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दिल्ली में पहली बार हुआ कोरोना मरीज का फेफड़ा प्रत्यारोपण, अमेरिका-चीन के बाद देश के डॉक्‍टरों ने किया कमाल

डॉ. राहुल के मुताबिक दुनिया में कोरोना से संक्रमित कुछ ही मरीजों को फेफड़ा प्रत्यारोपण हुआ है। अमेरिका में दो मरीजों में फेफड़ा प्रत्यारोपण हुआ है। चीन व यूरोप में भी दो-तीन मरीजों में फेफड़ा प्रत्यारोपण किया गया है।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Tue, 01 Dec 2020 06:45 AM (IST)
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दिल्ली में किसी अस्पताल में कोरोना मरीज का फेफड़ा प्रत्यारोपण नहीं हुआ था।

नई दिल्ली, रणविजय सिंह। राजधानी के किसी अस्पताल में पहली बार कोरोना मरीज को फेफड़ा प्रत्यारोपित किया गया है। यह उपलब्धि साकेत स्थित मैक्स अस्पताल के लंग व हार्ट प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. राहुल चंदोला के नेतृत्व में डॉक्टरों ने हासिल की है। इसके लिए शनिवार रात 10 घंटे तक चली सर्जरी में युवक को एक फेफड़ा (दायीं तरफ का) प्रत्यारोपित किया गया। फिलहाल मरीज आइसीयू में भर्ती है। डॉक्टर कहते हैं कि मरीज के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।

डॉ. राहुल के मुताबिक हरदोई निवासी 31 वर्षीय युवक जयपुर में किसी स्टोन कंपनी में मजदूरी करते थे। उन्हें मार्च में कोरोना का संक्रमण हुआ था। हालांकि, उपचार के बाद उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी, लेकिन संक्रमण से दायीं तरफ का फेफड़ा खराब हो गया था। इस वजह से वह लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल में तीन-चार माह तक भर्ती रहे। पिछले दो माह से मैक्स अस्पताल में फालोअप चल रहा था। उन्हें प्रतिमिनट 15 लीटर ऑक्सीजन दी जा रही थी। इसके चलते उनका फेफड़ा बदले जाने का निर्णय लिया गया।

इस बीच जयपुर में 49 साल की एक महिला ब्रेन हेमरेज के कारण ब्रेन डेथ हो गई। इस पर परिजनों ने अंगदान करने का फैसला किया। राष्ट्रीय अंग व ऊतक प्रत्यारोपण केंद्र (नोटो में) ने फेफड़ा मैक्स अस्पताल को, लिवर यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) व एक किडनी आरएमएल अस्पताल को आवंटित कर दी। जयपुर से शनिवार रात नौ बजे विमान से डॉक्टर फेफड़ा, लिवर व किडनी लेकर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। दिल्ली पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर फेफड़ा व लिवर जल्द क्रमश: मैक्स व आइएलबीएस अस्पताल में पहुंचाया।

एक्मो मशीन के सपोर्ट से किया गया प्रत्यारोपण

डॉ. राहुल ने कहा कि ब्रेन डेड व्यक्ति के शरीर से फेफड़ा निकालने के पांच से छह घंटे में प्रत्यारोपण करना जरूरी है। मरीज का ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम था। इस वजह से एक्मो (एक्सट्रा कॉरपोरियल मेम्बरेंस ऑक्सीनेशन) मशीन का सपोर्ट देकर 15 डॉक्टरों की टीम ने फेफड़ा प्रत्यारोपण किया। इस सर्जरी में 25 से 30 लाख रुपया खर्च आता है। मरीज यह खर्च उठाने में सक्षम नहीं है। इसलिए गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से पैसे जुटाए जा रहे हैं, ताकि मरीज की मदद की जा सके।

दुनियाभर में कुछ ही जगह हुआ है कोरोना मरीज में फेफड़ा प्रत्यारोपित

डॉ. राहुल के मुताबिक दुनिया में कोरोना से संक्रमित कुछ ही मरीजों को फेफड़ा प्रत्यारोपण हुआ है। अमेरिका में दो मरीजों में फेफड़ा प्रत्यारोपण हुआ है। चीन व यूरोप में भी दो-तीन मरीजों में फेफड़ा प्रत्यारोपण किया गया है। देश में पहली बार चेन्नई में कोरोना के मरीज को फेफड़ा प्रत्यारोपित किया गया था। वैसे चेन्नई व हैदराबाद में पहले से फेफड़ा प्रत्यारोपण होता रहा है। उत्तर भारत में जून 2017 में पीजीआइ चंडीगढ़ में पहली बार फेफड़ा प्रत्यारोपण किया गया था, लेकिन सर्जरी के दो सप्ताह बाद ही मरीज की मौत हो गई थी। इससे पहले दिल्ली में किसी अस्पताल में फेफड़ा प्रत्यारोपण नहीं हुआ था। इस लिहाज से मैक्स अस्पताल के डॉक्टर इसे बड़ी कामयाबी मान रहे हैं। डॉ. राहुल ने कहा कि उत्तर भारत में पहली बार कोरोना के मरीज को फेफड़ा प्रत्यारोपण किया गया। यदि फेफड़ा प्रत्यारोपण नहीं किया जाता तो मरीज का बच पाना मुश्किल था।

48 वर्षीय मरीज को हुुआ लिवर प्रत्यारोपित

लिवर आइएलबीएस अस्पताल में 48 वर्षीय मरीज को लिवर प्रत्यारोपित किया गया। अस्पताल के लिवर प्रत्याोपण सर्जन डॉ. वी पामेचा ने कहा कि मरीज आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी (ईडब्ल्यूएस) के हैं। गलत खानपान के कारण उनका लिवर खराब हो गया था। किडनी आरएमएल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तकनीकी कारणों से उसे प्रत्यारोपित नहीं किया जा सका।

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