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Delhi Farmer Protest: दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में 'टुकड़े टुकड़े गैंग'

कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन में उन्हें समर्थन देने के नाम पर आए दिन नए नए संगठन पहुंच रहे हैं। जिन संगठनों का किसानों या खेतीबाड़ी से कोई सरोकार नहीं है वे भी अपनी राजनीति चमकाने के लिए यहां धमक रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 09 Dec 2020 10:15 AM (IST)
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अतिथि शिक्षक संघ के बैनर तले भी छह लोग केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली से सटे हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को अभी दो सप्ताह भी नहीं हुए हैं, लेकिन यह अपने मकसद से भटकने लगा है। आलम यह है कि अब इस आंदोलन में टुकड़े टुकड़े गैंग ने भी दस्तक दे दी है। गैंग के सदस्य यहां किसान-मजदूर-छात्र एकता के नाम पर शाहीन बाग और आजादी के नारे से जुड़े पोस्टर लगा रहे हैं। हालांकि भारतीय किसान यूनियन ने इससे पल्ला झाड़ लिया है। कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर पिछले 13 दिन से चल रहे किसान आंदोलन में उन्हें समर्थन देने के नाम पर आए दिन नए नए संगठन पहुंच रहे हैं। जिन संगठनों का किसानों या खेतीबाड़ी से कोई सरोकार नहीं है, वे भी अपनी राजनीति चमकाने के लिए यहां धमक रहे हैं। मसलन, मंगलवार को अतिथि शिक्षक संघ के बैनर तले भी छह लोग केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए।

ऑल इंडिया रेलवे मैन्स यूनियन, इंडियन टूरिस्ट ट्रांसपोर्टस एसोसिएशन, क्रांतिकारी युवा संगठन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन के सदस्य भी यहां अपनी दस्तक दे चुके हैं। हद तो तब हो गई जब उस गैंग ने भी किसान आंदोलन में घुसपैठ कर ली, जो देश को ही तोड़ने की बात करता रहा है। वामपंथी विचारधारा वाला यह वही गैंग है, जिसने जेएनयू में भी 'पाकिस्तान जिंदाबाद' और 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' जैसे नारे लगाए थे। शाहीन बाग में भी इसी गैंग के लोग सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। अब वही कुत्सित प्रयास इस आंदोलन में भी शुरू हो गया है।

यहां इस गैंग के सदस्यों ने हाथ से बने हुए पोस्टरों की एक प्रदर्शनी लगाई है। इन पोस्टरों में एक जगह शाहीन बाग को ही सारी दुनिया बताया गया है तो एक पोस्टर में आजादी की बात करते हुए लिखा गया है कि हमें कोई सत्ता, धर्म और राष्ट्र गुलाम नहीं बना सकता। इस गैंग की एक महिला सदस्य कुछ लोगों से यह कहते हुए भी नजर आई कि शाहीन बाग के धरने को तो उठा दिया गया था, लेकिन इस आंदोलन को खत्म करना केंद्र सरकार के लिए आसान न होगा।

वहीं, इस बाबत गुरनाम सिंह चढूनी (प्रदेश अध्यक्ष हरियाणा, भारतीय किसान यूनियन) का कहना है कि  शाहीन बाग और आजादी जैसे मुद्दों से किसानों का कोई सरोकार नहीं है। अगर कोई संगठन हमारी मांगों का समर्थन करता है तो उसका स्वागत है अन्यथा उसके लिए यहां कोई जगह नहीं है। इस पोस्टर प्रदर्शनी के बारे में पता करके इस यहां से हटाया जाएगा। 

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