पाकिस्तानी पति की रिहाई के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची महिला
महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेआर मिधा व न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की पीठ ने साथ ही कहा कि न्यायिक अधिकारी डिटेंशन सेंटर का निरीक्षण कर वहां की स्थिति का आकलन कर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल करें।
By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 13 Nov 2020 09:19 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने जिला न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वह किसी न्यायिक अधिकारी को लामपुर डिटेंशन सेंटर के हालात की जांच के लिए नियुक्त करें। एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेआर मिधा व न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की पीठ ने साथ ही कहा कि न्यायिक अधिकारी डिटेंशन सेंटर का निरीक्षण कर वहां की स्थिति का आकलन कर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल करें। पीठ ने उक्त निर्देशों के साथ सुनवाई 16 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी।
याचिकाकर्ता महिला का पति पाकिस्तान नागरिक है और उसे कोलकाता से नौ साल पहले ऑफिशल सेक्रेट्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। याचिका के अनुसार, महिला के पति की सजा पूरी हो चुकी है। जेल से रिहा करने के बाद उसके पति को अप्रैल माह में लामपुर डिटेंशन सेंटर में भेज दिया गया था।पीड़ित महिला का आरोप है कि लामपुर डिटेंशन सेंटर की स्थिति बदतर है। याचिका में महिला ने कहा कि लामपुर डिटेंशन सेंटर में न तो कोई सुविधा है और न ही यहां पर लोगों को उसके परिवार वालों से मिलने ही दिया जा रहा है। महिला ने कहा कि सेंटर में रहने वालों को चिकित्सा सुविधा भी नहीं दी जा रही है। उसने मांग की है कि उसके पति को रिहा करने का आदेश दिया जाए।
यहां जानिए- क्या होता है डिटेंशन सेंटर सामान्य भाषा में डिटेंशन सेंटर को हिरासत केंद्र का कहा जाता है। यहां पर उन अवैध विदेशी नागरिकों को रखा जाता है, गलत तरीके से देश में दाखिल होने में कामयाब हो जाते हैं। जानकारी के मुताबिक, दि फॉरेनर्स एक्ट के सेक्शन 3(2)(सी) के तहत केंद्र सरकार को यह हक है कि वह अवैध तरीके से देश में दाखिल हुए शख्स को देश से बाहर निकाल सकती है। इसके बाद जिनके पास कागजात नहीं मिलते उन्हें वापस उनके देश भेज दिया जाता है।
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