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Benefits of Yoga: दिल्ली में बुजुर्गों को योग से निरोग होने का रास्ता दिखा रहे योगाचार्य विद्यालंकर

Benefits of Yoga योगासन पूरे शरीर में रक्त के परिसंचरण को सुधारकर संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखता है और रोग से मुक्त रहने में मदद करता है। बलगम दूर करना आंखों की ग्रंथियां सिर तंत्रिकाएं मस्तिष्क सूखा बलगम छाती व गले के लिए षट्कर्म के अनेक लाभ है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 20 Dec 2020 12:48 PM (IST)
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लोग अपने घरों में रहकर भी योग कर सके।
पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता। Benefits of Yoga: समाज में बहुत से ऐसे लोग होते है, जो दूसरों के लिए जीने में विश्वास रखते है। कुछ ऐसे ही है लक्ष्मी नगर निवासी 35 वर्षीय दानवीर विद्यालंकार। इन्होंने हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी से योग शिक्षा ली और आज नि:स्वार्थ भाव रखते हुए समाज हित में लोगों की सेवा को ही मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मान बैठे है। घर के पास पार्क में बुजुर्ग लोगों को योग विद्या देकर स्वस्थ बनाने का काम कर रहे हैं।

दानवीर विद्यालंकार बाते है कि करीब 16 साल पहले उन्होंने हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी से योग विधियों का कोर्स किया। पढ़ाई के बाद अपने दोस्तों के साथ लक्ष्मी नगर स्थित पार्क में लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए निश्शुल्क षट्कर्म आसन, सूत्रनेती क्रिया व कुंजल क्रिया से इलाज कर शरीर की तमाम बीमारियों से मुक्त करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के चलते लगे लॉकडाउन बाद भी लोगों को फेसबुक के माध्यम से योग करवया। ताकि लोग अपने घरों में रहकर भी योग कर सके।

योग से रोग किया जा सकता है दूर

अब सरकार से अनुमति मिल गई है तो लोग फिर से पार्क में शारीरिक दूरी का पालन कर योग करने पहुंच रहे हैं। साथ ही कहा कि वह पिछले चार साल से अपने दोस्तों के साथ मिलकर रोजाना सुबह वह इलाके के पार्क में कुछ समय निकालकर रोग पीड़ितों को प्राचीन योग विधियों से निरोग करने का काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि प्राचीन योग विधियां एक ऐसी प्राचीन चिकित्सा कला है जिसमें शरीर के तमाम रोगों को दूर किया जा सकता है।

षट्कर्म के है अनेक लाभ

दानवीर विद्यालंकार ने बताया कि यह योगासन पूरे शरीर में रक्त के परिसंचरण को सुधारकर संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखता है और रोग से मुक्त रहने में मदद करता है। बलगम दूर करना, आंखों की ग्रंथियां, सिर तंत्रिकाएं, मस्तिष्क, साइनस रोग, नाक बंद होना, सूखा बलगम, छाती व गले के लिए षट्कर्म के अनेक लाभ है। साथ ही सिर से पांव तक, शरीर के हर हिस्से को षट्कर्म योगासन से लाभ मिलता है। 

षट्कर्म क्रिया में नाक से पेय पदार्थ पीने से शरीर की सभी प्रणालियों जैसे की पाचन, श्रवण प्रजनन, तंत्रिका और अंत: स्रावी ग्रंथि को संतुलित करता है। कुंजल क्रिया में पेय पदार्थ से पेट व आहार नली साफ हो जाती है। इस क्रिया के अभ्यास से तीन अंगों को लाभ मिलता है- पहला जिगर (लीवर), दूसरा हृदय (हार्ट) और तीसरा पेट की आंते (इंटेस्टाइन)। इस क्रिया को करने से व्यक्ति शरीर और मन में बहुत ही अच्छा फिल करता है। व्यक्ति में हमेशा प्रसन्न और स्फूर्ति बनी रहती है।

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