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Coronavirus News Update: दिल्ली में कोरोना मरीजों के बढ़ते ही अधिकतर आइसीयू बेड भरे

दिल्ली सरकार के कोरोना ऐप के अनुसार वेंटिलेटर वाले आइसीयू बेड 87 फीसद और बिना वेंटिलेटर वाले आइसीयू बेड 83 फीसद तक भर चुके हैं। ऐसे में आने वाले समय में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के लिए दिक्कतें भी आ सकती हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 11 Nov 2020 11:54 AM (IST)
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दिल्ली में 8496 बेड भरे हैं, जबकि 8015 बेड खाली हैं।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होने से तेजी से कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में भी वृद्धि हो रही है। एक ओर जहां कोरोना के मरीजों में इजाफा हुआ है, तो वहीं दिल्ली के अस्पतालों में उपलब्ध बेड की कमी होने लगी है। दरअसल, कोरोना मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध अधिकतर वेंटिलेटर वाले आइसीयू बेड व बिना वेंटिलेटर वाले आइसीयू बेड अब भरने की स्थिति में हैं। दिल्ली सरकार के कोरोना ऐप के अनुसार, वेंटिलेटर वाले आइसीयू बेड 87 फीसद और बिना वेंटिलेटर वाले आइसीयू बेड 83 फीसद तक भर चुके हैं। ऐसे में आने वाले समय में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के लिए दिक्कतें भी आ सकती हैं।

आपको बता दें कि दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए वेंटिलेटर वाले आइसीयू बेड 1270 हैं। इनमें से 1107 बेड भर गए हैं, जबकि सिर्फ 163 बेड ही खाली हैं। वहीं, बिना वेंटिलेटर वाले कुल बेड 2066 हैं। इनमें से 1714 बेड भर चुके हैं, जबकि 352 बेड खाली हैं।

वहीं, अगर कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित सामान्य बेड की बात करें, तो दिल्ली में इनकी संख्या कुल 16511 है। इनमें से 8496 बेड भरे हैं, जबकि 8015 बेड खाली हैं।

बताया जा रहा है कि अस्पतालों में बेड भरने का मुख्य कारण प्रदूषण का स्तर खराब स्थिति में पहुंचने के कारण कोरोना के मामलों का बढ़ना और सांस, दमा और अस्थमा के मरीजों का अस्पतालों में भर्ती होना शामिल है। उल्लेखनीय है कि पिछले करीब एक सप्ताह से दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 700 तक पहुंच गया है, वहीं एनसीआर के कई इलाकों में यह 900 को भी पार कर गया है। प्रदूषण के कारण दिल्ली में लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। 

यह भी जानकारी सामने आ रही है कि आने वाले समय में वायु प्रदूषण के साथ कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या भी बढ़ेगी।

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