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जानिए कैसे एक लेटर से दिल्‍ली के 90 फीसद होटल्‍स पर मंडरा रहा बंद होने का खतरा

पहले सरकार के प्रतिनिधियों ने आश्वस्त किया था कि छोटे बजट होटल जो 15 मीटर की ऊंचाई तक के हैं उन्हें अग्निशमन विभाग के नए कानून से राहत मिलेगी लेकिन अब कहा जा रहा है कि 12 से 15 मीटर की ऊंचाई वाले सभी होटल इसकी जद में आएंगे।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Mon, 30 Nov 2020 09:07 AM (IST)
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अग्निशमन विभाग के नोटिस ने होटल कारोबारियों में मचाई खलबली

नई दिल्ली, नेमिष हेमंत। अग्निशमन विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) का जिन्न फिर से दिल्ली के होटल कारोबारियों को परेशान करना शुरू कर दिया है। विभाग ने नए कानून के तहत होटलाें में आग से बचाव के इंतजाम न करने पर सीलिंग का नोटिस थमा रहा है। होटल कारोबारियों के मुताबिक इस कोरोना काल में उनके लिए संभव नहीं है कि वह आठ से 10 लाख रुपये खर्च कर यह सुरक्षा के इंतजाम कर सकें। इसके साथ ही होटल कारोबारी हैरानी जताते हुए कहते हैं कि पहले जिन होटलों को एनओसी मिला था। उन्हें भी अब नोटिस भेजकर अयोग्य करार दिया जा रहा है। ये नोटिस नगर निगम के माध्यम से भेजे जा रहे हैं।

नगर निगमों के जरिए भेजा जा रहा है सीलिंग का नोटिस 

दिल्ली होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप खंडेलवाल ने कहा कि पहाड़गंज, करोलबाग समेत दिल्ली के अन्य स्थानों पर मौजूद करीब 90 फीसद होटल इस फरमान की जद में आ रहे हैं। दिल्ली में तकरीबन 3000 हजार बजट होटल हैं। इससे होटल कारोबारियों में चिंता का माहौल है। पहले से ही लॉकडाउन और कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते होटल उद्योग भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। वहीं, दिल्ली नगर निगम के जरिए अग्निशमन विभाग द्वारा भेजे नोटिस से उनके सामने जीने-मरने की स्थिति पैदा हो रही है। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, उपराज्यपाल के साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर हस्तक्षेप की मांग की है।

हुई सख्ती तो बंद हो जाएगी दिल्ली की 90 फीसद होटल्स

उन्होंने बताया कि इसके पहले सरकार के प्रतिनिधियों ने आश्वस्त किया था कि छोटे बजट होटल जो 15 मीटर की ऊंचाई तक के हैं, उन्हें अग्निशमन विभाग के नए कानून से राहत मिलेगी, लेकिन अब कहा जा रहा है कि 12 से 15 मीटर की ऊंचाई वाले सभी होटल इसकी जद में आएंगे। उन्हें मोनो आक्साइड डिक्टेट, स्प्रिंकल व फायर चेक डोर अनिवार्य रूप से लगाना होगा, जो काफी महंगे हैं। इनका खर्च तकरीबन 10 लाख रुपये तक में है। साथ ही उतनी जगह का न होना और तोड़फोड़ की अलग दिक्कतें हैं। क्योंकि कई होटले दशकों पुराने हैं।

पहाड़गंज के होटल कारोबारी विजय तिवारी ने कहा कि ये नियम देश के किसी अन्य भागों में स्थित होटलों के लिए नहीं है। न ही ये नई दिल्ली नगर पालिका क्षेत्र (एनडीएमसी) में ही लागू है। केवल नगर निगम क्षेत्र में स्थित होटलों के लिए ही यह अनिवार्य बनाया गया है।

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