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हरिनगर अग्निकांड: पत्नी को खोने वाले मुमताज ने बताया कैसे बची बेटे की जान, सुनाई दर्द भरी कहानी

नंदराम रोते हुए कह रहे थे कि आज उनकी पत्नी चीना से आखिरी मुलाकात होगी यह उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था। उन्होंने कहा चीना घर से नौ बजे यह कहते हुए निकली थी कि वह जल्दी घर लौट आएगी।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 20 Dec 2020 02:57 PM (IST)
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हरिनगर स्थित डीडीयू अस्पताल की मोर्चरी के बाहर मृतक के परिजन
पश्चिमी दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। हरिनगर स्थित डीडीयू अस्पताल की मोर्चरी के बाहर शनिवार एक के बाद एक चार शव पहुंचे। उधर शव के पीछे-पीछे स्वजन भी मोर्चरी के बाहर एकत्रित होने शुरू हो गए। इनका रो- रोकर बुरा हाल था। मोर्चरी के बाहर मुमताज की आंखें पत्नी गुड्डी के गम में डबडबाई हुई थीं। मुमताज ने बताया कि जब वह इलाके में रिक्शा चला रहे थे तभी किसी ने उन्हें हादसे के बारे में जानकारी दी। आनन-फानन में वह घटना स्थल पर पहुंचे तो देखा कि उनकी पत्‍‌नी को मलबे से निकालकर कुछ लोग अस्पताल ले जा रहे हैं। उन्हें उम्मीद थी कि वह बच जाएगी, लेकिन ऊपर वाले को ऐसा मंजूर नहीं था।

मुमताज बताते हैं कि जिस फैक्ट्री में गुड्डी काम करती थी, उसी फैक्ट्री में उनका बेटा रिजवान भी काम करता था। आमतौर पर दोनों मां- बेटे साथ साथ ही घर से निकलते थे। लेकिन, शनिवार को रिजवान ने कहा कि वह थोड़ा विलंब से फैक्ट्री जाएगा। अगर वह मां के साथ जाता तो शायद आज वह भी हमारे बीच नहीं होता। इतना कहकर मुमताज खामोश हो जाते हैं।

वहीं, नंदराम रोते हुए कह रहे थे कि आज उनकी पत्नी चीना से आखिरी मुलाकात होगी, यह उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था। उन्होंने कहा, 'चीना घर से नौ बजे यह कहते हुए निकली थी कि वह जल्दी घर लौट आएगी। उसके निकलने के थोड़ी देर बाद मैं भी काम पर निकल गया। तभी किसी का फोन आया कि चीना जिस फैक्ट्री में काम करती है, उसका छज्जा ढह गया है। मैं भागते-भागते सीधे फैक्ट्री पहुंचा। वहां देखा कि काफी लोग एकत्रित हैं। मैं फौरन मलबे व लोहे के सामान के ढेर में अपनी पत्नी को ढूंढने लगा। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद चीना नजर आई।'

इतना कहकर नंदराम एक बार फिर रोने लगे। थोड़ी देर बाद खुद को संभालते हुए उन्होंने कहा कि अब घर में तीन बच्चों को कौन संभालेगा। चीना न सिर्फ बच्चों को संभालती थी, बल्कि परिवार का खर्च चलाने में भी योगदान देती थी। यहां से करीब सात हजार रुपये महीने वेतन मिलता था।

फैक्ट्री वैध या अवैध इसकी होगी जांच

घटनास्थल पर जब पश्चिमी जिला प्रशासन के अधिकारी पहुंचे तो उन्होंने वहां मौजूद निगम के अधिकारियों से जानना चाहा कि यह फैक्ट्री वैध है या अवैध। इस पर निगम के अधिकारी कुछ स्पष्ट नहीं बता पाए। कुछ ने जहां इसे अवैध करार दिया तो कुछ ने इसे नियमित बताया।

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