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एमएसपी पर गतिरोध हटा तो किसानों काे कानून की खूबियां बताएगा भारतीय किसान संघ

देश के सबसे बड़े किसान संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि हमने भी 450 से अधिक जिलों में धरना दिया था लेकिन वह विवाद रहित और कानून तक ही केंद्रित था। मौजूदा आंदोलन में असली किसान कम असमाजिक तत्व ज्यादा हैं।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Sun, 20 Dec 2020 08:10 AM (IST)
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गतिरोध दूर करने के पक्ष में चौथे कानून के पक्ष में, किसानों से खेतों में होगा सीधे संवाद।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर बने गतिरोध के दूर होने की स्थिति में भारतीय किसान संघ (बीकेएस) किसानों को तीनों कानून की खूबियां बताएगा। देशभर के किसानों को "किसान हित' के साथ "राष्ट्रहित' से जोड़ेगा। सिंघु बार्डर पर चले रहे आंदोलन से दूरी बनाकर चल रहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वैचारिक किसानों का यह संगठन देशभर के किसानों के बीच यह संदेश दे भी रहा है। देश के सबसे बड़े किसान संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि हमने भी 450 से अधिक जिलों में धरना दिया था, लेकिन वह विवाद रहित और कानून तक ही केंद्रित था। मौजूदा आंदोलन में असली किसान कम, असमाजिक तत्व ज्यादा हैं।

असली किसान तो इन दिनों खेतों में है। उन किसानों को अभियान चलाकर हम मौजूदा आंदोलन की असली मंशा बता रहे हैं। जो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में केंद्रित है। उन्होंने कहा कि वैसे, भी बीकेएस आंदाेलन पर नहीं, संवाद के जरिए समस्या के समाधान पर विश्वास रखता है। इसलिए कानून को रद करने की जगह संशोधन पर जोर दे रहा है।

बता देें कि बीकेएस ने सरकार के सामने मौजूदा कानून को लेकर सरकार के सामने चार संशोधन का प्रस्ताव रखा है। जिसमें निजी खरीद पर भी एमएसपी लागू करने की मांग प्रमुख हैं। इसी पर ही गतिरोध बना है। बीकेएस अपनी मांगों को लेकर तीन कानूनों से इतर चौथा कानून बनाने के पक्ष में भी है। बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि सरकार चौथे कानून के जरिए समाधान निकालती है तो इसमें हर्ज नहीं है।

बीकेएस के महाकौशल (मध्य प्रदेश) प्रांत के संवाद प्रमुख अभिषेक वैष्णव ने कहा कि संगठन आंदोलन की जगह किसानों से सीधे संवाद बनाए हुए हैं। सरकार का रुख सकारात्मक है। अगर वह बीकेएस की चारों मांगों को मांग लेती है तो हम देशभर के किसानों को इसकी खूबियां गिनाएंगे। हालांकि, हमारा यह तरीका सम्मेलन या रैली के जरिए नहीं होगा। बल्कि हम सीधे किसानों तक पहुंच बनाएंगे। जो इस तौर-तरीके से नहीं दिखेगा। उन्होंने कहा कि कथित किसान संगठनों के भारत बंद के आह्वान में भी हम तटस्थ थे। क्योंकि, यह किसानों का आंदोलन नहीं रह गया है।

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