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Delhi: आपातकाल की स्थिति से कैसे आएंगे बाहर, जब मुख्य दरवाजे ही होंगे बंद

एक दरवाजा बंद होने का मतलब है कि एक ही दरवाजे से राहत टीम अंदर भी आएगी और उसी दरवाजे से लोग भी बाहर आएंगे। इस अफरा-तफरी के चलते राहत कार्य देर से शुरू होगा और जान-माल को खतरा अधिक होगा।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Fri, 13 Nov 2020 08:09 AM (IST)
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बड़ा सवाल है कि जब ताले ही लटकाने है तो एक से अधिक गेट बनाने का क्या उद्देश्य है?
 नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। किसी भी आपदा की स्थिति में लोग बहुमंजिला इमारत से सुरक्षित बाहर निकल जाएं, इसके लिए जरूरी है कि इमारत के मुख्य दरवाजे हर समय खुले रहे। पर जमीनी स्तर की बात करें तो अधिकांश सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों व कॉलेजों में दो मुख्य दरवाजों में एक दरवाजा हर समय बंद रहता है। प्रशासन का कहना है कि सुरक्षाकर्मी के अभाव के चलते एक दरवाजा बंद रखना हमारी मजबूरी है। सुरक्षाकर्मी नहीं होने के कारण लोग कहीं से भी गाड़ियां घुसा देते है। प्रशासन की मजबूरी लोगों की जान-माल के लिए खतरा साबित हो रही है। इस बार आपदा प्रबंधन विभाग का साफ कहना है कि आमूमन आपदा की घटना में अधिकांश मौत भागदड़ के चलते होती है।

एक दरवाजा बंद होने का मतलब है कि एक ही दरवाजे से राहत टीम अंदर भी आएगी और उसी दरवाजे से लोग भी बाहर आएंगे। इस अफरा-तफरी के चलते राहत कार्य देर से शुरू होगा और जान-माल को खतरा अधिक होगा। कानून के अनुसार जिन भी कार्यालयों में बाहर जाने के लिए जितने भी दरवाजे है, वे हमेशा खुले रहने चाहिए। जहां तक सुरक्षाकर्मी की बात है, जरूरी नहीं कि गेट पर सुरक्षाकर्मी ही नियुक्त हो प्रशासन गेट पर सिविल डिफेंस कर्मी को नियुक्त कर सकता है।

कापसहेड़ा स्थित दक्षिणी-पश्चिमी जिला उपायुक्त कार्यालय, राजा गार्डन स्थित पश्चिमी जिला उपायुक्त कार्यालय, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पश्चिमी जोन कार्यालय, दिल्ली छावनी अस्पताल, दिल्ली छावनी कार्यालय, शिवाजी कॉलेज, राजधानी कॉलेज, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज, भारती कॉलेज व निगम और सरकारी डिस्पेंसरियों में करीब-करीब ये स्थिति हर कार्यालय, कॉलेज, स्कूल, पुलिस स्टेशन, अस्पताल में देखने को मिलती है। ऐसे में यदि कोई आपदा हो जाएं तो अधिकांश लोग इमारत में ही मर जाएंगे। जब मुख्य दरवाजे ही बंद रहेंगे तो इस लिहाज से लोगों की आपदा प्रबंधन की तैयारी भी धरी की धरी रह जाएगी और जान-माल का नुकसान तय है।

आश्चर्य की जिला आपदा प्रबंधन विभाग का भी इस दिशा में कोई ध्यान नहीं है। समय-समय पर आयोजित होने वाली मॉक ड्रिल में भी इस बात की अनदेखी की जाती है। अधिकारी दबी आवाज में कहते हैं कि प्रत्येक गेट पर तैनात करने के लिए उनके पास सुरक्षाकर्मी नहीं है। ऐसे में बिना सुरक्षाकर्मी के गेट को खुला रखने खतरे से खाली नहीं है। जिसके चलते गेट बंद करना मजबूरी बन गया है। ऐसा में बड़ा सवाल है कि जब ताले ही लटकाने है तो एक से अधिक गेट बनाने का क्या उद्देश्य है?।

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