कोरोना काल में युवा डिजिटल गेमिंग से शोहरत और पैसे दोनों कमाने में नहीं रहे पीछे
रेड सीयर कंसल्टिंग के एक सर्वे के अनुसार देश में रियल मनी गेमिंग मार्केट के 2022 तक करीब 50 से 55 फीसद की दर से बढ़ने की संभावना है। यह एक तेजी से बढ़ता क्षेत्र है जिसमें फैंटेसी स्पोर्ट्स ईस्पोर्ट्स रियल गेमिंग काफी लोकप्रिय हैं।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 12 Nov 2020 09:58 AM (IST)
नई दिल्ली, अंशु सिंह। कोयंबटूर के वी. एस. रत्नवेल ने सात साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। 10 वर्ष की उम्र में वे ग्रैंडमास्टर बन चुके थे। बावजूद इसके, उन्हें टूर्नामेंट्स खेलने के लिए स्पॉन्सर्स नहीं मिल पाते थे। लेकिन ऑनलाइन गेमिंग टूर्नामेंट्स आज उनके लिए उम्मीद की एक नई किरण बनकर आए हैं। रत्नवेल ने कुछ समय पहले गेमिंग प्लेटफॉर्म मोबाइल प्रीमियर लीग द्वारा आयोजित डिजिटल चेस टूर्नामेंट- चेस महायुद्ध में भाग लिया और उसमें जीत हासिल कर, पांच लाख रुपये की इनाम राशि भी प्राप्त की।
रत्नवेल के अनुसार, मध्यमवर्ग से आने वाले खिलाड़ी के लिए लगातार मैच खेलना आसान नहीं है। स्पॉन्सर्स की दिक्कत हमेशा बनी रहती है। लेकिन डिजिटल टूर्नामेंट्स के शुरू होने से बहुत मदद मिली है। इसी टूर्नामेंट में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले गुजरात के शतरंज खिलाड़ी अंकित राजपाड़ा भी आठ वर्ष की उम्र से शतरंज खेल रहे हैं। अब अडानी ग्रुप ने उनकी स्पॉन्सरशिप भी ले ली है।
क्या है रियल गेमिंग?रियल गेमिंग में गेमर्स को किसी ऑनलाइन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए पहले कुछ पैसे प्रवेश शुल्क के तौर पर लगाने होते हैं। लेकिन इसके बदले में कुछ साल बाद उन्हें अच्छा रिटर्न मिलता है। भारत में रियल मनी गेम्स का पहला दौर अड्डा 52, रमी, पोकर गेम से शुरू हुआ था। बाद में ड्रीम 11, मोबाइल प्रीमियर लीग आदि फैंटेसी गेम्स आए। जानकारों के अनुसार, आने वाले वर्षों में फैंटेसी स्पोर्ट्स का भारतीय बाजार 5 बिलियन डॉलर से ऊपर जा सकता है। फैंटेसी स्पोर्ट्स के अंतर्गत क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबॉल एवं कबड्डी की टीमें बनाई जाती हैं और फिर उन्हें ऑनलाइन या ऑफलाइन खेला जाता है।
गेम डेवलपर्स की बढ़ी मांग युवाओं को ऑनलाइन गेमिंग पहले से भाता रहा है, लेकिन कोविड काल में इसके यूजर्स की संख्या कहीं अधिक बढ़ गई। एक अनुमान के अनुसार, देश के कुल ऑनलाइन गेमर्स में करीब 60 फीसदी की उम्र 18 से 24 वर्ष के बीच है और वे अपने स्मार्टफोन पर गेम्स खेलना पसंद करते हैं। इसने ही ऑनलाइन गेम पब्लिशर्स को मोबाइल ऑडिएंस के लिए नए, क्रिएटिव एवं इनोवेटिव गेम्स लॉन्च करने के लिए प्रेरित किया है। गूगल एवं एपल के प्लेस्टोर पर गेमिंग एप्स की भरमार है। कई डेवलपर्स अब पेटीएमफर्स्टगेम्स, विंजो, एमपीएल जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर बड़े वर्ग तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बदले में डेवलपर्स को अच्छा आर्थिक लाभ भी हो रहा है। इस बढ़ी हुई मांग को देखते कई अंतरराष्ट्रीय गेम डेवलपर्स अब भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की इच्छा दिखा रहे हैं। गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों की मानें, तो एक गेम डेवलपर के लिए मार्केटिंग एवं प्रमोशन पर खर्च करना आसान नहीं होता। लेकिन इन दिनों विभिन्न कंपनियों द्वारा मिल रहे प्लेटफॉर्म से उन्हें आगे बढ़ने का सुनहरा अवसर मिला है। इतना ही नहीं, बाकी इंडस्ट्री की तुलना में गेमिंग इंडस्ट्री में निवेश की कमी नहीं रही। फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार, बीते छह सालों में इस सेक्टर में करीब ४५० मिलियन डॉलर का पूंजी निवेश हुआ है।
ईस्पोर्ट्स से हो रही कमाईईस्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के निदेशक लोकेश सूजी के अनुसार,हाल के दिनों में ईस्पोर्ट्स में भी काफी संभावनाएं दिखाई दी हैं। ईस्पोर्ट्स का मतलब है ऑर्गेनाइज्ड वीडियो गेमिंग कॉम्पिटीशंस। इसकी प्रतिस्पर्धा ऑनलाइन या ऑफलाइन आयोजित की जाती है,जिसे कई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर देखा जा सकता है। इन दिनों ईएथलीट्स करोड़ों में कमाई कर रहे हैं। फेडरेशन की ओर से ईस्पोर्ट्स के इवेंट्स आयोजित किए जाते हैं,जिससे ईएथलीट्स को एक्सपोजर मिलता है। फिलहाल,आइओसी भी इस पर विचार कर रहा है कि इसे कैसे ओलंपिक में शामिल किया जाए। दूसरी ओर,वेंचर कैपिटलिस्ट्स एवं प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टर्स भी इस सेक्टर में निवेश को लेकर गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
अनेक स्तरों पर संभावनाएंगेमिंग इंडस्ट्री में स्किल्ड युवाओं के लिए विभिन्न प्रोफाइल्स पर काम करने के मौके हैं। यहां वे एक गेम डिजाइनर, गेम आर्टिस्ट, गेम इंजीनियर, प्रोग्रामर, सेल्स एक्सपर्ट, गेम टेस्टर आदि के रूप में करियर बना सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, गेम इंजीनियरिंग के लिए आइटी में बीटेक/एमटेक, बीसीए या एमसीए के अलावा सी प्लस प्लस, जावा, आदि लैंग्वेज के साथ सॉफ्टवेयर डिप्लोमा करना होगा। वहीं, गेम डिजाइनिंग के लिए इसमें प्रोफेशनल डिग्री चाहिए होगी। जो युवा गेम आर्ट में दिलचस्पी रखते हैं, वे हायर सेकंड़री के बाद २डी, ३डी एनिमेशन या ग्राफिक डिजाइनिंग कर इसमें करियर बना सकते हैं। जबकि गेम टेस्टर के लिए बीटेक या बीसीए करना होगा। शैक्षिक योग्यता के अलावा जहां तक बेसिक स्किल्स की बात है, तो कैंडिडेट के पास लॉजिकल व विजुअलाइजेशन स्किल, भिन्न गेम प्लेटफॉर्म्स की जानकारी एवं अच्छी संप्रेषण कला होनी चाहिए। पढ़ाई पूरी करने के बाद एक गेम डिजाइनर अथवा इंजीनियर को शुरुआत में साढ़े चार से पांच लाख रुपये सालाना का पैकेज मिल सकता है।
खेल-खेल में कमाईमोबाइल प्रीमियर लीग ग्रोथ ऐंड मार्केटिंग के एसवीपी अभिषेक माधवन ने बताया कि भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री तेजी से उभर रही है। मोबाइल गेमिंग एवं ईस्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म्स इस मौके का अच्छा फायदा भी उठा रहे हैं। हमने भी हाल के दिनों में 90 मिलियन डॉलर का फंड रेज किया है।
मैं मानता हूं कि ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के आने से जहां युवाओं को स्पोर्टिंग स्किल दिखाने का अवसर मिल रहा है। साथ में वे कैश प्राइज के रूप में अच्छी कमाई भी कर रहे हैं। वहीं, इसने मेट्रो के साथ टियर 2 एवं 3 सिटीज के गेम डेवलपर्स को भी अपना टैलेंट दिखाने का अवसर दिया है। युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए हमने डिजिटल स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप जैसी योजनाएं शुरू की हैं। हमारे एप से कोई भी टूर्नामेंट या कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेकर इनाम राशि जीत सकता है।
हाइलाइट्स
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- 2014 में 14 से भी कम संख्या थी गेमिंग कंपनियों की, लेकिन आज भारत के डिजिटल गेमिंग एवं ईस्पोर्ट्स में 140 से अधिक कंपनियां हैं।
- गेमिंग यूजर्स की संख्या 90 मिलियन के आसपास है।
- वर्ष 2022 तक गेमिंग इंडस्ट्री करीब 187 बिलियन रुपये के आसपास की होगी। यह 43 फीसद सीएजीआर की दर से बढ़ रही है।
- भारत में रोजाना औसतन 28 मिनट गेमिंग करते हैं लोग।
- 46 फीसदी यूजर्स मल्टी यूजर गेम खेलते हैं, जबकि 35 फीसद फैंटेसी स्पोर्ट्स।