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अयोध्या में बनेगा राष्ट्र मंदिर, विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार बोले हर धर्म के लोगों से लिया जाएगा सहयोग

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया बस शुरू ही होने वाली है। विश्व हिंदू परिषद धन संग्रह के लिए अब तक का सबसे बड़ा जन अभियान चलाने जा रहा है। यह मकर संक्रांति के शुभ दिन 15 फरवरी से शुरू होकर 27 फरवरी (माघ-पूर्णिमा) तक चलेगा।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Fri, 01 Jan 2021 10:50 AM (IST)
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अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया बस शुरू ही होने वाली है।

नई दिल्ली, नेमिष हेमंत। सैकड़ों सालोें के इंतजार की बेला समाप्त हो गई है। भूमि पूजन हो गया है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया बस शुरू ही होने वाली है। इसके लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) धन संग्रह के लिए अब तक का सबसे बड़ा जन अभियान चलाने जा रहा है। यह मकर संक्रांति के शुभ दिन 15 फरवरी से शुरू होकर 27 फरवरी (माघ-पूर्णिमा) तक चलेगा। इस महाभियान में विहिप की अगुवाई में संघ परिवार के सभी संगठन पूर्ण मनोयोग से जुटेंगे। पूरा देश जुटेगा। लक्ष्य भी तो 65 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंचने का है। ऐसे में कैसी है तैयारियां, इसपर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार से दैनिक जागरण की विस्तार से बातचीत की.. 

सवाल: 80-90 दशक के आंदोलन और अब 2021 के जनसंग्रह के महाभियान में चार-पांच दशक बीत गए हैं। आज की पीढ़ी वह है जिसने आंदोलन को देखा भी नहीं है। ऐसे में कैसे इस जन अभियान को प्रासंगिक बना पाएंगे। युवाओं को जोड़ने के लिए क्या रणनीति है?

जवाब: इन दोनाें के बीच एक गुणात्मक परिवर्तन देखने को आ रहा है। 80 और 90 के आंदोलन संघर्ष के थे। केंद्र व राज्य सरकार के टकराव के थे। वह आंदाेलन लड़कर मंदिर बनाने के लिए संकल्प की पूर्ति के लिए थे। इस बार बड़ी सकारात्मक ऊर्जा लेकर सब निर्माण के लिए जा रहे हैं। यह बेला संघर्ष की नहीं है, ये बेला निर्माण की है। वर्ष 2019 आम चुनाव में पहले कानून के जरिए मंदिर बनाने की मांग को लेकर देशभर में सभाएं की थी।

लोग शंकाएं जता रहे थे कि इससे युवा जुड़ेंगे कि नहीं, क्योंकि वर्ष 1992 के बाद विहिप ने मंदिर को लेकर कोई आंदोलन नहीं किया है तो मंदिर आंदोलन के बारे में नई पीढ़ी को पता नहीं है, लेकिन ये आशंका निर्मूल साबित हुई। इसमें युवाओं की बड़ी भूमिका ने साबित किया कि राम तो डीएनए में है। रक्तप्रवाह और सांस में है। अभी भी देश में जो लाखों टोलियां जाएंगी, उसमें युवाओं की बड़ी संख्या होगी।

सवा पांच लाख गांवों में 13 करोड़ परिवारों में 65 करोड़ लोगों के पास जाएंगे। उसमें बहुत सारे युवा शामिल होंगे, बहनें शामिल होंगी। बहुत सारे लोग, दंपति लगेंगे। बहुत सारे लोगों ने कहा कि राम 14 साल जंगल में गए। उसे 14 दिन में मानकर वह पूरा समय इसमें लगाएंगे। ऐसा अभियान इतिहास में कभी हुआ नहीं, यह इतना बड़ा होगा।

सवाल: -इतना बड़ा अभियान है, देशभर के गांव-गांव जाना है। गड़बड़ी की आशंका है। पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की क्या व्यवस्था की गई है?

जवाब: विहिप और रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट तकनीकी के मामले में भी 21 वीं शताब्दी में आ गए हैं। हमारी उत्सुकता थी कि व्यवस्था केवल ईमानदार हो इतना ही पर्याप्त नहीं बल्कि पारदर्शी भी हो। पहली बात तो यह तय किया कि सारा कलेक्शन रसीद के आधार पर होगा। 10, 100 व 1000 रुपये का कूपन होगा। जो दो हजार रुपये से ज्यादा देंगे उनके लिए रसीद है। दूसरे, सब रसीद के आधार पर है, इसलिए यह सारा व्हाइट मनी का कलेक्शन रहेगा। 20 हजार रुपये से ऊपर का कलेक्शन हम चेक से ही लेने का अाग्रह करेंगे।

एटीजी अवेल करने के लिए भी यह जरूरी है। पूरा कलेक्शन 48 घंटे में बैंक की ब्रांच में जमा हो जाए, इसकी व्यवस्था करेंगे। तीन बैंक- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बडौदा व पंजाब नेशनल बैंक की सब ब्रांचेज इसको स्वीकार करेंगी। पांच लोगों की टोली इसको इकट्ठा करेंगी। हर पांच टोलियों के पीछे एक संग्रहक होगा। उस संग्रहक को एक बैंक की ब्रांच तय करना होगा। वह बैंक उसको कोड नंबर देगी। पूरे डेढ़ माह तक उसी कोड नंबर से पैसा जमा हाेगा। इसलिए पूरे देश में लाखों संग्रहकों का अलग-अलग एकाउंट बन जाएगा।

किस दिन, किसने, कितने जमा किए हैं। रोज रात तक देशभर में कितना जमा हुआ है, उसका एमाउंट आएगा। और इन सब चीजों पर हम निरंतर आग्रह करते रहेंगे। विहिप की संघ परिवार की इस पारदर्शिता की एक परंपरा भी है। हम भरोसा करते हैं कि एक-एक पैसे का हिसाब आएगा। और देश की जनता क्योंकि इसकी गवाह होगी। उसकी विश्वसनीयता पर हम खरे उतरेंगे।

सवाल: -कुछ उद्योगपतियों ने जब पेशकश की कि वे अकेले मंदिर बना देने को तैयार है तो फिर इस धन संग्रह की आवश्यकता क्यों पड़ी?

जवाब: -जब मंदिर छोटा बन रहा था न उस समय यह बात आई थी। और अभी हो सकता है कि दो-तीन बड़े उद्यमी परिवार मिलकर यह मंदिर बना भी दें। पर ध्यान में आता है कि दिल्ली में बिड़ला जी थे उन्होंने लक्ष्मी नारायण मंदिर बनाया। उन्होंने नाम भी लक्ष्मी नारायण मंदिर ही रखा। पर लोग उसको इस नाम से नहीं जानते। लोग उसे बिड़ला मंदिर के नाम से जानते हैं।

मैं, एक जगह यह देखने के लिए गया। एक झोपड़ी वाले ने मुझे 100 रुपये दिए। वह देने के लिए लाया तो उसकी मां ने कहा कि रूक जाओ। पालने में बच्चा था, बेटे से कहा उस बच्चे से भी हाथ लगा। बेटे ने बच्चे से हाथ लगवाया। मां-बाप का हाथ लगवाया। खुद हाथ लगाया। मंदिर में दीपक जल रहा था वहां रखा। मैं, मुंबई की एक बैठक में गया था। उसमें कुछ बड़े दानदाता थे। राशि भी बड़ी थी। उत्साह भी बहुत था।

मैंने पूज्यनीय सर संघचालक को बताया। उन्होंने कहा आलोक जी बहुत अच्छा है। पर ध्यान रखना। हमारे लिए 10 रुपये वाला महत्वपूर्ण है। तो प्रत्येक हिंदू का हाथ इसमें लगा। प्रत्येक ने अपने साधनों में से कुछ दिया। उसकी स्थिति, उसकी राशि और उसका राम मंदिर, हम इसलिए जा रहे हैं। इसलिए भी जा रहे हैं कि ये केवल राम मंदिर नहीं बन रहा बल्कि रामत्व का प्रसार हो रहा है।

सवाल: - प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन तो कर दिया इसका निर्माण कार्य कब से शुरू होगा?

जवाब: - जल्द ही प्रयत्न कर रहे हैं। हमने जो नक्शा बनवाया था उसकी जो नींव थी। उसके डिजाइन में परफेक्शन नहीं दिखी। जब दबाव डाला तो वह 4 सेंटीमीटर नीचे चला गया। और जब भूंकप जैसा दबाव डाला तो उसमें क्रेक्स भी आएं। तो देश के वैज्ञानिक विचार कर रहे हैं। इसमें देशभर के आइआइटी भी लगी है। हम कोशिश करेंगे कि जल्द मंदिर निर्माण शुरू करें। जनवरी में शुरू कर सकेंगे। 2024 में रामलला का दर्शन उनके मंदिर में कराने के लिए आपको निमत्रंण देंगे।

सवाल: -विहिप के पास इतने स्वयंसेवक-कार्यकर्ता है जो धन संग्रह कर सकें या बाहर से भी लोगों को जोड़ने की आवश्यकता है?

जवाब: - बाहर से नहीं, केवल विहिप से ही नहीं बल्कि इसमें पूरा हिंदू समाज लगेगा। विहिप बाकि हिंदू संगठन और जो-जो भी जुड़ना चाहेगा जुड़ेगा। ये तो लाखों लोगों द्वारा होने वाला काम है। इसलिए हमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा, भारतीय मजदूर संघ व विद्यार्थी परिषद ने कहा। बाकि हिंदू संगठनों ने कहा कि डेढ़ महीने इस काम में ही जुड़ेंगे। इसलिए बाहर के लोग नहीं अपने समाज के लोग ही करेंगे। 

सवाल: - कितने स्वयंसेवक लगेंगे इसमेें?

जवाब: - थोड़ा प्रक्रिया बढ़ेगी तो देखेंगे लेकिन उनकी संख्या लाखों में ही होगी।

सवाल: - इसके लिए कोई लक्ष्य रखा गया, मंदिर निर्माण में कितना?

जवाब: - मंदिर का तो हमें अंदाजा है। उसके आस-पास जो बनना है जैसे म्यूजियम बनना है। कथा भवन, ओपन एयर स्टेडियम और बाकि काफी कुछ, यह सब चीजेें अभी ड्राइग बोर्ड पर है। इसलिए इसकी कुल कास्टिंग निकालना या अंदाजा करना संभव नहीं है।

सवाल: - मंदिर कैसा होगा?

जवाब: -  मंदिर भव्य होगा। आसमान को छूएगा। पत्थर का होगा। परंपरागत मंदिर शैली का होगा। 160 फुट ऊंचा तीन मंजिल का पांच मंडप का। बाकि सारी चीजें। पहले जमीन 70 एकड़ थी। अब 108 एकड़ का प्रयत्न कर रहे हैं। यहां जो जो आएगा तो वह एक दिन के लिए नहीं आएगा। कथा सुनने आएगा तो आठ दिन ठहरेगा। रामलीला देखने आएगा तो कुछ दिन ठहरेगा। उसको प्रदर्शनी देखने में हो सकता है कुछ दिन लग जाएगा।

यह तो भारत के राष्ट्र जीवन व आध्यात्मिक जीवन का स्पंदन होगा। यहां से भारत का ह्दय धड़केगा। केवल यह एक और मंदिर नहीं है। ये पूरे हिंदू जीवन का संगठित, समरस समाज का अपने जीवन में हिंदुत्व को जीने का, सब भेद मिटाने का, सामाजिक प्रयत्नों से संपन्नता लाने का व आतंकवाद के नाश का। दलित को मुख्य धारा में लाने का मार्ग होगा। भारत विश्व के प्रति सुख और शांति का मार्ग बताने की जिम्मेवारी पूरी कर सकें। यह एक महति प्रयत्न है।

सवाल: - जब पूरे हिंदुस्तान का मंदिर, बाकि धर्म के लाेग रहते हैं। राजनीतिक कारणाें से लोग विरोध भी करते रहे हैं? क्या उनका भी सक्रिय सहयोग लेंगे?

जवाब: - हम तो हाथ बढ़ा रहे हैं। रामजी के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। जिसको डालना है डाल दें। 

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