दिल्ली में कलयुग की 'सीता' ने संकटमोचक बन बचाई ज्वेलर की जान
सीता ने बताया कि जब वह सैर करते हुए लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन के पास पहुंची तो देखा एक व्यक्ति खूनमखून हुए सड़क पर पड़ा है लोगों की भीड़ उसे देख रही है। वह मदद मांग रहा है लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं जा रहा।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Fri, 11 Dec 2020 10:26 AM (IST)
पूर्वी दिल्ली [शुजाउद्दीन]। रामायण में हनुमान जी ने किस तरह से मूर्छित हुए लक्ष्मण जी की जान बचाई थी, यह सभी को मालूम है। लेकिन कलयुग में एक सीता ने संकटमोचक बन सड़क पर खून से लथपथ पड़े एक ज्वेलर की जान बचाई है। सीता ने जब लोगों से मदद मांगी तो सभी ने अपने हाथ खड़े कर दिए। सीता से ज्वेलर का यह दर्द देखा नहीं गया और उन्होंने ज्वेलर को सड़क पर प्राथमिक उपचार दिया। ज्वेलर की छाती को हाथ से दबाया (सीपीआर)।
कपड़े खून ने लथपथ थे, कितनी जगह चाकू से वार किए हैं यह पता नहीं चल पा रहा था। युवती होने की फिक्र न करते हुए सीता ने ज्वेलर के कपड़े उतारे और देखा की घांव कहां-कहां हैं। उनके एक पैर की हड्डी टूटी हुई थी, उस पैर पर कपड़ा बांधा। जहां से खून निकल रहा था, वहां पर भी कपड़े बांधे। एक व्यक्ति से स्वेटर लेकर पहनाया और दूसरे से शोल लेकर उन्हें ओढ़ाई। ऑटो करके ज्वेलर को सही वक्त पर अस्पताल पहुंचाया और उनकी जान बचाई।
राष्ट्रीय स्तर की किक बॉक्सर हैं सीताजान बचाने वाली सीता उर्फ सिया एक छात्रा हैं, साथ ही राष्ट्रीय स्तर की किक बॉक्सर भी हैं। वह शकरपुर इलाके में ही रहती हैं। वह रोज की तरह बुधवार सुबह भी सैर पर निकली थी। सीता ने बताया कि जब वह सैर करते हुए लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन के पास पहुंची तो देखा एक व्यक्ति खूनमखून हुए सड़क पर पड़ा है, लोगों की भीड़ उसे देख रही है। वह मदद मांग रहा है, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं जा रहा। वह घायल व्यक्ति के पास पहुंची और भरोसा दिलाया कि उनके होते हुए उन्हें कुछ नहीं होगा।
लोगों ने कहा पुलिस के चक्कर में नहीं पड़नाउन्होंने बताया कि मौके पर कई पुरुष खड़े थे, उन्होंने उनसे मदद मांगी। लेकिन सभी ने यह दिया कि पुलिस के चक्कर में हमें नहीं पड़ना। ज्वेलर की सांसे अटक रही थी, उन्होंने उन्हें सीपीआर दिया। जब सांसे ठीक से चलने लगी जब उनके कपड़े उतारकर घांव देखे। एक ऑटो किया ज्वेलर और उनके कर्मचारी को उसमें किसी तरह बैठाकर एक निजी अस्पताल लेकर गई। उनका आरोप है कि अस्पताल ने घायलों का इलाज करने से मना कर दिया। इसके बाद वह उन्हें डॉ. हेडगेवार अस्पताल लेकर गई, वहां उन्हें भर्ती किया गया। उनका कहना है कि स्कूल और कॉलेज में उन्हें प्राथमिक उपचार के बारे में बताया गया था, अब जाकर वह काम आया है।Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो
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