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Delhi Pollution: ठंड में नहला भी दे रही एंटी स्माग गन, पेट के लिए बंदर भी बन गया इन्सान

दिल्ली में धूल को रोकने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। वहीं 23 एंटी स्माग गन लगाई गई हैं। कुछ दिन पहले ही 5000 लीटर पानी के टैंकर के साथ ट्रक पर एंटी स्माग गन शुरू की गई है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 27 Dec 2020 02:03 PM (IST)
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प्रदूषण कम करने के लिए एंटी स्माग गन से छिड़काव हो रहा
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। राजधानी में इन दिनों स्माग गन देखते ही लोग दौड़ लगाने लगते हैं। दरअसल, प्रदूषण पर अंकुश लगाने और धूल को उड़ने से रोकने के लिए अदालत और एनजीटी के द्वारा लगातार सख्ती बरती जा रही है। ऐसे में दिल्ली में धूल को रोकने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। वहीं 23 एंटी स्माग गन लगाई गई हैं। कुछ दिन पहले ही 5000 लीटर पानी के टैंकर के साथ ट्रक पर एंटी स्माग गन शुरू की गई है। ये ट्रक दिल्ली भर में घूम रहे हैं। इन स्माग गनों का मोटर इतना पावरफुल है कि उससे सड़कों की धुलाई तो हो ही रही है। साथ ही सड़क के किनारे से गुजरने वाले लोगों को भी यह फुहारों से ठंड में नहला दे रही हैं। इसकी वजह से स्माग गन आते ही लोग सड़क पर इधर-उधर भागना शुरू कर देते हैं।

विश्वास जीतने की कोशिश

दिल्ली की सीमाओं पर किसान अभी भी बैठे हुए हैं। इससे आवागमन में लोगों को असुविधा हो रही है, मगर किसान तीनों कृषि कानून वापस लेने से अलग कुछ भी मानने के लिए तैयार नही हैं। आम आदमी पार्टी भी किसानों के समर्थन में उतरी हुई है। आम आदमी पार्टी नेता एक रणनीति के तहत किसानों को मदद दे रहे हैं। यह पहली बार हो रहा है कि दिल्ली सरकार किसानों के लिए सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। बुराड़ी में टेंट लगाए गए हैं। हरियाणा की सीमा पर भी जन सुविधाएं दी जा रही हैं। पार्टी के नेता किसानों की सेवा में बारी-बारी से पहुंच रहे हैं। यहां तक कि खुद मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल किसानों के बीच जा चुके हैं और सरकार द्वारा दी जा रहीं सुविधाओं का निरीक्षण कर चुके हैं। अधिकतर किसान पंजाब के हैं। पार्टी हर मंच पर किसानों का विश्वास जीतने की कोशिश कर रही है।

पेट के लिए बंदर भी बन गया इन्सान

कहते हैं कि पापी पेट का सवाल है। दिल्ली जैसे शहर में नए-नए रोजगार के मौके मिल रहे हैं। इसी तरह का एक रोजगार बंदर बनने का है। इस रोजगार की उत्पत्ति लंगूर के लाल मुंह वाले बंदर भगाने पर प्रतिबंध लगने के बाद से शुरू हुई है। दरअसल, लाल मुंह वाले बंदर लंगूर को देखकर भाग जाते हैं। पहले कई लोगों ने बंदर पाल रखे थे और पैसे लेकर बंदरों से प्रभावित इलाकों में लंगूर को लेकर घूमते थे। इससे बंदर नहीं आते थे या फिर भाग जाते थे, मगर कुछ साल पहले लंगूर के इस तरह के उपयोग पर प्रतिबंध लग गया है। उसके बाद से मानव ही लंगूर की भूमिका निभाते हैं। कुछ ऐसे कुशल लोग हैं, जो लंगूर की आवाज निकालते हैं और बंदरों को भगाते हैं। दिल्ली विधानसभा परिसर में भी मानव लंगूर तैयार किए गए हैं, जो इमारत की छत पर ड्यूटी देते हैं।

दारा शिकोह की कब्र अंदर है तो बाहर किसकी है

हुमायूं के मकबरा में गुंबद के बाहर चबूतरे पर एक कब्र है। इसे वर्षो से दारा शिकोह की कब्र कहा जाता रहा है। इस कब्र का एक भाग अलग है, जिसे गाइड दारा का सिर बताते हैं और कहते हैं कि उनका सिर कलम किया गया था। इसलिए इसे कब्र के सिर के भाग में जोड़ दिया गया है। इस कब्र में प्रिंस के ताज का डिजाइन भी बना है। इसलिए माना जा रहा है कि संगमरमर पत्थर की बनी यह कब्र राजघराने के किसी व्यक्ति की है। औरंगजेब ने अपने भाई दारा को मरवाया था और बादशाह बन गया था। माना जाता है कि इसी के चलते उसने गुंबद के बाहर दारा को दफन करवा दिया होगा। हालांकि, अब मुराद और डानियल के पास बनी तीसरी कब्र को दारा की कब्र बताया जा रहा है, तो अब नया सवाल ये है कि चबूतरे वाली यह कब्र किसकी है।

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