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गुंबद के नीचे 11 में से कौन सी कब्र है दारा शिकोह की, 11 जनवरी को हो जाएगा फैसला

11 जनवरी को मौके पर जाकर कब्र का निरीक्षण कर फैसला लेने का निर्णय लिया है। निगम अभियंता संजीव कुमार सिंह को भी इस निरीक्षण में बुलाया गया है। निरीक्षण के बाद समिति अपनी रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) कों सौंपेगी।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 25 Dec 2020 12:10 PM (IST)
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पद्मश्री आर एस बिष्ट बैठक में शामिल नहीं हो सके।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]  दारा शिकोह की कब्र खोजने को लेकर वर्षों से चल रही कवायद अब अपने आखिरी चरण में पहुंच गई है। सबकुछ उम्मीद के मुताबिक हुआ तो 11 जनवरी को यह स्पष्ट हो जाएगा कि हुमायूं के मकबरे वाले स्थान पर जो कब्र दारा शिकोह की बताई जा रही है। वह उनकी है या फिर नहीं है। दरअसल, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा गठित समिति के एक सदस्य को छोड़कर सभी सदस्यों ने रिपोर्ट पर सहमति जताई है। ऐसे में समिति ने अब 11 जनवरी को मौके पर जाकर कब्र का निरीक्षण कर फैसला लेने का निर्णय लिया है। निगम अभियंता संजीव कुमार सिंह को भी इस निरीक्षण में बुलाया गया है। निरीक्षण के बाद समिति अपनी रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) कों सौंपेगी। बृहस्पतिवार को हुई बैठक में समिति के सदस्य डॉ. बीआर मणि द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को रखा गया। इस रिपोर्ट का पदमश्री डॉ. के के मुहम्मद, केएन दीक्षित, बीएम पांडेय ने समर्थन किया, जबकि पद्मश्री आर एस बिष्ट बैठक में शामिल नहीं हो सके।

सूत्रों का कहना है कि डॉ. मणि की रिपोर्ट में आलमगीरनामा की जानकारी, निगम अभियंता संजीव कुमार सिंह का अध्ययन, पुरातात्विक पक्ष और कब्र की संरचना को शामिल किया गया है। इसमें आलमगीरनामा का जिक्र करते हुए कहा गया है कि हुमायूं के मकबरे में दारा की कब्र गुंबद के नीचे है। इस गुंबद के नीचे 11 कब्र हैं, जिसमें मध्य में हुमायूं की कब्र है। इसके चारों ओर बने कमरों में पांच कब्र महिलाओं की हैं। इसके अलावा एक कमरे में दो कब्र हैं, जिसमें एक महिला जबकि दूसरी पुरुष की है। वहीं एक अन्य कमरे में तीन कब्र बनी हैं। इस कमरे में घुसते ही जो पहली कब्र है वह दारा बताई जा रही है। इसके बाद वाली दोनों कब्र मुराद और डानियाल की हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने जनवरी में हुमायूं के मकबरे में दफन दारा शिकोह की कब्र ढूंढने के लिए कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में एएसआइ से संबंधित पूर्व अधिकारी व देश के बड़े पुरातत्वविद् शामिल हैं। 1659 में दारा की औरंगजेब ने हत्या करवा दी थी।

1969 में पाकिस्तानी लेखक ने भी कब्र के बारे में लिखा था

समिति के सदस्य जमाल हसन के अनुसार 1969 में प्रकाशित हुई पाकिस्तानी लेखक अहमद नवी खान की पुस्तक में भी जिस कब्र को दारा की कब्र बताया गया है। उसे ही निगम अभियंता संजीव कुमार सिंह ने भी दारा की कब्र बताया है। सैयद जमाल हसन ने जो बैठक में कहा रिपोर्ट पर असहमति जताने वाले सदस्य सैयद जमाल हसन ने कहा कि बगैर मौका मुआयना किए कैसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आलमगीरनामा की बात की जा ही है, तो शाहजहांनामा का जिक्र क्यों नहीं किया जा रहा है। उससे भी इस बारे में जानकारी ली जानी चाहिए, मगर उनके इस तथ्य पर अधिकतर सदस्य सहमत नहीं हुए। इधर बैठक के बाद जमाल ने कहा कि जब समिति के सभी सदस्य दिल्ली में हैं। दिल्ली में ही वह कब्र है, तो क्यो न पहले इसे देखा जाए और फिर इस बारे में फैसला लिया जाए।

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