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Coronavirus impacts on human body: ठीक हुए मरीजों के दिल पर निशान छोड़ रहा है कोरोना

डॉ. अंबुज राय ने बताया कि अभी इसमें और भी शोध की जरूरत है। शुरुआत में यही आशंका थी कि कोरोना फेफड़ों पर असर करता है। लेकिन संक्रमण फैलने के साथ यह भी स्पष्ट होता जा रहा है कि यह शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को भी प्रभावित करता है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Fri, 18 Dec 2020 10:04 AM (IST)
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तीन फीसद मरीजों के दिल के संक्रमित होने की बात सामने आई है।
पूर्वी दिल्ली [स्वदेश कुमार]। कोरोना की चाल भले ही राजधानी में धीमी हुई है लेकिन इसे हल्के में लेना अभी जोखिम भरा है। कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को भी सावधान रहने की जरूरत है। एक शोध में पता चला है कि इस बीमारी पर जीत हासिल करने वाले लोगों के भी दिल की मांसपेशियों में दाग रह जाता है। यह दाग एमआइआर जांच में पता चलता है। इसी तरह के दाग निमोनिया के मरीजों में भी देखने को मिलते हैं। हालांकि भविष्य में मरीज पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका आंकलन नहीं किया गया है। लेकिन शोधकर्ताओं ने सावधानी बरतने की सलाह दी। इससे हृदयाघात की आशंका भी रहती है।

यह शोध विश्वभर के 199 मरीजों पर किया गया है। इसमें करीब 45 फीसद यानी 90 मरीजों की एमआरआइ जांच में दिल की मांसपेशियों में दाग नजर आया। यह दाग कुछ हद तक दिल को कमजोर कर सकता है। पांच फीसद मरीजों के दिल पर दबाव होने का पता चला है। इस दबाव की वजह से हृदयरोगी होने का खतरा रहता है। इसके साथ तीन फीसद मरीजों के दिल के संक्रमित होने की बात सामने आई है।

इस शोध में शामिल रहे एम्स के हृदय रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. अंबुज राय ने बताया कि अभी इसमें और भी शोध की जरूरत है। शुरुआत में यही आशंका थी कि कोरोना फेफड़ों पर असर करता है। लेकिन संक्रमण फैलने के साथ यह भी स्पष्ट होता जा रहा है कि यह शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को भी प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि दिल के रोगियों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि किसी भी तरह का संक्रमण हृदयाघात का कारण बन सकता है। अभी जो शोध हुआ है उसमें भविष्य में किस-किस तरह की दिक्कतें आएंगी, यह कहना मुश्किल है।

राजधानी दिल्ली के मरीजों के संबंध में पूछने पर उन्होंने बताया कि अभी एम्स में भी एक शोध चल रहा है। अभी यह शुरुआती चरण में है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर ही दिल्ली के मरीजों के बारे में कुछ कहा जा सकता है। डॉ. अंबुज राय का कहना है कि संक्रमित मरीज जिस तरह से कोरोना को हराने के लिए दवा लेते हैं, ठीक उसी तरह से पुरानी बीमारियों की दवा भी नियमित तौर पर लेते रहें।

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