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दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चे को बोन मैरो प्रत्यारोपण से मिली नई जिंदगी

बोन मैरो प्रत्यारोपण के विशेषज्ञ डॉ. गौरव खारया ने कहा कि जन्म से ही बच्चे के मुंह व पेट से खून निकल रहा था। परिजन उसे इलाज के लिए दुबई के एक अस्पताल में ले गए। जहां उसकी जेनेटिक जांच करने पर रक्त में विकार की बात सामने आई।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 23 Dec 2020 09:30 AM (IST)
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बोन मैरो डोनर मिलना बहुत मुश्किल होता है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने रक्त विकार की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित फिलीपींस के 17 माह के बच्चे का बोन मैरो प्रत्यारोपण कर नई जिंदगी दी। अस्पताल के डाक्टरों का कहना है कि वह बच्चा रक्त विकार की ऐसी बीमारी से पीड़ित था, जिसका मामला पहले कभी नहीं देखा गया। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला है। अस्पताल के बोन मैरो प्रत्यारोपण के विशेषज्ञ डॉ. गौरव खारया ने कहा कि जन्म से ही बच्चे के मुंह व पेट से खून निकल रहा था। परिजन उसे इलाज के लिए दुबई के एक अस्पताल में ले गए। जहां उसकी जेनेटिक जांच करने पर रक्त में विकार की बात सामने आई। यह एक जन्मजात विकार है। इस बीमारी के कारण खून में प्लेटलेट्स की मात्रा बहुत कम थी। इस वजह से रक्त स्त्राव हो रहा था। इस वजह से बच्चे की जान को खतरा था। उसे कई बार खून चढ़ाना पड़ा था। उसका स्थायी इलाज बोन मैरो प्रत्यारोपण ही है, इसलिए परिजन उसे लेकर दिल्ली अपोलो अस्पताल में पहुंचे। बोन मैरो डोनर मिलना बहुत मुश्किल होता है।

जानकारों के मुताबिकस, बोन मैरो प्रत्यारोपण से पहले मरीज और डोनर की एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) जांच की जाती है। लेकिन, पीड़ित बच्चे के परिवार में ऐसा कोई डोनर नहीं था जिससे एचएलए मिलता हो, इसलिए बच्चे की मां से हाफ मैच बोन मैरो प्रत्यारोपण किया गया। इसके दो माह बाद डॉक्टरों को जांच में पता चला कि उसकी मां से लिया गया बोन मैरो कमजोर पड़ रहा है। इस वजह से उसकी मां से कुछ इम्यून सेल्स लेकर बच्चे को दी गई, जिसके एक माह बाद बच्चे का बोन मैरो ठीक से काम करने लगा और बच्चे के शरीर में खून बनने लगा।

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