कृषि कानूनों को बिना जाने ही हो रहा है विरोध, खेती करने के तौर-तरीकों को बदलें किसान
अनिल सचदेवा का कहना है कि हर क्षेत्र में बदलाव हो रहा है। किसान अब खेती के पुराने तौर-तरीकों को त्याग रहे हैं। अनुबंध के तहत खेती से किसान पहले की अपेक्षा अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। वे करीब एक एकड़ में हरी सब्जियों की जैविक खेती कर रहे हैं।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Fri, 11 Dec 2020 10:56 AM (IST)
बाहरी दिल्ली [धनंजय मिश्र]। नए कृषि कानूनों को बिना जाने ही विरोध हो रहा है। किसान अगर इन कानूनों को जान लेते तो विरोध करने की नौबत नहीं आती। यह कहना है 60 वर्षीय अनिल सचदेवा का। रोहिणी सेक्टर-11 में रहने वाले 60 वर्षीय सचदेवा गत फरवरी में शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वह आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े, वहीं पर उन्होंने जैविक खेती के बारे में जाना। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने लीज पर खेतों को लेकर जैविक खेती शुरू की है। आज वह अपनी फसलों को कंपनियों के साथ ही बाहर भी बेच रहे हैं।
नए कृषि कानूनों पर अनिल सचदेवा का कहना है कि वर्षों बाद कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है। बिना इसकी जानकारी के विरोध किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि तीनों कानून किसानों को यह अवसर देते हैं कि वे अपनी उपज का उचित मूल्य हासिल करने के लिए उसे मंडी के बाहर भी बेच सकें। किसानों के पास फसलों को बेचने के पहले से अधिक विकल्प होंगे। इसके साथ सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह कानून किसानों को बिचौलियों के चंगुल से मुक्ति दिलाएंगे।
एक एकड़ में कर रहे जैविक खेती
अनिल सचदेवा का कहना है कि हर क्षेत्र में बदलाव हो रहा है। किसान अब खेती के पुराने तौर-तरीकों को त्याग रहे हैं। अनुबंध के तहत खेती से किसान पहले की अपेक्षा अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। वे करीब एक एकड़ में हरी सब्जियों की जैविक खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें काफी फायदा हुआ है। उनका कहना है कि अब समय आ गया है कि देश के किसान खेती करने के तौर-तरीकों को बदलें। तीनों कृषि कानून इसीलिए तो बनाए गए हैं।Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो
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