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Liquor in Delhi: सुरक्षित होगी शराब की बोतल, आइआइटी कानपुर देगा मदद

Liquor in Delhi आबकारी विभाग ने तकनीकी राय लेने के लिए आइआइटी कानपुर से मदद मांगी है। जिस पर इस आइआइटी के प्रो दीपक गुप्ता आबकारी विभाग के संपर्क में हैं। प्रो. गुप्ता ने इस कार्य के लिए दो तकनीकी अधिकारी नियुक्त करने का सुझाव दिया था।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 20 Dec 2020 10:22 AM (IST)
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नकली शराब की बोतल पर लेवल भी नकली लगे होते हैं।
नई दिल्ली [वी.के. शुक्ला]। लोगों को दिल्ली में मिलने वाली बोतल की शराब अब पूरी तरह सुरक्षित होगी। इसे पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए आबकारी विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। विभाग ने इसके लिए आइआइटी कानपुर से मदद मांगी है। जिसकी मदद से शराब की बोतल पर लगने वाले लेबल को अपग्रेड किया जाएगा। शराब की बोतलों का नया लेबल आधुनिक सिक्योरिटी तकनीक से निर्मित किया जाएगा। इसे सरकारी कंपनी सिक्योरिटी प्रिटिंग एंड मटिंग कारपोरेशन आफ इंडिया द्वारा तैयार किया जाएगा।

दिल्ली उन राज्यों में शामिल है जहां शराब को सुरक्षित बनाए रखने पर अधिक ध्यान दिया जाता है। मगर पड़ोसी राज्यों में खासकर हरियाणा में शराब सस्ती होने के कारण माफिया वहां से दिल्ली में शराब लाकर बेचने का प्रयास करते हैं। इसके लिए वे तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं। नकली शराब की बोतल पर लेवल भी नकली लगे होते हैं। मगर उन्हें असली शराब की बोतल की तरह प्रस्तुत किया जाता है।

नकली शराब बेचने पर लगेगी लगाम

जानकार बताते हैं कि वर्तमान में भी दिल्ली में नकली शराब की बोतल को असली के तौर पर प्रस्तुत किया जाना संभव नही है। यहां तमाम जांच है। शराब की दुकान पर बोतल स्कैन कर बेची जाती है। मगर आने वाले समय में शराब की जांच व्यवस्था और बेहतर हो जाएगी। इसके अलावा लेबल के ऊपर होने वाली छपाई के लिए भी विशेष इंक उपयोग में लाई जाएगी। शराब की दुकानों पर लगे हुए स्कैनिंग सिस्टम को भी बदला जाएगा। ये सिस्टम केवल विशेष इंक की छपाई वाले लेबल को ही स्कैन करेगा।

आबकारी विभाग ने तकनीकी राय लेने के लिए मांगी आइआइटी कानपुर से मदद

आबकारी विभाग ने तकनीकी राय लेने के लिए आइआइटी कानपुर से मदद मांगी है। जिस पर इस आइआइटी के प्रो दीपक गुप्ता आबकारी विभाग के संपर्क में हैं। प्रो. गुप्ता ने इस कार्य के लिए दो तकनीकी अधिकारी नियुक्त करने का सुझाव दिया था। जिस पर आबकारी विभाग ने आइटी सेल के संयुक्त निदेशक सुभाष गर्ग व सिस्टम एनेलिस्ट मधु यादव को विभाग ने इस परियोजना में जोड़ा है ताकि वे नियमित रूप से इस विषय में आइआइटी कानपुर के साथ तालमेल बनाए रखें। साथ ही टाटा कंसलटेंसी लिमिटेड (टीसीएस) व नेशनल इंफारर्मेटिक्स सेंटर (एनआइसी) को भी इस विशेष लेबल के निर्माण परियोजना में जोड़ा गया है ताकि यह विशेष प्रकार का लेबल तैयार हो सके। माना जा रहा है कि अगले कुछ माह में ही इस लेबल को तैयार कर लिया जाएगा।

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