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मैडम तुसाद संग्रहालय में पुतलों को देखने वालों को लगा झटका, अब कनॉट प्लेस में नहीं होगा दीदार

मैडम तुसाद संग्रहालय रीगल बिल्डिंग में दो मंजिल में किराये पर चल रहा था। कनॉट प्लेस से जाने के पीछे आर्थिक तंगी को बड़ी वजह माना जा रहा है। इससे जुड़े लोगों के मुताबिक बंदी के दौर में भी पुतलों के रखरखाव पर खर्च आ रहा था।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Mon, 28 Dec 2020 01:04 PM (IST)
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इनमें हालीवुड के गायक माइकल जैक्सन, लेडी गागा व जस्टिन बीबर के भी पुतले शामिल थे।
नई दिल्ली, नेमिष हेमंत। करीब नौ माह से बंद चल रहा देश का पहला मोम के पुतलों का संग्रहालय मैडम तुसाद कनॉट प्लेस को अलविदा कह गया है। यह संग्रहालय कनॉट प्लेस के प्रतिष्ठित रीगल बिल्डिंग में स्थित था। फिलहाल इसके नए ठिकाने को लेकर इसके संचालकों ने चुप्पी साधी हुई है। इसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली, पूर्व कप्तान कपिल देव, सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, शो मैन राजकपूर, बालीवुड के बादशाह शाहरुख खान, अभिनेत्री कैटरीना कैफे व मधुबाला समेत 50 प्रसिद्ध हस्तियों के मोम के पुतले लोकप्रिय थे। इनमें हालीवुड के गायक माइकल जैक्सन, लेडी गागा व जस्टिन बीबर के भी पुतले शामिल थे।

बता दें कि मैडम तुसाद के संग्रहालय अमेरिका, आस्ट्रेलिया, यूरोप व एशिया में 23 से अधिक शहरों में स्थित हैं। देश में यह पहला संग्रहालय एक दिसंबर, 2018 को खुला था। वैसे, वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लाकडाउन होने से पहले ही यह 20 मार्च से बंद कर दिया गया था। अनलाॅक के दौर में मल्टीप्लेक्स के खुलने के साथ इसके संचालन से जुड़े लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें भी संग्रहालय खोलने की अनुमति मिल जाएगी। इसके लिए जून में ही कोविड-19 को लेकर सरकार के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए तैयारियां कर ली गई थीं, लेकिन संक्रमण के डर से अभी भी सरकार ने संग्रहालयों को खोलने की अनुमति नहीं दी है।

संग्रहालय का संचालन मर्लिन एंटरटेनमेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी करती है। यह रीगल बिल्डिंग में दो मंजिल में किराये पर चल रहा था। कनॉट प्लेस से जाने के पीछे आर्थिक तंगी को बड़ी वजह माना जा रहा है। इससे जुड़े लोगों के मुताबिक बंदी के दौर में भी पुतलों के रखरखाव पर भारी भरकम खर्च आ रहा था। मोम के पुतले होने के कारण पूरे संग्रहालय को एक निश्चित तापमान पर रखा जा रहा था। इसके लिए एयर कंडीशनर (एसी) के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे ताकि ये पुतले पिघलें नहीं। साथ ही पुतलों के बाल, त्वचा व कपड़ों का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा था, जो बीच-बीच में खराब हो जाते थे। इनके रखरखाव में बड़ी टीम लगी हुई थी। ऐसे में बंदी में भी हर माह लाखों रुपये का खर्च आ रहा था।

हालांकि, इसके संचालन से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह स्थान खाली करने की वजह आर्थिक दिक्कतें नहीं, बल्कि जगह की कमी का होना है। दिसंबर के मध्य में रीगल बिल्डिंग को खाली कर दिया गया है। फिलहाल, पुतलों को नोएडा के एक गोदाम में रखा गया है। जल्द ही नए स्थान को लेकर घोषणा की जाएगी। इस बारे में मर्लिन एंटरटेनमेंट्स इंडिया प्राईवेट लिमिटेड के महाप्रबंधक व निदेशक अंशुल जैन से संपर्क करने की कोशिश की गई, पर उन्होंने इस विषय पर कुछ बोलने से इन्कार कर दिया।

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