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Delhi Farmers Protest: किसान आंदोलन से 20 फीसद फैक्ट्रियां बंद, अन्य बंद होने के कगार पर

औद्योगिक क्षेत्रों में जिन फैक्ट्रियों में काम पूरी तरह से ठप हो चुका है उनके कामगार रोटी तक के लिए मोहताज हो रहे हैं। कामगार रोज सुबह इस उम्मीद जाते हैं कि आज उन्हें काम मिल जाएगा। लेकिन उद्यमी उन्हें लौटा दे रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 06 Dec 2020 09:43 AM (IST)
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इलेक्ट्रॉनिक सामान से लेकर केमिकल तैयार करने की फैक्टियां हैं।
बाहरी दिल्ली [संजय सलिल]। नए कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के कारण औद्योगिक क्षेत्रों में कच्चे माल की आपूर्ति पूरी तरह से ठप हो गई है। कच्चे माल के अभाव में फैक्ट्रियों में उत्पादन पर सीधा असर पड़ रहा है। इस कारण 15 से 20 फीसद फैक्ट्रियों बंद हो गईं हैं। इससे न केवल उद्यमियों, बल्कि कामगारों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है।उद्यमियों का कहना है कि आंदोलन के चलते औद्योगिक क्षेत्रों के हालात दिन- प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं।

किसानों के बॉर्डर पर डटने से पूर्व ही जो कच्चा माल मंगवाया गया था, उसी से किसी तरह अब तक कुछ फैक्टि्रयों में काम चल रहा था। लेकिन, जिस तरह से आंदोलन लंबा खिंचता जा रहा है, उससे लगता है कि कच्चे माल के अभाव में ये फैक्ट्रियों भी बंद हो जाएंगी। दरअसल, किसानों के आंदोलन के कारण कच्चे से माल से भरे ट्रक विभिन्न बॉर्डरों पर कई दिनों से फंसे पड़े हैं। उद्यमी लाख कोशिशों के बावजूद ट्रकों को औद्योगिक क्षेत्रों तक ला पाने में नाकाम हो रहे हैं। नरेला, बवाना, वजीरपुर आदि औद्योगिक क्षेत्रों में करीब 25 हजार छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं।

इनमें दैनिक उपयोग की वस्तुएं, इलेक्ट्रॉनिक सामान से लेकर केमिकल तैयार करने की फैक्टियां हैं। नरेला इंस्डस्टि्रयल वेलफेयर कॉम्प्लेक्स के महासचिव आशीष गर्ग ने बताया कि उत्पादों को तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात आदि कई राज्यों से कच्चे माल की आपूर्ति होती है। लेकिन, जब से राजधानी के सिंघु, टीकरी, यूपी गेट आदि बॉर्डरों पर धरना-प्रदर्शन करते हुए बड़ी संख्या में किसान डटे हुए हैं, तब से इन औद्योगिक क्षेत्रों में कच्चे माल की किल्लत हो गई है। यहां आंदोलन शुरू होने से लेकर अब तक एक भी ट्रक कच्चे माल की आपूर्ति नहीं हो सकी है और न ही तैयार उत्पादों को बाजारों में भेजा जा पा रहा है।

इन औद्योगिक क्षेत्रों में तैयार उत्पादों की ज्यादातर खपत दूसरे राज्यों में ही होती है। बवाना औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी मुकेश अग्रवाल ने बताया कि ट्रांसपोर्टर भी दिल्ली के लिए बु¨कग नहीं कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि बॉर्डर बंद है। ऐसे में गाडि़यां कहां फंस जाएं, कुछ कहना मुश्किल है। ऐसे में ऑर्डर देने के बावजूद हमें कच्चे माल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

कामगारों को वापस लौटा रहे उद्यमी

औद्योगिक क्षेत्रों में जिन फैक्ट्रियों में काम पूरी तरह से ठप हो चुका है, उनके कामगार रोटी तक के लिए मोहताज हो रहे हैं। कामगार रोज सुबह इस उम्मीद जाते हैं कि आज उन्हें काम मिल जाएगा। लेकिन, उद्यमी उन्हें लौटा दे रहे हैं। नरेला औद्योगिक क्षेत्र में प्रिंटिंग उद्योग से जुड़े शिव नारायण यादव ने बताया कि कच्चे माल की आपूर्ति नहीं होने के कारण पिछले कई दिनों से काम नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में उन्होंने मजदूरों को छुट्टी दे दी है।

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