालात में ज्यादा सुधार होने के आसार नहीं हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 11 Nov 2020 09:15 AM (IST)
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दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 22 फीसद।
नई दिल्ली। Delhi Air Pollution:  दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। जहरीली हवा के चलते लोग ठीक से सांस तक नहीं ले रहा है। प्रदूषण के कारण बच्चे और बुजुर्ग अस्पताल तक पहुंच रहे हैं, ज्यादातर लोगों ने सांस की दिक्कत के साथ आंखों में जलन की शिकायत की है। लगातार पिछले 7 दिनों से दिल्ली-एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात बने हुए हैं। बुधवार को हालात में थोड़ा सुधार नजर आया है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 400 से नीचे आ गया है। इसके पीछे हवाओं का चलना है। बुधवार को दिल्ली के पटपड़गंज इलाके में AQI 369 रहा।

इससे  पहले दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के तकरीबन सभी इलाकों में तो वायु गुणवत्ता स्तस (Air Quality Index) 500 तक पहुंच गया।  मंगलवार को स्मॉग और वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली के सभी 36 स्टेशन रेड जोन में रहे। हालात में ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं है। सफर के मुताबिक, दीपावली के बाद भी राहत के लिए तेज हवा का चलना और ठीकठाक बारिश का होना जरूरी है, लेकिन लग नहीं रहा है कि हालात में ज्यादा सुधार होने के आसार हैं। 

वायु प्रदूषण की अधिक गंभीर स्थिति के पीछे मुख्य वजह बारिश न होना

डॉ. डी साहा (सदस्य, विशेषज्ञ समिति, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय) का कहना है कि इस साल वायु प्रदूषण की अधिक गंभीर स्थिति के पीछे एक मुख्य वजह बारिश नहीं होना है, जबकि हवा में नमी काफी है। इससे न तो प्रदूषक तत्व छंट पा रहे हैं और न हवा की रफ्तार बढ़ पा रही है। जब तक हवा की रफ्तार नहीं बढ़ेगी और बारिश नहीं होगी, हालात सामान्य होना मुश्किल- सा ही है।

AQI

  • फरीदाबाद- 448
  • गाजियाबाद- 444
  • ग्रेटर नोएडा- 436
  • गुरुग्राम- 427
  • नोएडा-  455
बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में भी खेतों में पराली जलाने के 2,247 मामले सामने आए हैं। इसी के चलते मंगलवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 22 फीसद रही। हालांकि, दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के पीछे वाहनों का धुंआ भी है। इसके अलावा, कई स्थानीय कारक भी जिम्मेदार हैं।

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