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पीएम मोदी ने जेएनयू में किया स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण, कहा- विचारधारा राष्ट्र हित में हो, खिलाफ कतई नहीं

पीएम मोदी ने कहा कि स्वामी जी की ये प्रतिमा सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहे। यही मेरी कामना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का युवा दुनियाभर में ब्रांड इंडिया और ब्रांड एम्बेसडर है।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 12 Nov 2020 10:16 PM (IST)
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जवाहर लाल नेहरू की मूर्ति से से लगभग तीन फुट ऊंची है।
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जेएनयू में लगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा छात्रों में ऊर्जा, साहस, करुणा का संचार करेगी व राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव सिखाएगी। उन्होंने कहा कि जेएनयू में छात्र भारत की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था का गंभीरता से विश्लेषण करते रहते हैं। ऐसे में इन छात्रों से बेहतर कौन जानता होगा कि भारत में बदलावों को लेकर क्या-क्या बातें होती थीं, लेकिन अब गुड रिफॉर्म, गुड पॉलिटिक्स हो गया है। इससे पहले उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रहित से ज्यादा तरजीह अपने विचारों को देने की प्रथा ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है। यह सही नहीं है। आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता है, जो स्वाभाविक भी है। लेकिन हमारी विचारधारा, राष्ट्र हित में होनी चाहिए, खिलाफ कतई नहीं। उन्होंने कहा कि इतिहास में जब कभी राष्ट्र के समक्ष कोई संकट आया, सभी विचारधारा के लोग एक साथ खड़े दिखाई दिए। आपातकाल के दौरान देश ने एकजुटता दिखाई। कांग्रेस के पूर्व नेता, कार्यकर्ता, आरएसएस कार्यकर्ता, वामपंथी व जेएनयू से जुड़े लोग एक साथ आए। इसलिए जब राष्ट्र की एकता का प्रश्न हो, तब अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से नुकसान ही होता है। उन्होंने कहा कि जेएनयू के छात्रावास गंगा, कावेरी, सतलुज जैसी नदियों के नाम पर हैं।

इन नदियों की तरह ही छात्र देश के अलग-अलग हिस्सों से विभिन्न विचारों को लेकर आते हैं। विचारों के इस आदान-प्रदान को अविरल बनाए रखना है। कभी सुखने नहीं देना है। हमारा देश महान है, जहां कई विचार फलते-फूलते रहे हैं। इस परंपरा को मजबूत करना बहुत आवश्यक है। पीएम ने छात्रों को सेंस ऑफ ह्यूमर नहीं खोने की भी नसीहत दी।मोदी ने किसानों की जिंदगी बेहतर किए जाने को लेकर उठाए गए कदम भी गिनाए। यह भी कहा कि इससे पहले गरीब को सिर्फ नारे में रखा गया। उसे कभी सिस्टम से जोड़ने की चिंता ही नहीं की गई। उन्होंने नई शिक्षा नीति की चर्चा की। कहा कि इसे लागू करने में शिक्षकों एवं बुद्धिजीवी वर्ग का दायित्व सबसे अधिक है। मोदी ने संबोधन में जेएनयू के साबरमती ढाबे का भी जिक्र किया। कहा, छात्र पढ़ाई करने के बाद यहीं आकर बहस करते हैं। आपके विचारों, बहस की भूख, जो साबरमती ढाबे पर मिटती थी, उसे स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा की छत्रछाया में एक जगह मिली है।

मोदी के भाषण की प्रमुख बातें

  • स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा की छत्रछाया में बहस
  • विचारों का आदान-प्रदान करें छात्र
  • राष्ट्रहित से ज्यादा अपने विचारों को तरजीह देने की प्रथा ने नुकसान पहुंचाया
  • आत्मनिर्भर भारत का मतलब संसाधनों के साथ सोच और संस्कारों में भी आत्मनिर्भरता है।
  • देश का युवा ही दुनिया भर में ब्रांड इंडिया का ब्रांड एंबेसडर है
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