पेड़ों का ट्रांसप्लांट नहीं हो रहा कामयाब, बरतनी होगी सावधानियां
द्वारका निवासी व पर्यावरणविद सेल्वराजन ने बताया कि पिछले दिनों द्वारका सेक्टर 23 में ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों को देखने पहुंचा तो देखकर बहुत निराशा हुई। कई पेड़ सूख चुके हैं तो कई सूखने के कगार पर हैं।
पश्चिमी दिल्ली, जागरण संवाददाता। द्वारका एक्सप्रेस वे निर्माण के दौरान हजारों पेड़ों के ट्रांसप्लांट करने की नौबत आ गई। इसमें से करीब चार हजार पेड़ ट्रांसप्लांट किए गए हैं, जिसमें से बीस फीसद सूख चुके हैं। साथ ही अभी जो हैं उनकी हालत भी ठीक नहीं कही जा सकती है। इस संबंध में पर्यावरणविद का कहना है कि किसी भी देश में बड़े स्तर पर ट्रांसप्लांटेशन सफल नहीं रहा है। क्योंकि ट्रांसप्लांट करने के दौरान कई सावधानियां बरतनी पड़ती है। वह एक-दो पौधों के लिए तो ठीक है, लेकिन जब हजारों पेड़ों की बात आती है तो सभी पेड़ों को जीवित रखना कठिन हो जाता है।
द्वारका निवासी व पर्यावरणविद सेल्वराजन ने बताया कि पिछले दिनों द्वारका सेक्टर 23 में ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों को देखने पहुंचा तो देखकर बहुत निराशा हुई। कई पेड़ सूख चुके हैं तो कई सूखने के कगार पर हैं। इस संबंध में अन्य देशों के बारे में भी पता करने की कोशिश की तो मुझे सिर्फ हांगकांग में ट्रांसप्लांट पॉलिसी देखने को मिली। वहां भी बड़े स्तर पर पेड़ों काे ट्रांसप्लांट नहीं किया जाता है। ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अगर बड़े स्तर पर पेड़ों काे ट्रांसप्लांट किया जा रहा है तो उसे जिंदा रखना एक गंभीर चुनौती है।
उन्होंने कहा कि ट्रांसप्लांट के दौरान सिर्फ गड्ढ़ा कर पेड़ों को लगा देना और सिर्फ पानी देना यह ठीक नहीं है। इस दौरान हमें यह भी देखने की जरूरत है कि जहां पर पेड़ है और जहां ट्रांसप्लांट करना है वहीं की मिट्टी में तो ज्यादा अंतर नहीं है। साथ ही जहां पर पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाए वहां का भूमिगत जल स्तर ठीक होना चाहिए। इसके अलावा हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जहां पर हम पेड़ों को ट्रांसप्लांट कर रहे हैं वहां दीमक का तो प्रकोप नहीं है। इसी तरह की कई और सावधानियां हैं जिसका हमें ध्यान रखने की जरूरत है।
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