Farmer Protests: किन रास्तों पर न जाएं या किस रास्ते का करें इस्तेमाल, दिल्ली पुलिस ऐसे दे रही लोगों को जानकारी
Farmer Protests दिल्ली में सभी 15 बॉर्डर पर यातायात पुलिस के जवान तैनात हैं। कई रास्तों के बंद होने से अन्य जगह जाम न लगे इसके लिए भी पुलिस के जवान तैनात हैं। बंद रास्तों के बारे में यातायात पुलिस के ट्विटर हैंडल से जानकारी दी जा रही है।
नई दिल्ली। किसान आंदोलन की वजह से दिल्ली के कई बॉर्डर बंद हो गए हैं। इसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस ने किसानों को निरंकारी मैदान में प्रदर्शन की अनुमति दी हैं, लेकिन किसान अब भी दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हुए हैं। इससे यातायात पुलिस की परेशानी बढ़ गई है। दिल्ली में यातायात और जरूरी वस्तुओं को लेकर दिक्कत न हो, इसको लेकर यातायात पुलिस द्वारा किए गए इंतजाम को लेकर राहुल चौहान ने बाहरी परिक्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) डॉ. अजीत कुमार सिंगला से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
1. दिल्ली में आंदोलन के लिए आए किसानों को लेकर यातायात पुलिस ने क्या व्यवस्था की है?
- दिल्ली में 15 बॉर्डर हैं। सभी पर यातायात पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। कई रास्तों के बंद होने से अन्य जगह जाम न लगे, इसके लिए भी जगह-जगह यातायात पुलिस के जवान तैनात हैं। साथ ही जो रास्ते बंद हैं उनके बारे में लगातार यातायात पुलिस के ट्विटर हैंडल से लोगों को जानकारी दी जा रही है कि वे इन रास्तों पर न जाएं या किस रास्ते का इस्तेमाल करें।
2. दिल्ली में यातायात जाम बड़ी समस्या है। इससे 18 इलाके प्रदूषण के हॉटस्पॉट बन चुके हैं, इनमें सुधार के लिए क्या प्रयास किए गए हैं?
-सभी हॉटस्पॉट पर दो से तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाकर यातायात पुलिस के जवानों की तैनाती की गई है, जिससे यहां जाम न लगे। इसके साथ ही यहां बिना ढके कूड़ा लेकर निकलने वाले वाहनों और अवैध रूप से सड़क पर वाहन खड़ा करने पर भी कार्रवाई की जाती है। इसके साथ ही बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र वाले वाहनों पर भी कार्रवाई की जाती है। इससे अब यहां जाम लगने में कमी आई है।
3. सर्दी में कोहरे की वजह से भी सड़क हादसे होते हैं। अधिकतर मामलों में इनका कारण बिना इंडिकेटर और रिफ्लेक्टर वाले वाहन बनते हैं। इस बाबत क्या कोई विशेष तैयारी है?
- रात को नौ से 12 बजे के बीच सभी सर्कल में यातायात पुलिस वाहनों की जांच करती है। इस दौरान जो भी यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, उसका चालान किया जाता है। बिना रिफ्लेक्टर वाले वाहनों के भी चालान किए जाते हैं। साथ ही लोगों को विज्ञापन के माध्यम से भी जागरूक करने का प्रयास किया जाता है।
4. आंकड़ों में यह देखा गया है कि जिन चौराहों पर यातायात पुलिस की मौजूदगी नहीं होती है, उन पर ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं, ऐसे चौराहों पर क्या व्यवस्था होनी चाहिए?
-यातायात पुलिस के संख्या बल को देखते हुए अधिकतम चौराहों पर यातायात पुलिस की तैनाती करने की कोशिश की जाती है। किसी भी चौराहे पर 24 घंटे तैनाती करना संभव नहीं है। इसलिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग चौराहों पर तैनाती होती है। साथ ही जोनल अधिकारी भी चौराहों पर जांच करते रहते हैं।
5. रात के समय अधिकतर जगहों पर यातायात पुलिस के जवान तैनात नहीं रहते या जहां रहते हैं, वहां बैरियर से दूर बैठे रहते हैं, इससे वाहन चालक जमकर नियमों का उल्लंघन करते हैं।
-यातायात पुलिस सड़क पर बैरियर नहीं लगाती। रात के समय जब जांच की जाती है तो यातायात पुलिस पूरी मुस्तैदी के साथ नौ से 12 बजे के बीच जांच कर नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई करती है।
6. अवैध वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने में यातायात पुलिस को क्या परिवहन विभाग का सहयोग मिलता है?
-परिवहन विभाग का प्रवर्तन दस्ता अलग है। वह जगह-जगह कार्रवाई करता है। उनके साथ यातायात पुलिस का तालमेल ठीक है। वो अपनी कार्रवाई करते हैं और यातायात पुलिस अपनी कार्रवाई करती है।
7. सड़क सुरक्षा के लिए आवश्यक स्पीड ब्रेकर, सीसीटीवी कैमरे, सफेद पट्टी, स्ट्रीट लाइट, फुट ओवरब्रिज, लाल बत्ती के खराब होने पर इन्हें संबंधित विभागों से सही कराने के लिए यातायात पुलिस कितनी सजग है?
-यातायात पुलिस द्वारा सभी व्यवस्थाओं की समय-समय पर जांच की जाती है और इन्हें दुरुस्त रखा जाता है। इसके अलावा हमारे पास किसी सामाजिक संस्था या इलाके के लोगों द्वारा सड़क सुरक्षा संबंधी कोई कमी बताई जाती है तो उसे जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास किया जाता है।
8. यातायात पुलिस के पास फिलहाल किन संसाधनों की कमी है?
-यातायात पुलिस के पास अधिकतर संसाधन हैं। इसके अलावा अगर कुछ और संसाधन मिलते हैं तो यातायात व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकता है। जिस तरह कुछ इलाकों में सीसीटीवी कैमरे और लाल बत्ती के उल्लंघन को पकड़ने वाले कैमरे लगे हैं। आगे इनकी संख्या बढ़ेगी तो यातायात व्यवस्था ज्यादा मजबूत होगी।
9. यातायात सप्ताह या माह जैसे अभियान साल में एक बार चलाए जाते हैं। क्या आपको लगता है कि इनका लोगों पर कुछ असर होता है, अगर हां तो क्या इनकी संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए?
-यातायात सप्ताह और माह के अलावा सामान्य दिनों में भी सड़क सुरक्षा विभाग द्वारा लोगों को तेज रफ्तार से वाहन न चलाने, अपनी लेन में चलने और लाल बत्ती न तोड़ने के प्रति जागरूक किया जाता है। फर्क बस इतना है कि यातायात सप्ताह के दौरान ये गतिविधियां थोड़ी बढ़ जाती हैं।
10. नए मोटर वाहन अधिनियम में यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने को बढ़ाकर कई गुना किया गया है। क्या इससे लोगों में डर पैदा हुआ है? क्या नियमों के उल्लंघन में कोई कमी आई है?
-निश्चित रूप से जुर्माना बढ़ने से लोग अब नियमों के उल्लंघन से बचते हैं। हालांकि, फिर भी बड़ी संख्या में नियमों का उल्लंघन होता है और लाखों की संख्या में चालान कटते हैं।
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