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स्वदेशी व स्वरोजगार अभियान की ओर सेवा बस्ती के लोग उठा रहे कदम, चॉकलेट और मिट्टी के दीयों से रोशन कर रहे घर

कोरोना काल में कई लोगों का रोजगार छिन गया इसलिए सेवा भारती के स्वयंसेवक सेवा बस्ती में लोगों को रोजगार देने के साथ उनके घर को दीपों से जगमग और रोशन कर उनके साथ दिवाली की खुशियां बाटेंगे।

By Neel RajputEdited By: Updated: Wed, 11 Nov 2020 09:38 AM (IST)
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सजावटी वस्तुओं सहित बम, पटाखों की आकृति वाली चॉकलेट भी बना रहे बस्ती के लोग
नई दिल्ली [रितु राणा]। दिवाली यानी दीयों का पर्व। बगैर जगमगाते दीयों के इस पर्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती, तो इस दीवाली सेवा बस्ती के लोग मिट्टी के दीये व सजावटी वस्तुएं बनाकर स्वरोजगार व स्वदेशी अभियान से जुड़कर दूसरों के साथ साथ अपने घर भी रोशन कर रहे हैं। सेवा भारती उन लोगों के घर में खुशियां और रोशनी लाने का प्रयास कर रही है, जो आर्थिक तंगी के चलते इस बार दीवाली का त्योहार मनाने में असमर्थ हैं। कोरोना काल में कई लोगों का रोजगार छिन गया इसलिए सेवा भारती के स्वयंसेवक सेवा बस्ती में लोगों को रोजगार देने के साथ उनके घर को दीपों से जगमग कर उनके साथ दीवाली की खुशियां बाटेंगे। यमुनापार में मंडोली, सेवा धाम, नंदनगरी स्थित सेवा बस्ती में लोग बड़े उत्साह व खुशी के साथ दीये व अन्य सजावटी वस्तुएं बना रहे हैं।

सजावटी वस्तुओं सहित बम, पटाखों की आकृति वाली चॉकलेट भी बना रहे बस्ती के लोग

सेवा बस्ती में महिलाएं अपने हाथों से चॉकलेट बना रही हैं। चॉकलेट की बम व पटाखों की आकृति वाली बनाई जा रही हैं,जो खाने के साथ देखने में भी लाजवाब हैं। 30 चॉकलेट का मूल्य 250 व 21 चॉकलेट का मूल्य 175 है। करीब एक महीने से महिलाएं करवाचौथ व दीवाली के लिए दीये, मटके, शुभ दीपावली आदि हस्तनिर्मित सजावटी वस्तुएं बना रही हैं। सेवा भारती दिल्ली प्रांत सचिव सुशील ने बताया कि इस बार वह सेवा बस्ती में घर घर जाकर लोगों के साथ दीवाली मनाएंगे। उन्होंने कहा कि इस दीवाली पर मिट्टी के दीये ही जलाएं। अगर हम मिट्टी के दीये जलाएंगे तो इससे सैकड़ों जरूरतमंद लोगों के घर भी रोशन हो जाएंगे।

भीख मांगने वाले बच्चों ने भी बनाए दीये

सुशील ने बताया कि झंडेवालान के पास सड़क पर उन्हें कुछ बच्चे भीख मांगते दिखे। उन्होंने बच्चों से पूछा कि वह ऐसे कितने रूपये कमा लेते हैं तो बच्चों ने जवाब दिया 200 रुपये, तो सुशील ने उन्हें व उनके अभिभावकों को समझाया और कहा कि हम इन्हें दीये बनाने के 300 रुपये देंगे साथ में रहना और खाना भी, तो उन बच्चों ने भी 10 हजार दीये बनाकर तैयार किए हैं।

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