Farmers Protest: किसान आंदोलन में खालिस्तानी आतंकी की सक्रियता के इनपुट पर पुलिस सर्तक
Delhi Farmers Protest दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भी खालिस्तानी समर्थक गुट की एक कॉल की पहचान की थी। उस कॉल में दो लोग किसान आंदोलन के दौरान हत्या जैसी वारदात करने की बात कहते सुने गए थे।
नई दिल्ली, संतोष शर्मा। किसान आंदोलन के दौरान किसान प्रदर्शनकारी की आड़ में खालिस्तानी आतंकी की सक्रियता के इनपुट ने पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है। इसको लेकर पुलिस खासी गंभीर है। स्पेशल सेल के कर्मी सादे कपड़े में किसानों की भीड़ में संदिग्धों पर कड़ी नजर रख रहे हैं।
वहीं, जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी चौकसी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल गत दिनों खुफिया एजेंसियों को इनपुट मिला था कि खालिस्तानी आतंकी समूह और कुछ असमाजिक तत्व किसान आंदोलन को हिंसक बनाने का षडयंत्र रच रहे हैं। उनकी योजना किसानों की भीड़ में शामिल होकर उन्माद फैलाने के साथ ही पुलिस पर हमला करने की है। ताकि प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलते ही स्थिति बेकाबू हो जाए।
वहीं, गत दिनों दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भी खालिस्तानी समर्थक गुट की एक कॉल की पहचान की थी। उस कॉल में दो लोग किसान आंदोलन के दौरान हत्या जैसी वारदात करने की बात कहते सुने गए थे। यह भी कहा गया था कि घटना को अंजाम देने के लिए कुछ लोगों को प्रशिक्षित भी कर दिया गया है।
किसानों ने कानूनों को नहीं समझा: रमेश चंद
इधर, नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद का कहना है कि विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कृषि कानूनों को पूरी तरह समझा नहीं है। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘अगर कृषि कानूनों को लागू किया जाए तो किसानों की आय बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी। कुछ राज्यों में आय दोगुनी तक हो सकती है।’ रमेश चंद ने नए कानूनों को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों का खंडन किया। उन्होंने कांट्रैक्ट फार्मिग पर चिंताओं को लेकर कहा, ‘कई राज्यों में कांट्रैक्ट फार्मिग हो रही है और आज तक एक भी मामला ऐसा नहीं आया है कि किसी निजी कंपनी ने किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया।’ नीति आयोग के सदस्य ने प्याज निर्यात पर लगने वाले प्रतिबंधों पर भी विचार रखा। उन्होंने कहा, ‘हम प्याज की कीमतें 100 रुपये किलो नहीं जाने दे सकते, वह भी ऐसे समय में जबकि किसान प्याज नहीं बेच रहे हैं। बाजार में 60 से 70 फीसद प्याज अप्रैल-मई में आ जाती है। इसलिए निर्यात रोककर सरकार प्याज उत्पादकों के लिए कुछ बहुत बुरा नहीं कर रही है। वैसे भी ऐसा प्रतिबंध कुछ विशेष परिस्थितियों में ही लगाया जाता है।’
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