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Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर की हवा बहुत खराब, अगले कई दिन तक सुधार के आसार नहीं

Delhi Air Pollution भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department) के मुताबिक वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार के लिए सप्ताह भर का इंतजार भी करना पड़ सकता है। अगर हवा की रफ्तार बढ़ जाए तो ही कुछ सुधार संभव है।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 04 Dec 2020 07:54 AM (IST)
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हवा की दिशा तो 10 दिसंबर के बाद ही पर्यावरण के अनुकूल होगी।
नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर वायु प्रदूषण को लेकर हालात गंभीर होने के करीब बढ़ रहे हैं। शुक्रवार सुबह दिल्ली-एनसीआर के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता स्तर बहुत खराब श्रेणी में ही रहा, लोगों ने सांस लेने में परेशानी की भी शिकायत की। उधर, ठंड के साथ कोहरे ने भी वायु प्रदूषण में इजाफा किया है। वहीं, इससे पहले दिल्ली-एनसीआर में बृहस्पतिवार को भी हवा की गुणवत्ता बहुत खराब ही रही। हालांकि, बुधवार की तुलना में इसमें आंशिक सुधार देखा गया, लेकिन एयर क्वालिटी इंडेक्स सभी जगह 300 के पार ही दर्ज हुआ। इसमें पराली की भूमिका नहीं के बराबर रही। बावजूद इसके लोगों को सांस लेने में परेशानी हुई। मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए अगले कई दिन इस स्थिति में सुधार के आसार भी नहीं लग रहे हैं।

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन सफर इंडिया (Safar India under Union Ministry of Earth Sciences) के मुताबिक, बृहस्पतिवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी दो फीसद रही। पंजाब और हरियाणा में पराली जलने की 249 घटनाएं सामने आईं। वहीं, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department) के मुताबिक, वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार के लिए सप्ताह भर का इंतजार भी करना पड़ सकता है। अगर हवा की रफ्तार बढ़ जाए तो ही कुछ सुधार संभव है, क्योंकि हवा की दिशा तो 10 दिसंबर के बाद ही पर्यावरण के अनुकूल होगी।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी एयर बुलेटिन के मुताबिक, दिल्ली का एयर इंडेक्स बृहस्पतिवार को 341 रहा। बुधवार के 373 एयर इंडेक्स के मुकाबले बृहस्पतिवार को इसमें 32 अंकों का इजाफा हुआ। शाम पांच बजे हवा में प्रदूषक कण पीएम 10 की मात्र 270 और पीएम 2.5 कणों की मात्र 170 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही। मानकों के अनुसार हवा में पीएम 10 की मात्र 100 और पीएम 2.5 की मात्र 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। 

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