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Delhi: अध्ययन के साथ साथ निरंतर अभ्यास बेहद आवश्यक: प्रो. संजीव शर्मा

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार ने शिरकत की। इन्होंने एक राजा की कहानी के माध्यम से प्रतिभागी शिक्षकों को बताया कि अध्ययन के साथ साथ निरंतर अभ्यास बेहद आवश्यक है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Fri, 11 Dec 2020 12:47 PM (IST)
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सत्र का संचालन डॉ. निरुपमा यादव कर रही थीं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। डीयू के रामानुजन कॉलेज और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी तथा श्रीमती चांदीबाई हिम्मतमल मनसुखानी कॉलेज, उल्हासनगर एवं गंगाधर मेहर यूनिवर्सिटी, संभलपुर, उड़ीसा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित 4 सप्ताह (10दिसंबर 2020से 8 जनवरी 2021)तक चलने वाले संकाय अभिप्रेरणा कार्यक्रम (फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम) के उद्घाटन सत्र में रामानुजन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एस.पी.अग्रवाल ने इस तरह के कार्यक्रमों की वर्तमान दौर में महत्ता पर चर्चा की।इसमें शामिल सभी प्रतिभागियों को शुभकामना देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम से न केवल हमारा बौद्धिक विकास होता है अपितु आत्मिक और मानसिक विकास होता है।

उन्होंने आगे कहा कि अभी तक हमने कोरोना काल में लगभग 70 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया है। गंगाधर मेहर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफ़ेसर एन नागराजू ने नई शिक्षा पद्धति को विश्लेषित कर ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत को स्पष्ट शब्दों में रखा।

इनके पश्चात् कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ विकास गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों और आयोजन समिति को कार्यक्रम के लिए बधाई दी तथा कहा कि एक शिक्षक के लिए सही ट्रेनिंग और सही अवसर उतना ही जरूरी है जितना कि ज्ञान।एससीएचएम कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ मंजू लालवानी पाठक ने कहा कि 21वीं सदी में शिक्षण और शिक्षण पद्धति में बदलाव आए हैं। यह अच्छी बात है कि शिक्षक खुद को नए तरीकों के तहत ढाल रहें है और इसी का नतीजा है कि इस तरह के प्रोग्राम, जो कि शिक्षकों के लिए जरूरी हैं वह हो रहे हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार ने शिरकत की। इन्होंने एक राजा की कहानी के माध्यम से प्रतिभागी शिक्षकों को बताया कि अध्ययन के साथ साथ निरंतर अभ्यास बेहद आवश्यक है। मुख्य अतिथि ने बताया कि स्वाध्याय हमारे लिए बेहद जरूरी है क्योंकि हम जितना अधिक पढ़ते हैं उतना ही अधिक ज्ञान हमारे अंदर संचित होता है और हम उतना ही अपने विद्यार्थियों को दे पाते हैं इसलिए हमें किसी भी एक विशेष विषय तक सीमित न रहकर खुद की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए अन्य चीजों जैसे नाटक कविताएं ग़ज़ल आदि का भी अध्ययन करना चाहिए। कई कवियों और साधु-संतों तथा आचार्यों के उद्घरणों के माध्यम से प्रोफेसर संजीव ने अपने वक्तव्य को पूरा किया और प्रतिभागियों तथा आयोजकों को इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए शुभकामनाएं दीं।

कार्यक्रम के चेयरपर्सन बेहरामपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर आदित्य प्रसाद पाढ़ी ने अरस्तू, न्यूटन आदि वैज्ञानिकों के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए वर्तमान शिक्षा पद्धति में टेक्नोलॉजी के प्रयोग को रेखांकित किया तथा इसकी महत्ता का वर्णन किया। प्रोफ़ेसर पाढ़ी ने प्रतिभागियों से यह भी कहा कि अगर वह उच्चतम शिखर की कल्पना करेंगे और उसे पाने के लिए प्रयास करेंगे तो वह निश्चित ही अपने प्रयासों में सफल होंगे।

अंत में इस एफआईपी के डायरेक्टर डॉ. आलोक रंजन पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आगामी 28 दिनों में देशभर से लगभग 1000 शिक्षकों को शिक्षा में नवीनतम नवाचार के साथ मनोवैज्ञानिक विकास आदि पहलुओं पर जानकारी दी जाएगी। शिक्षा में नवीनतम तकनीक का कैसे उपयोग करें आदि के साथ साथ सांस्कृतिक विकास की भी चर्चा करेंगे। इस सत्र का संचालन डॉ. निरुपमा यादव कर रही थीं।

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