Delhi Riots 2020: ताहिर हुसैन समेत 6 आरोपितों के खिलाफ उपद्रव मामले में आरोपपत्र पर लिया संज्ञान
कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि भादंसं की धारा 153ए (धर्म भाषा नस्ल के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करने) 505 (अफवाह फैलाना) और आर्म्स एक्ट धारा 27/30 के तहत अभियोग के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा मंजूरी नहीं ली गई है।
By JP YadavEdited By: Updated: Tue, 22 Dec 2020 12:10 PM (IST)
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। दिल्ली दंगे के दौरान दयालपुर इलाके में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने आरोपित ताहिर हुसैन, शाह आलम, तनवीर मलिक, नाजिम, कासिम और गुलफाम के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। कड़कड़डूमा कोर्ट ने उपद्रव, हत्या के प्रयास, आगजनी और साजिश रचने के आरापों के तहत आरोपपत्र पर संज्ञान लिया है। यह कहते हुए कि इन धाराओं में आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं, लेकिन धर्म, भाषा, नस्ल के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करने, अफवाह फैलाने और आर्म्स एक्ट के आरोपों के तहत दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है।
फरवरी में दयालपुर इलाके में हिंसा हुई थी। उसमें पथराव और गोलियां चलाई गई थीं। जिसमें कई लोग घायल हुए थे। इस मामले में दायर आरोपपत्र पर मुख्य महानगर दंडाधिकारी दिनेश कुमार की कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (उपद्रव), 148 (घातक आयुध से सज्जित होकर उपद्रव करना), 149 (विधि विरुद्ध जनसमूह बनाना), 307 (हत्या के प्रयास), 436 (आगजनी) और 120बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत लगए गए आरोपों के मामले में आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए आदेश में कहा कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि आरोपितों ने अपराध को अंजाम दिया और साजिश रची। पृथम दृष्या यह भी प्रतीत होता है कि आरोपितों ने विधि विरुद्ध जनसमूह बनाया।
कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि भादंसं की धारा 153ए (धर्म, भाषा, नस्ल के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करने), 505 (अफवाह फैलाना) और आर्म्स एक्ट धारा 27/30 के तहत अभियोग के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा मंजूरी नहीं ली गई है। इस आरोपों के लिए पर्याप्त साक्ष्य भी नहीं हैं। ऐसे में इन आरोपों के तहत आरोप पत्र पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता। इस मामले से जुड़े आरोपित तनवीर मलिक की जेल की पिटाई के मामले में जेल प्रशासन ने जांच रिपोर्ट कोर्ट में जमा करा दी है।
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