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दारा शिकोह की कब्र की चर्चा के बाद हुमायूं के मकबरे में बढ़े पर्यटक

पर्यटकों का कहना है कि मकबरे में दारा शिकोह की जीवनी के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए। मकबरा देखने पहुंचे आलोक कुमार का कहना था कि हमने बचपन से ही दारा शिकोह का इतिहास पढ़ा है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 27 Dec 2020 10:56 AM (IST)
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हुमायूं के मकबरे में घूमते पर्यटक’ जागरण
नई दिल्ली वी.के.शुक्ला। नगर निगम के अभियंता संजीव सिंह ने हुमायूं के मकबरे में जब से दारा शिकोह की कब्र ढूंढ़ लेने का दावा किया है, तब से मकबरे में पर्यटकों की संख्या बढ़ गई है। मकबरे से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि कारण क्या है उन्हें नहीं मालूम, मगर छह दिनों से प्रतिदिन यहां 10 फीसद से अधिक पर्यटक बढ़ चुके हैं। लोग पूछते भी हैं कि दारा शिकोह की कब्र कौन सी है।

पर्यटकों का कहना है कि मकबरे में दारा शिकोह की जीवनी के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए। मकबरा देखने पहुंचे आलोक कुमार का कहना था कि हमने बचपन से ही दारा शिकोह का इतिहास पढ़ा है। जब यह पता चला कि दारा को यहां दफन किया गया है तब हम यहां घूमने चले आए। उन्होंने कहा कि यहां पर अलग बोर्ड लगाकर दारा की जीवनी पर आधारित जानकारी दी जानी चाहिए।

महरौली निवासी बिट्टू पंडित ने कहा कि अभी आधिकारिक रूप से पता नहीं है कि दारा की कब्र कौन सी है, मगर यह तो कन्फर्म है कि दारा की कब्र हुमायूं के मकबरे में ही है। उन्होंने कहा कि दारा को सम्मान दिया जाना चाहिए। अगर भारत सरकार इस दिशा में कुछ कर रही है तो यह सराहनीय कार्य होगा।

कौन थे दारा शिकोह

दारा शिकोह का जन्म 1615 ई. में शाहजहां की पत्नी मुमताज महल के गर्भ से हुआ था। दारा सूफियों की कादिरी परंपरा से बहुत प्रभावित थे। कादिरी सिलसिले के प्रसिद्ध संत मुल्ला शाह उसके आध्यात्मिक गुरु थे। यह शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र तथा औरंगजेब के बड़े भाई थे। दारा को 1633 में युवराज घोषित किया गया था, मगर शाहजहां के बीमार पड़ने पर औरंगजेब ने दारा को काफिर (धर्मद्रोही) घोषित किया। अंत में 1659 में दिल्ली में औरंगजेब ने उनकी हत्या करवा दी, जिन्हें यहां दफन किया गया है।

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