Delhi Weather News: दिल्ली-NCR में कड़ाके की ठंड के बीच मौसम विभाग ने दी राहत देने वाली खबर
स्काईमेट वेदर के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत बताते हैं कि बारिश होने के लिए पश्चिमी विक्षोभों की सक्रियता बहुत जरूरी है। जबकि इस साल सर्दी के दौरान पश्चिमी विक्षोभ बहुत कम आए हैं। जो आए वे भी बहुत मजबूत नहीं रहे।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Fri, 18 Dec 2020 08:55 AM (IST)
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली-एनसीआर में ठंड तो इस समय जोरदार पड़ रही है, लेकिन शायद बारिश दिल्ली से खासी नाराज है। संभवत: यही वजह है कि सर्दी के ढाई माह बीत चुके हैं, लेकिन बारिश 10 फीसद भी नहीं हुई। अभी आने वाले दिनों में भी अच्छी बारिश की कोई संभावना नहीं जताई जा रही। बारिश होने पर ठंड में और इजाफा होने हो सकता है लेकिन लोगों के लिए यह राहत देने वाली बात कही जा सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक, एक अक्टूबर से अभी तक दिल्ली में 38.2 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन हुई है महज 2.2 मिमी। यानी 94 फीसद कम। पालम में अभी तक 23.2 मिमी वर्षा हो जानी चाहिए थी, जबकि हुई केवल 1.8 मिमी। लोधी रोड में 35 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, जबकि हुई केवल 0.3 मिमी। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में भी कमोबेश यही स्थिति बताई जा रही है।
स्काईमेट वेदर के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत बताते हैं कि बारिश होने के लिए पश्चिमी विक्षोभों की सक्रियता बहुत जरूरी है। जबकि इस साल सर्दी के दौरान पश्चिमी विक्षोभ बहुत कम आए हैं। जो आए, वे भी बहुत मजबूत नहीं रहे। अभी आने वाले दिनों में भी कोई मजबूत पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता नजर नहीं आ रहा। लिहाजा, दिसंबर में तो बारिश की कमी पूरी होने की उम्मीद कम ही लगती है।
बारिश न होना किसानों के लिए चिंता की बात
वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रधान कृषि विज्ञानी डाक्टर जेपीएस डबास कहते हैं कि बारिश का न होना या अत्यधिक कम होना फसलों की सेहत के लिए कतई अच्छा नहीं कहा जा सकता। उन्होंने बताया कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां पर फसलों की सिंचाई का बेहतर प्रबंध नहीं है। ऐसे में वहां जौ व सरसों जैसी ऐसी फसलें उगाई जाती हैं जो कम पानी में भी उग जाएं।
इन फसलों और क्षेत्रों के लिए बारिश किसी वरदान से कम नहीं होती। लेकिन इस बार बारिश हो ही नहीं रही है। उन्होंने बताया कि जिन इलाकों में भूजल गुणवत्ता अच्छी नहीं होती, वहां भी बारिश का पानी फसलों के लिए लाभप्रद होता है। जबकि इस बार मौसम की मेहरबानी फसलों पर हो ही नहीं रही है।
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