यूपी के इस शख्स ने ढूंढ़ निकाली मुगल शासक औरंगजेब के भाई दारा शिकोह की कब्र
Dara Shikohs tomb आगरा के पंचकुइयां अशोक नगर के रहने वाले संजीव कुमार सिंह दक्षिणी नगर निगम के हैरिटेज सेल में सहायक अभियंता हैं। दारा शिकोर का व्यक्तित्व बचपन में एक पुस्तक में पढ़ा था उसी समय से दारा से प्रभावित हैं।
By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 24 Dec 2020 08:15 AM (IST)
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) जिन निगम अभियंता की मदद से दारा शिकोह की कब्र ढूंढ़ने के करीब पहुंचा है। ये अभियंता दारा शिकोह की कब्र का स्थान पता लगाने के लिए 40 से अधिक बार हुमायूं के मकबरे में गए और बारीकी से वहां की स्थिति का अध्ययन किया। इससे पहले उन्होंने इसके लिए 200 से अधिक कब्रों की संरचना का अध्ययन किया था। दिल्ली आगरा से लेकर लाहौर तक की कब्रों का ऑनलाइन के माध्यम से संरचना का अध्ययन किया। संजीव सिंह के मुताबिक, आलमगीरनामा से हमें एक कुंजी मिली, इस जानकारी को लेकर 40 से अधिक बार हुमायूं के मकबरे में गए। मकबरे के तहखाने में 150 के करीब कब्र हैं। वहां खोज की। चूंकि इस बात की जानकारी की पुष्टि आलमगीरनामा से हो चुकी थी, इसलिए थोड़ी आसानी हुई।
यूपी के आगरा के रहने वाले हैं संजीव कुमार सिंहआगरा के पंचकुइयां अशोक नगर के रहने वाले संजीव कुमार सिंह दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के हैरिटेज सेल में सहायक अभियंता हैं। दारा शिकोर का व्यक्तित्व बचपन में एक पुस्तक में पढ़ा था, उसी समय से दारा से प्रभावित हैं। दिल्ली में आने के बाद कई बार हुमायूं के मकबरे गए, मगर सवाल यही दिमाग रहा कि दारा की कब्र कौन सी हो सकती है। पांच साल पहले इस बारे में अध्ययन शुरू हुआ, मगर सफलता नहीं मिली। कई किताबें पढ़ीं मगर कुछ जानकारी नहीं मिली। फिर औरंगजेब के जीवन पर फारसी में लिखे गए आलमगीरनामा की आर रुख किया। इसके लिए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फारसी विभाग के अध्यक्ष से इसका हिन्दी में रूपांतरण कराया। आलमगीरनामा मिर्जा काजिम ने लिखा है। काजिम ने इसे 1688 में औरंगजेब को सौंपा था। जिसकी प्रस्तावना में मिर्जा ने लिखा है। मुझे बादशाह का आदेश है कि इतिहास लिखने के बारे में मैं किसी से पूछ सकता हूं। किसी आदेश की प्रति, प्रमाण मांग सकता हूं। कुछ जरूरत पड़ती है तो मैं बादशाह से भी पूछ सकता हूं। प्रस्तावना में लिखा है कि जो भी इसमें लिखा गया है वह बादशाह की नजरों के सामने से भी गुजरा है।
दारा का सिर कलम किया गया या नहीं? इसका जिक्र नहींबता दें कि आलमगीरनामा में औरंगजेब के जीवन काल के 41 सालों का जिक्र है। जिसमें से उसके बादशाह रहने के शुरू के 11 साल का ही इतिहास है। इसके बाद इसे उसने लिखना उसने बंद करा दिया था। इसी आलमगीरनामा में लिखा है कि दारा शिकोर के शव को को हुमायूं के मकबरे में अकबर के बेटे मुराद और डानियाल के साथ दफन कर दिया गया है। जो गुंबद के नीचे है। मुराद की मौत 1599 और डानियाल की मौत 1605 में हुई थी। जबकि दारा शिकोह की 1659 में हत्या की गई थी। आलमगीरनामा में इस बात का जिक्र नहीं है कि दारा का सिर कलम किया गया या नहीं। केवल यह लिखा है कि उनकी जिंदगी का चिराग बुझा दिया गया।
संजीव सिंह बताते हैं कि आलमगीरनामा से हमें एक कुंजी मिली, इस जानकारी को लेकर 40 से अधिक बार हुमायूं के मकबरे में गए। मकबरे के तहखाने में 150 के करीब कब्र हैं। वहां खोज की। चू¨क इस बात की जानकारी की पुष्टि आलमगीरनामा से हो चुकी थी दारा की कब्र गुंबद के नीचे है। इससे काम थोड़ा आसान हो गया। गुंबद के मध्य में हुमायूं की कब्र है। इसके चारों ओर बने पांच कमरों में 11 कब्रे हैं। जिसमें से एक कमरे में तीन कब्रें मिलीं। जिसमें से दो कब्रें अकबर के समय की थीे। ये दोनों मुराद और डानियाल की हैं। इसमें से एक कब्र ऐसी थी जो शाहजहां के समय की थी। इस कब्र के रूप में दारा शिकोह की कब्र के बारे में पहचान हुई है। यहां के पांच कमरों में कुल मिलाकर 11 कब्रें हैं। जिनमें से 10 कब्रें अकबर के समय की हैं। मुझे खुशी है कि पुरातत्वविद् मेरी मेहनत से सहमत हैं। Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो
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