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Delhi Coronavirus News: कोरोना काल में उम्मीद की किरण बना लोकनायक अस्पताल

मार्च से लेकर अब तक लोकनायक अस्पताल में कुल 15293 मरीज भर्ती हुए हैं। इनमें से 11894 मरीज कोरोना संक्रमित थे। बाकी के मरीज कोरोना संदिग्ध व नेगेटिव थे। इनमें संक्रमित मरीजों में से अब तक 10387 मरीज ठीक हो चुके हैं।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Wed, 23 Dec 2020 11:37 AM (IST)
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दिल्ली में स्थिति लोकनायक अस्पताल की फाइल फोटो
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। कोरोना संकट के भंवर में राजधानी जब उलझी तो पतवार की तरह लोकनायक अस्पताल ने न सिर्फ दिल्ली सरकार का साथ दिया। बल्कि संक्रमित मरीजों के लिए भी उम्मीद की किरण बना। इस एक अस्तपाल में अब तक दस हजार से ज्यादा मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। मार्च में जैसे ही दिल्ली के अंदर कोरोना का पहला मामला सामने आया, दिल्ली सरकार ने तत्परता दिखाते हुए लोकनायक को कोविड अस्पताल घोषित कर दिया था। इसके बाद इसमें बेड की संख्या भी बढ़ाकर 2010 की गई। फिर लगातार यहां बड़ी संख्या में मरीजों के भर्ती होने का सिलसिला चलता रहा।

मार्च से लेकर अब तक लोकनायक अस्पताल में कुल 15,293 मरीज भर्ती हुए हैं। इनमें से 11,894 मरीज कोरोना संक्रमित थे। बाकी के मरीज कोरोना संदिग्ध व नेगेटिव थे। इनमें संक्रमित मरीजों में से अब तक 10,387 मरीज ठीक हो चुके हैं। साथ ही अधिकतर मरीज अपने घर भी जा चुके हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि देश के किसी भी सरकारी अस्पताल में भर्ती होने वाले और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या के मामले में लोकनायक सबसे शीर्ष पर है। जब दिल्ली में कोरोना के नए मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे थे, तब यहां प्रतिदिन करीब 100 मरीज भर्ती हो रहे थे।

वहीं, प्रतिदिन 60-70 मरीज ठीक हो रहे थे। अब जैसे ही दिल्ली में कोरोना के मामलों में कमी आई है। लोकनायक में भी मरीजों का दबाव कम हुआ है। फिलहाल अस्पताल में कुल 161 मरीज भर्ती हैं। इनमें से 125 मरीजों में हालत में सुधार है। तीन मरीज वेंटिलेटर पर हैं। वहीं, कुल 2010 बेड में से 1845 बेड खाली हैं। कोरोना मरीजों के दबाव के बीच भी अस्पताल के डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने दिन-रात मेहनत करके मरीजों का इलाज किया। इनमें से आपातकालीन विभाग के डाक्टरों ने ज्यादा मेहनत की। यहां डाक्टरों की संख्या कम होने और मरीजों का दबाव ज्यादा होने के कारण डाक्टरों को क्वारंटाइन होने की सुविधा भी नहीं मिल पाई। इसके बावजूद डाक्टरों ने मेहनत में कोई कमी नहीं रखी।

इसके साथ ही वार्ड में ड्यूटी करने वाले डाक्टरों को 14 दिन मरीजों का इलाज करने के साथ ही 14 दिन क्वारंटाइन होने की सुविधा मिली। इस बीच भर्ती हुए मरीजों में 1900 से ज्यादा मरीजों का डायलिसिस भी किया गया।

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